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बहुतरुवराण मज्झे चंदणविडवो भुयंगदोसेण । छिज्जइ निरावराहो साहु व्व असाहुसंगेण ॥ ७३२ ॥ किं ताल तुज्झ तुंगत्तणेण गयणद्धरुद्धमग्गेण । छुहजलणताविएहि वि उवहेप्पसि जं न पहिएहिं ॥७३६। जलणडहणेण न तहा पत्थरघसणेण खंडणे तह य । गुंजाहलसमतुलणे जं दुक्खं होइ कणयस्स ॥ ७६८ ॥ जोइक्खो गिलइ तमं तं चिय उग्गिलइ कज्जलमिसेण । अहवा सुद्धसहावा हियए कलुसं न धारेति ॥ ७७६ ॥
-वज्जालग्गं.
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