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आचार्यश्री भ्रातृचंद्रसूरि ग्रन्थमाला पुस्तक ५३ मुं. १८७
जुदो जुदो आचार देखाय छे, तेमां पण जे जिनेश्वरनां वचनानुसारे होय ते प्रमाण के, एम श्रद्धा राखवी. गच्छाचार करे छे अने पोतपोताना गुरुए आचरेल छे एम बोले छे, तेओ सूत्र ने दूषित करता नथी अने जिनधर्मने शोभावे छे. एम श्री गच्छाचारपयन्नामां कहेल छे. १७-१८ जे वळी गच्छाचारने मानीने सूत्राचारनी हीलना करे छे, तेओ जिनेश्वरोनी हीलना करे छे, अने पोताना गच्छनेज माने छे. १९ सूत्र, अर्थ, ग्रन्थ, निर्यूक्ति अने संग्रहणी, ए प्रवचन- सिद्धान्तनी पंचागी जाणवी. एना अनुसारे सर्वग्रन्थो अने अर्थों मने प्रमाण छे. आ बीना श्रीसमवायांग सूत्रमां, श्रीनंदीमू
मां ने श्रीपाक्षिकसूत्रमां कहेल छे. २० पूर्वाचार्याए अग्यार अंगसूत्रनी वृत्तियोमां ठेकाणे ठेकाणे सूत्रानुसारी जे अर्थ होय तेज ग्राह्य-स्वीकार्य छे, एम कहेल छे. बळी नवांगी वृत्तिकारक श्री अभयदेव सूरीश्वरे पण श्रीभगवती सूत्र वृत्तिने विषे 'जे मत आगमने अनुसारि होय तेज स्वीकारखं अने ते सिवायनाने उपेक्षा करवी ' एम फरमावेल है. २१ हालमां विचरतां सर्वसाधुओ श्रीसुधर्मस्वामिना वंशपरंपराना छे, तेथी श्रीसुधर्म स्वामिनी कहेल समाचारी जणावे छे - श्रीवीरतीर्थनाथना चरण भक्त पांचमां गणधर, तेमणे जे समाचारी बतावी ते शुद्ध जाणवी. श्री उत्तराध्ययन सूत्रमां साधुओनी दश प्रकारनी समाचारी सर्वदुःखोनुं नाश करनारी संसारसागरथी तारनारी बतावी छे ? – आवस्सिया, २- निसीहिया, ३
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