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वासे दो वट्टवेयपव्वया [ पं० तं०- ] बहुसम० जाव गंधावाती चैव मालवंतपरियाए चेव, तत्थणं दो देवा महिड्डिया चैव जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, तंत्र - अरुणे चैव परमे चेत्र, जंबूमंदरस्स पव्त्रयस्स दाहिणेणं देवकुराए पुव्वावरे पासे एत्थ णं आसक्खंधगसरिसा अ[व] द्धचंदसंठाणसंठिया, दो वक्खारपव्त्रया पं० तं० - बहुसमा जाव सोमणसे चेत्र विज्जुप्पभे चेव, जंबूमंदरस्स उतर उत्तरकुरा पुव्वावरे पासे एत्थ णं आसक्खंधगसरिसा अ[व] द्धचंदसंठाणसंठिया दो वक्खारपव्वया पं० तं० - बहु० जाव गंधमायणे चेव मालवंते चेत्र २, जंबूमंदरस्स पव्वयस्त उत्तरदाहिणेणं दो दीहवेयङ्कपव्वया पं० तं० - बहुसमतुल्ला जाव भारहे चेत्र दीहवेयड्डे एरावते चैव दीवेयडे, भारहए णं दीहवेयड्ढे दो गुहाओ पं० तं० - बहुसमतुल्लाओ अविसेसमणाणत्ताओ अन्नमन्नं णाति
आयाम विक्खंभुच्चत्तसंठाणपरिणाहेणं, तं० तिमिसगुहा चैव खंडगप्पवायगुहा चैत्र, तत्थ णं दो देवा महिड्डिया जान पलिओवमद्वितीया परिवसंति, तं०- कयमालए चैव नट्टमालए चेव, एरावयए णं दीहवे दो गुहाओ पं० तं० - जाव कयमालए चैव नट्टमालए चेव ३, जंबूमंदरस्स पव्त्रयस्स दाहि
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