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श्रीस्थानाङ्गसूत्र सानुवाद ॥८७॥
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समयबादरसं० चेव अपढमसमयबादरसं० चेव, अहवा चरिमसमय० चेव अचरिमसमय० चेव
२ स्थानका(७), अहवा वायरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० तं-पडिवाति चेव अपडिवाति चेव, वीयरागसंजमे ||
ध्ययने
उद्देशः१ दुविहे पं० २०-उवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव खीणकसायवीयरागसंजमे चेव (८), उवसंतक-*
धर्मसंयमो सायवीयरागसंजमे दुविहे पं० तं०-पढमसमयउवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव अपढमसमयउव०
७२ सूत्रम् चेव, अहवा चरिमसमय० चेव अचरिमसमय० चेव (९), खीणकसायवीयरागसंजमे दुबिहे पं०
तं०-छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे चेव केवलिखीणकसायवीयरागसंजमे चेव (१०).छउमत्थखी*णकसायवीयरागसंजमे दुबिहे पं० तं०-सयंबुद्धछउमत्थखणिकसाय० चेव बुद्धबोहियछउमत्थखी०
चेव (११), सयंबद्धछउमत्थ० दविहे पं० तं०-पढमसमय० चेव अपढमसमय० चेव अहवा चरिम
समय० चेव अचरिमसमय० चेव (१२), बुद्धबोहियछउमत्थखीण० दुविहे पं० तं-पढमसमय० चेव है| अपढमसमय० चेव, अहवा चरिमसमय० चेव अचरिमसमय० चेव (१३), केवलिखीणकसायवीय
रागसंजमे दुविहे पं० तं०-सजोगिकेवलिखीणकसाय० चेव अजोगिकेवलिखीणकसायवीयराग० चेव
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