________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
-
-
-
(८१ ) (घ) विधि एवं आज्ञार्थक-प्रत्यय पुरुष एकवचन बहुवचन प० पु० - उ
वर्तमान काल के “इ” म० पु० - सु, हि - ह प्रत्यय को प्रायः “उ” उ० पु० - मु -
प्रत्यय में बदल देने से
इसके रूप बन जाते हैं। इन प्रत्ययों का प्रयोग निम्न प्रकार किया जायगा :(१) हो धातु पुरुष एकवचन
बहुवचन प० पु० - होउ
होन्तु म० पु० - होसु, होहि - . होह उ. पु. होम
होमो (२) पढ धातु एकवचन
बहुवचन प० पु० - पढउ
पढंतु म० १० - पढसु, पढहि - पढह
उ. पू० - पढम् (३) हम धातु
पुरुष एकवचन बहुवचन प० पु० - हसउ - हसंतु। इसमें विकल्प से म० पु० - हससू, हसहि- हसह एकार भी होता उ० पु० -- हसिमु -- हसिमो है। अतः हसेउ,
हसेंतु आदि रूप | भी बनते हैं।
पुरुष
-
पढमो
For Private and Personal Use Only