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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिगम्बरीयकर्मतत्त्वविषयकशास्त्राणां सूची। रचनाकाल. नंबर. ग्रन्थनाम. कर्ता. श्लोकप्रमाण. महाकर्मप्रकृतिप्राभृत पुष्पदन्त तथा | श्लो० ३६००० | अनुमाने-विक्रमनी ४-५ मी सदी. (षट्खण्डशास्त्र) भूतबली , प्रा०टीका कुन्दकुन्दाचार्य श्लो० १२००० | अज्ञात छे. , टीकाशामकुण्डाचार्य श्लो० ६००० , कर्णाटीका तुम्बुलूराचार्य श्लो० ५४००० संण्टीका समन्तभद्राचार्य श्लो० ४८००० , व्याण्टीका बप्पदेवगुरु श्लो०१४००० ,, धव०टीका वीरसेन श्लो० ७२००० | लगभगविक्रमसंवत् ९०५ कषायप्राभृत. गुणधर गा० २३६ अनुमाने विक्रमनी ५ मी सदी. " चू०वृत्ति यतिवृषभाचार्य अनुमा० विक्रमनी ६ ट्ठी सदी. , उच्चा०वृत्ति | उच्चारणाचार्य अज्ञात छे. , टीका शामकुण्डाचार्य | श्लो० ६००० , चू० व्याख्या तुम्बुलूराचार्य श्लो० ८४००० , प्रा०टीका बप्पदेवगुरु । | श्लो० ६०००० , जटीका वीरसेन तथा विक्रमनी ९-१० मी सदी. जिनसेन ३ गोम्मटसार नेमिचन्द्रसिद्धा- गा० १७०५ विक्रमनी ११ मी सदी. न्तचक्रवर्ति , कर्णाटीका चामुण्डराय विक्रमनी ११ मी सदी. , संन्टीका केशववर्णी , संन्टीका श्रीमदभयचन्द्र , हिंटीका टोडरमल्लजी ४ लब्धिसार नेमिचन्द्रसिद्धा-गा० ६५० विक्रमनी ११ मी सदी. न्तचक्रवर्ति ,, सं०टीका केशववर्णी ,, हि टीका टोडरमल्लजी ५ सं० क्षपणासार सं० माधवचन्द्र विक्रमनी १०-११ मी सदी. ६ सं० पञ्चसङ्ग्रह अमितगति विक्रमसंवत् १०७३ १. आ परिशिष्ट पं. सुखलालजी कृत कर्मविपाकना हिन्दी अनुवादमांथी लीधुं छे. २. आ सङ्ख्या कर्मप्राभूतनी सङ्ख्या साथे मेळवीने लखेली छे. For Private and Personal Use Only
SR No.020663
Book TitleSatikachatvar Karmgrantha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1934
Total Pages286
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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