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HORKUCHAGUAGES
ता कीस बंभयारीण धम्मनिरयाण पवरसाहूणं । चलणाइघट्टणेणवि संपइ संतावमुवहसि ? ॥ १८ ॥ सरयनिसायरधवले कुलंमि पडिवन्नमुज्झमाणस्स । किं सुंदर! न कलंको होही आचंदकालंपि ? ॥ १९ ॥ कइवयदिणसुहकजेण अजिऊणं पयंडपावभरं। किं कोइ भण सयन्नो अप्पाणं पाडइ भवोहे ? ॥२०॥ इय एवंविहवयणेहिं भुवणदीवेण वीरनाहेण । पडिवोहिओ महप्पा मेहकुमारो मुणिवरिहो ॥ २१ ॥ जाओ सुनिचलमणो तहकहवि जिणिंदभणियमग्गंमि । जह दुकरतवनिरयाण साहूण णिदसणं पत्तो ॥ २२ ॥ तस्सणुसद्धिं सोचा संवेगकरिं परेऽवि मुणिवसहा । सविसेसमप्पमत्ता पडिवन्ना संजमुजोगं ॥ २३॥ अह अण्णंमि दिणंमी सोचा धम्म जिणिंदमूलंमि । भववेरग्गमुवगओ रायसुओ नंदिसेणोऽवि ॥ २४ ॥ पवजापडिवत्तिं काउमणो सो य सेणियनरिंदै । जणणिं च बहुविहेहिं वयणेहिं पनवेऊण ॥ २५॥ जाव भुवणेकपहुणो पासे चलिओ पवजिउं दिक्खं । ताव य सो भणिओ देवयाए गयणट्ठियाए इमं ॥ २६ ॥ भो भो कुमार! विरमसु पवजागहणओ जओ अस्थि । अजवि तुह भोगफलं चारित्ताचारगं कम्मं ॥२७॥ थेवं कालं निवससु सगिहे ता कीस ऊसुगो होसि ? । सलहिजंति न कज्जाई पुत्त ! अइरहसविहियाई ॥२८॥ काले चिय कीरंतो ववसाओ कजसाहगो होइ । समयाभावे सस्सं न फलइ अचंतसितंपि ॥ २९ ॥ तत्वो कुमरेण भणियं देवि! कीस तुममियं पयंपेसि । सयमेवप्पडिवन कहमिव उज्झामि विरइमई ॥ ३०॥
४९ महा.
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