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कर्मविपाकनामना प्रथमकर्मग्रन्थनी विषयसूची।
गाथा
विषय कर्मग्रन्थोनुं संशोधन करती वखते संग्रह करेली प्रतोना सङ्केतो टीकाकारे टीकामा उद्धरेल शास्त्रीय प्रमाणोना स्थानदर्शक सङ्केतो मुद्रित थया पछी जडी आवेल प्रमाणोना स्थानदर्शक सङ्केतो प्रमाण तरीके उद्धरेल प्रमाणग्रन्थोनी स्थानदर्शक सूची आभार प्रदर्शन प्रस्तावना
कर्मग्रन्थोनी विषयानुक्रम सूची १ मङ्गलाचरण, ग्रन्थनो विषय अने संबन्ध आदिनुं कथन
'कर्म'शब्दनी व्युत्पत्ति जीवनुं लक्षण अने कर्मनी सिद्धि कर्म अने जीवनो अनादिसम्बन्ध जीवनी साथे कर्मनो अनादिसम्बन्ध होय तो वियोग केम सम्भवे ?
ए शङ्कानुं समाधान २ सामान्य रीते कर्मना प्रकृति, स्थिति, रस अने प्रदेश ए चार प्रकारो
अने तेनी मोदकना दृष्टान्त द्वारा समज कर्मना मूल अने उत्तर भेदोनी समुच्चय सङ्ख्या ३ कर्मनी मूलप्रकृतिनां नाम तथा ते दरेकना उत्तर भेदोनी सङ्ख्या
मूळकर्मप्रकृतिओने ज्ञानावरणीयादिक्रमथी राखवानुं कारण अने उपयोगर्नु स्वरूप ५ ४ ज्ञानना पांच प्रकार अने व्यञ्जनावग्रहना चार प्रकार पांच ज्ञान, सामान्य खरूप केवलज्ञानमा मतिज्ञान आदिना अभावनी चर्चा पांच ज्ञानने मतिज्ञानादिक्रमथी राखवानां कारणो श्रुतनिश्रित अने अश्रुतनिश्रित मतिज्ञान, स्वरूप अश्रुतनिश्रित मतिज्ञानना औत्पत्तिकी, वैनयिकी, कर्मजा अने पारिणामिकी बुद्धिने आश्री चार प्रकारो अवग्रहना भेदो व्यञ्जनावग्रहना चार भेदो व्यञ्जनावग्रहमा मन अने चक्षुनुं वर्जन शामाटे ? ए शङ्कानुं समाधान व्यञ्जनावग्रहनो काल
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