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श्रीगणचं निलीणाए धावीए परिवरिओ, अन्नाहि य पपरस्मणीहि धरियधघलापवत्तो चलंतसतिकंतचामरापयवो दिहिपह- जमालेमहावीरच० पइट्ठावियमणिमयअट्ठमंगलओ करितुरयरहवरारूढसयणघग्गेण अणुगमिजंतो वजंताउज्जसमुच्छलंतरवभरियनह
18. दीक्षा. ८ प्रस्तावः विवरो पासायतलट्टियपउरलोयनिवहेण संथुणिजंतो झडत्ति जमालिकुमारो तयणु पयट्टो जिणाभिमुहं। ॥२६५॥टा
___ अह जमालिस्स भारिया पियदसणा तहाविहवइयरमुवलम्भ जायभववेरग्गा पवजं पडिवजिउकामा तहेव पट्ठिया, कमेण य पत्ताई ताई जिणंतियं, तओ पंचरायसुयसयपरिवारो जमालिकुमारो पडियन्नो जिणिंददेसियं समणधम्म, पियदसणावि नरिंदंदुहिया सहस्सेण परिवुडा पवट्ठमाणसंवेगा समणी जायत्ति । ___ अह जमाली सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई ससुत्ताई सअत्थाई अहिजइ, बहूहिं चउत्थछट्टमपमुहेहिं अणवरयं विचित्तेहिं तवोकम्महिं अप्पाणं भावितो भगवया सद्धिं पुरागराइसु विहरह, पियदंसणावि चंदणाए पवतिणीए समं परियडइ। ___ अह अन्नया कयाई जमाली भयवंतं महावीरजिणवरं वंदित्ता विनविउमारद्धो-भयवं! वंछामि अहं तुब्भोहिं अम्भगुन्नाओ समाणो अनिययविहारेहिं पंचहि समणसएहिं सद्धिं विहरिउंति, सामीवि विमलकेवलालोयावलो
॥२६५॥ इसयलजियलोयभूयभाविवढमाणकालकलावलंबिसुहासुहपरिणामविसेसो भाविरमणत्थं मुणिऊण जमालिस्स पुणो है पुषो भणमाणस्सवि मोणमवलंबिऊण जाविउं पबत्तो, जमालीऽवि अप्पडिसिद्धमणुमयंति कलिऊण पंचहि समण
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