________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२३२
श्रीसप्तपदीशास्त्र - गुजराती भाषानुवाद.
कहेवाय छे ? उत्तर आपे छे के:- सूर्य जेमनी आदिमां छे एवा समयो, आवलियो, शासोश्वास, स्तोक यावत् उत्सर्पिणी काल एम निथी जाण सूर्य आदित्य, एम कहेवाय छे, एम बोलाय. " एवीजरीते श्रीचंदपन तिमूलसूत्रमां पण जणावेल छे. हवे तेमनी वृत्ति जणावे छे :- " हे भगवन् ! शाकारणथी सूर्य आदित्य एम कहेवाय छे, एम बोलाय ? भगवान कहे छे, सूर्य आदि प्रथम हे जेओने ते सूर्यादिक कहेवाय. ते कोण ? समयो. समय एटले अहोरात्रादि काळ जेना बीजा विभागो न थइ शके ते समय, सूर्य जेनी आदि छे, सूर्य जेमनुं कारण छे, एवा जाणवा. ते आ प्रमाणे- सूर्यना उदयनी मर्यादाकरी अहोरात्रानो आरंभक समय गणाय छे, बीजीरीते न गणाय एवीरीते आवलिकादि पण जेमनी आदिमां छे, एवा जाणवा. विशेष असंख्याता समय समुदाय रुपने आवलिका कहिए. संख्याति आवलिकाओनो एक शासोश्वास एटले ४३५२ आवलिकाओनी एक शासोश्वास, एम वृद्धसंप्रदाय छे, तथा कहेल पण छे के:-" एक शासोश्वास ४३५२ आवलिका प्रमाण अनंतज्ञानीओए कट्टेल छे ? " सात शासोश्वासनो एकस्तोक इत्यादि यावत् शब्दे मुहूर्त्तादिक जाणी लेवा, ते सुगम होवाथी जणाव्या नथी. एवी रीते निश्रेयथी सूर्य आदित्य एम प्रसिद्धिथी बोली शकाय. आदिमां जे थएल होय ते आदित्य आवी व्युत्पत्ति होवाथी. " आवा अक्षरो जोवाय छे, तेथी उदयतिथी प्रमाण
For Private And Personal Use Only