SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 405
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ***** -एह पत्थ जामा,जहिच्छ भोयर्ण पवासारत्ते वाहिँ पारितो, तो भयवं विचित्तास-JI *** सामीवि गामाणुगाम विहरमाणो गओ भद्दिलनयरिं, तत्थ य वासारत्तो पंचमो समुवागओ, तो भयवं विचित्तास णाई कुणमाणो चाउम्मासियं खनणमुवसंपजइ, कमेण समइक्कते वासारत्ते वाहिं पारिता विहरमाणो पत्तो कयहै लिसमागमे गामे, तत्थ य तद्दिवसमत्थारियाभत्तं जहिच्छं भोयणं पहियकप्पडियाईण विपणामिजाइ, गोसालोऽवित दहण पविट्ठो, सामि भणइ-एह एत्थ जामो, सिद्धत्थो भणइ-अज अंतरं अम्हाणं, एवं निसामिय गओ गोसालो। अत्यारियाभत्तट्ठाणे, उपबिट्ठो भोयणत्थं, परिवेसिउमारद्धं जणेण, सो य बहुयासित्तणेण न पावइ कहिं पि तित्ति, ततो गामजणेण महलं भायणं दहिकलवियकूरस्स भरिऊण समप्पियं एयस्स, सोऽपि समग्गमवि तं भोत्तुमपारयंतो भणइ-एत्तियं न नित्थरिही, तो पाव! दुकालकवलिओब नियभोयणमाणंपि न याणसित्ति भणिऊण रोसेण खित्तं तं भायणं से मत्थयंमि जणेण, पच्छा उयरं परामुसंतो गओ सो जहागयं। पुणोवि जंबूसंडं गाममुवागयस्स जयपहुणो तहेव सो अथारियाभत्तमल्लीणो खीरं कुरं च जेमिओ तहेव पजंते जणेण धरिसिओ य, अह सामी अहाणुपुवीए विहरमाणो तंबायनामसन्निवेसं गओ, तस्स बहिया ठिओ पडिमाए, तत्थ य गामे बहुस्सुया बहुपरिवारा पासजिणसंताणवत्तिणो नंदिसेणा नाम थेरा गच्छचिंतं मोत्तूण मुणिचंद-12 सूरिणोच जिणकप्पपरिकम्मं करेंति, गोसालो य पविट्टो गाममज्झे, ते समणे सवत्थकंवलोवगरणे दद्ण पुत्वसाहूणं पिव खिंसं काऊण सामिस्स सयासमेइ, ते य नंदिसेणा थेरा तीए चेव रयणीए चउके काउस्सग्गेण निचला HAMARIGARCASSRO ***** For Private and Personal Use Only
SR No.020689
Book TitleMahavir Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNayvardhanvijay
PublisherAhmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh
Publication Year1999
Total Pages696
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy