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मेळववी जोइए. आ प्रमाणे सूर्यप्रज्ञप्तिनुं सूत्र छे-"तत्थ खलु इमे अट्ठासीई महागहा पन्नत्ता, तंजहा-१, इंगालए,२, वियालए (यावत्)८८ भावकेऊ.” सूर्यप्रज्ञप्तिसत्रना आ पाठनी मतलब संग्रहणी नीचेनी गाथाओमां कहेल छे, ते आ प्रमाणे
इंगालए १ वियालए २, लोहियक्खे ३ सणिच्छरे ४ चेव । आहुणिए ५ पाहुणिए ६, कणगसनामा उ पंचेव ११ ॥ ७३ ॥ सोमे १ सहिए २ आसा-सणे य ३ कज्जोवए य ४ कब्बडए ५। अयकरए ६ दुंदुहए ७, संखसनामाओ तिन्नेव १० (२१) ॥७४ ॥ तिन्नेव कंसनामा ३, नीला ५ रुप्पी य ७ होंति चत्तारि ।। भास ९ तिलपुप्फवन्ने ११ [दगे य] दग पण [पंच]वण्णे य १३ काय काकंधे॥१५(३६)७५ इंदगि १ धूमकेऊ २, हरि ३ पिंगलए ४ बुहे य ५ सुक्के य ६।
बहस्सइ ७ राहु ८ अगत्थी ९, माणवए १० कास ११ फासे य १२ (४८) ॥ ७६ ॥ १. टोकामां सूर्यप्रज्ञप्तिनो पाठ आपेल छे ते संक्षिप्त कगेने लखेल छे, कारण के ए ज पाठमां कहेल ग्रहोना नामो संग्रहणीनी नव गाथामां कहेल छे.
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