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-एह पत्थ जामा,जहिच्छ भोयर्ण पवासारत्ते वाहिँ पारितो, तो भयवं विचित्तास-JI
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सामीवि गामाणुगाम विहरमाणो गओ भद्दिलनयरिं, तत्थ य वासारत्तो पंचमो समुवागओ, तो भयवं विचित्तास
णाई कुणमाणो चाउम्मासियं खनणमुवसंपजइ, कमेण समइक्कते वासारत्ते वाहिं पारिता विहरमाणो पत्तो कयहै लिसमागमे गामे, तत्थ य तद्दिवसमत्थारियाभत्तं जहिच्छं भोयणं पहियकप्पडियाईण विपणामिजाइ, गोसालोऽवित
दहण पविट्ठो, सामि भणइ-एह एत्थ जामो, सिद्धत्थो भणइ-अज अंतरं अम्हाणं, एवं निसामिय गओ गोसालो। अत्यारियाभत्तट्ठाणे, उपबिट्ठो भोयणत्थं, परिवेसिउमारद्धं जणेण, सो य बहुयासित्तणेण न पावइ कहिं पि तित्ति, ततो गामजणेण महलं भायणं दहिकलवियकूरस्स भरिऊण समप्पियं एयस्स, सोऽपि समग्गमवि तं भोत्तुमपारयंतो भणइ-एत्तियं न नित्थरिही, तो पाव! दुकालकवलिओब नियभोयणमाणंपि न याणसित्ति भणिऊण रोसेण खित्तं तं भायणं से मत्थयंमि जणेण, पच्छा उयरं परामुसंतो गओ सो जहागयं।
पुणोवि जंबूसंडं गाममुवागयस्स जयपहुणो तहेव सो अथारियाभत्तमल्लीणो खीरं कुरं च जेमिओ तहेव पजंते जणेण धरिसिओ य, अह सामी अहाणुपुवीए विहरमाणो तंबायनामसन्निवेसं गओ, तस्स बहिया ठिओ पडिमाए, तत्थ य गामे बहुस्सुया बहुपरिवारा पासजिणसंताणवत्तिणो नंदिसेणा नाम थेरा गच्छचिंतं मोत्तूण मुणिचंद-12 सूरिणोच जिणकप्पपरिकम्मं करेंति, गोसालो य पविट्टो गाममज्झे, ते समणे सवत्थकंवलोवगरणे दद्ण पुत्वसाहूणं पिव खिंसं काऊण सामिस्स सयासमेइ, ते य नंदिसेणा थेरा तीए चेव रयणीए चउके काउस्सग्गेण निचला
HAMARIGARCASSRO
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