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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ****** www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रशस्तपणाए वे महाद्रुम छे, तेनी पहोळाई, ऊंचाई, ऊंडाई, आकार अने परिधि तेमां वे वृक्षोनुं प्रमाण आ प्रमाणे छेरयणमया पुप्फफला, विक्खंभो अट्ठ अट्ठ उच्चत्तं । जोयणमडुव्वेहो, खंधो दो जोयविद्धो ॥४२॥ दो कोसे विच्छिन्नो, विडिमा छज्जोयणाणि जंबूए । चाउद्दिसिंपि साला, पुव्विल्ले तत्थ सालंमि ॥४३॥ भवणं कोसपमाणं, सयणिज्जं तत्थऽणाढियसुरस्स । तिसु पासाया सालेसु, तेसु सीहासणा रम्मा॥४४॥ जंबूवृक्षना पुष्पो अने फळो रत्नमय छे, विष्कंभ आठ योजननो पहोलो छे, आठ योजननो ऊंचो छे, बे कोश (गाउ) जमीनमां ऊँडो छे, स्कंध (जंबूवृक्षना कंदथी उपरनो अने शाखा ज्यांथी नीकळी त्यां सुधीनो भाग) ते बे योजननो ऊंचो छे अने बे कोश पहाळो छे, चौतरफ विस्तरेली शाखाओना मध्यमां 'विडिम' नामनी एक शाखा सर्व शाखाथी ऊंची छे. ते छ योजन ऊंची छे. चारे दिशामां चार शाखाओ छे तेमां पूर्व दिशानी शाखानी बच्चे अनाहत देवनुं शयन करवा योग्य भवन एक कोशनुं लांबुं छे, शेष त्रण शाखाओमां प्रासादो छे अने ते प्रासादोमां मनोहर सिंहासनो छे. शाल्मली वृक्षमां पण एमज जाणवुं. कूट-शिखरना आकारवाळो शाल्मली वृक्ष ते कूटशाल्मली वृक्ष, ए संज्ञा छे. सुंदर छे दर्शन जेणीनुं ते सुदर्शना, ए पण संज्ञा १ गाथामां कहेल आठ योजन जमीनना कंदथी आरंभीने वे योजननो स्कंध अने छ योजननी शाखा मळीने आठ योजन जंबूवृक्ष ऊंचो जाणवो. अने कंदथी नीचे बे कोश जमीननी अंदर छे. २ जेनी लंबाई-पहोळाई विषम होय ते भवन, अने समान लंबाई - पोळाई होय ते प्रासाद कहेवाय छे. आ सामान्य नियम छे. अहि तेम न जाणवु. For Private and Personal Use Only ******
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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