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परिशिष्ट २९ सूरिविद्यास्तोत्रम्
पढमपए सुपइट्टा विजाए सूरिणो गुणनिहिस्स । गोयमपयभत्तिजुआ सरस्सई मह सुहं देउ ॥१॥ दुइयट्ठाणनिविट्ठा इमाइ विजाइ निरुवममहप्पा । तिहुयणसामिणि नाम सहस्सभुयसंजुया संता ॥२॥ सिरिगोयमपयकमलं झायन्ती माणुसुत्तरनगस्स। सिहरम्मि ठिया णिच्च संघस्स य मह सुहं देउ ॥३॥ दुइयट्ठाणनिविठ्ठा चउसद्विसुराहिवाण मयमहणी । सव्वंगभूसणधरा पणमन्ती गोयममुर्णिदं ॥४॥ विजया जया जयन्ती नन्दाभदासमण्णिआ तइए । विजापए निविट्ठा सिरिसिरिदेवी सुहं दे ॥५॥ विज्जाचउत्थट्ठाणे निवेसिओ गोयमस्स अभिमुहिओ । गणिपिंडजक्खराओ अणपणपण्णीकयपइट्ठो ॥६॥ सोलसहस्सजक्खाण सामिओऽतुलबलो य वीसभुओ । जिणसासणपडिणीयं मह रिउवग्गं निवारेउ ॥७॥ सोहम्मकप्पवासी एरावणवाहणो य वज्जकरो। सेवइ तियसाहिवाई सगोयमं मन्तवरराय ॥८॥ ईसाणकप्पवासी सूलकरो वसहसंठिओ निच्चं । सेवइ तियसाहिवई सगोयमं मन्तवररायं ॥९॥ तइयकप्पनिवासी सिरिसुमणो नामओ य चक्कधरो । सेवह तियसाहिवाई सगोयमं मन्तवररायं ॥१०॥
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