SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सन्तान अर्थात् चित्तसन्तति चित्तसन्तति ही श्रात्मा सन्तानोच्छित्ति मोक्ष www.kobatirth.org सांख्यशासन-परीक्षा विषय-सूची मोक्षका स्वरूप मोक्षके उपाय चार आर्यसत्य - दुःख, दुःख समुदय, दुःख-निरोध, दुःख - निवृत्ति अष्टाङ्गिक मार्ग [ उत्तरपक्ष ] बौद्धमत प्रत्यक्ष - विरुद्ध है। निरन्वय, विनाशशील परमाणुका प्रत्यक्ष नहीं होता आसन्न और संसृष्ट परमाणुओंमें स्थिर, स्थूल आदिका ज्ञान नहीं 1. बौद्ध सम्मत प्रत्यक्ष लक्षण नहीं बनेगा निर्विकल्पक प्रत्यक्ष से परमाणु प्रत्यक्ष नहीं परमाणु प्रत्यक्षका विस्तृत खण्डन [ पूर्वपक्ष ] संसार प्रधानमय है प्रधानका स्वरूप सव, रज और तमोगुण संसारकी उत्पत्तिका क्रम प्रकृति, प्रधान, बहुधानक आदि नाम महानू, अहंकार, पञ्चतन्मात्रा, पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ, पाँच कर्मेन्द्रियाँ निरीश्वर सांख्योंकी मान्यता सेश्वरसांख्यों की मान्यता पुरुषका स्वरूप प्रकृति और पुरुषका भेद-विज्ञान itter स्वरूप और उसके उपाय [ उत्तरपक्ष ] सांख्यशासन प्रत्यक्ष विरुद्ध है। सम्पूर्ण जगत् प्रधानमय नहीं हो सकता 'सर्व सर्वत्र वर्तते' यह प्रत्यक्ष-विरुद्ध है आविर्भाव मानने में अनेक दोष तिरोभाव माननेमें दोष सांख्य-सम्मत सृष्टिप्रक्रिया में दोष महदादिको प्रधानका कार्य माननेमें दोष सत्कार्यवादका खण्डन असत्कार्यवाद मानने में दोष महदादिको प्रधानका परिणाम माननेमें दोष प्रधान परिणामोंका उपकारक नहीं है महदादिको प्रधानसे भिन्नाभिन्न माननेमें दोष For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २० २० २० २० २० २०-२१ २१ २१ २१ २२ २२ २२ २३ ३०-३३ ३० ३० ३० ३० ३० ३० ३० ३० ३० ३० ३१ ३१ ३१ ३५ ३१ ३१ ३१ ३२ ३१ ३२ ३२ ३२ ३२ ३२
SR No.020664
Book TitleSatyashasan Pariksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandi Acharya, Gokulchandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy