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एवमद्दीणवं भिक्चु आगारिं च वियाणिया । कहं णु जिच्चमेलिक्वं जिच्चमाणे न संविदे ॥ २२ ॥ जहा कुसग्गे उद्गं समुद्देण समं मिणे । एवं माणुस्सगा कामा देवकामाण अंतिए ॥ २३ ॥ कुसग्गमेत्ता इमे कामा संनिरुद्धम्मि आउए । कस्स हेउं पुराकाउं जोगक्खेमं न संविदे ॥ २४ ॥ इह कामाणियहस्स अत्तट्टे अवरज्झइ । सोच्चा नेयाउयं मग्गं जं भुज्जो परिभस्सइ । ॥ २५ ॥ इह कामनियट्टस्स अत्तटे नावरज्झइ । पूइदेहनिरोहेणं भवे देवे त्ति मे सुयं ।। २६ ।। इड्डी जुई जसो वण्णो आउं सुहमणुत्तरं । भुज्जो जत्थ मणुस्सेसु तत्थ से उववज्जइ ॥ २७ ॥ बालस्स पस्स बालत्तं अहम्मं पडिवज्जिया। चिच्चा धम्मं अहम्मिट्टे नरए उववज्जइ ॥ २८ ।। धीरस्स पस्स धीरत्तं सञ्चधम्माणुवत्तिणो । चिच्चा अधम्मं धम्मिट्टे देवेसु उववज्जइ ॥ २९ ॥ तुलियाण बालभावं अबालं चेव पंडिए । चइऊण बालभावं अबालं सेवई मुणि ।। ३०॥ त्ति बेमि ॥
-उत्तरज्झयण, ७.
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