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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीगणचं निलीणाए धावीए परिवरिओ, अन्नाहि य पपरस्मणीहि धरियधघलापवत्तो चलंतसतिकंतचामरापयवो दिहिपह- जमालेमहावीरच० पइट्ठावियमणिमयअट्ठमंगलओ करितुरयरहवरारूढसयणघग्गेण अणुगमिजंतो वजंताउज्जसमुच्छलंतरवभरियनह 18. दीक्षा. ८ प्रस्तावः विवरो पासायतलट्टियपउरलोयनिवहेण संथुणिजंतो झडत्ति जमालिकुमारो तयणु पयट्टो जिणाभिमुहं। ॥२६५॥टा ___ अह जमालिस्स भारिया पियदसणा तहाविहवइयरमुवलम्भ जायभववेरग्गा पवजं पडिवजिउकामा तहेव पट्ठिया, कमेण य पत्ताई ताई जिणंतियं, तओ पंचरायसुयसयपरिवारो जमालिकुमारो पडियन्नो जिणिंददेसियं समणधम्म, पियदसणावि नरिंदंदुहिया सहस्सेण परिवुडा पवट्ठमाणसंवेगा समणी जायत्ति । ___ अह जमाली सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई ससुत्ताई सअत्थाई अहिजइ, बहूहिं चउत्थछट्टमपमुहेहिं अणवरयं विचित्तेहिं तवोकम्महिं अप्पाणं भावितो भगवया सद्धिं पुरागराइसु विहरह, पियदंसणावि चंदणाए पवतिणीए समं परियडइ। ___ अह अन्नया कयाई जमाली भयवंतं महावीरजिणवरं वंदित्ता विनविउमारद्धो-भयवं! वंछामि अहं तुब्भोहिं अम्भगुन्नाओ समाणो अनिययविहारेहिं पंचहि समणसएहिं सद्धिं विहरिउंति, सामीवि विमलकेवलालोयावलो ॥२६५॥ इसयलजियलोयभूयभाविवढमाणकालकलावलंबिसुहासुहपरिणामविसेसो भाविरमणत्थं मुणिऊण जमालिस्स पुणो है पुषो भणमाणस्सवि मोणमवलंबिऊण जाविउं पबत्तो, जमालीऽवि अप्पडिसिद्धमणुमयंति कलिऊण पंचहि समण RSS RSMSSSSSS 555ॐ For Private and Personal Use Only
SR No.020689
Book TitleMahavir Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNayvardhanvijay
PublisherAhmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh
Publication Year1999
Total Pages696
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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