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आचार्य श्री भ्रातृचंद्रसूरि ग्रन्थमाला पुस्तक ५१ मुं १४७
हामि ठामि राजाधिकारि गृहस्थनई अधिकारि श्रावकनइ अधिकारि वांदिवा भणी महोत्सव श्री भगवतिमाहि राजाश्री Starfant अपार महोत्सव तथा तीर्थंकरनई अधिकारि देवता मनुष्यना कीधा दीक्षामहोत्सव अपर सामान्यसाधु मेघकुमार, थावच्चा गयसुकुमाल जमालि प्रभृतिना अनेक गाढा सविस्तरदीक्षामहोत्सव | तथा श्रीमद् ज्ञाताधर्म्मकथांगि-श्रीमलिनउ संवत्सरीदान, श्रीआचारांग - श्रीमहावीरनउ संवत्सरीदान तथा श्रीदशाश्रुतस्कंवि श्रीमहावीर श्रीपार्श्व श्रीनेमि श्री आदीश्वरनर वार्षिक दान तथा छट्टड़ अंगि श्री मल्लिनी दानशाला, पोहिलानी दानशाला, श्रीमल्लिई ६ मित्र प्रतिबोधकाजि मोहणघर जालवर सुवर्णमय प्रतिमाकरण सिद्धानपरिशाटना तथा सुबुद्धि मंत्रीश्वरि फरिहोदक निर्मलीकरण, बीज उपांगि चित्रसारथीई प्रदेशीरायनई अश्वदमन निमंऋण तथा श्रीसूरियाभादिकना अनेक वंदन महोत्सव हियान उल्लासि दीसह छइ, परं विधिवादि साधुनइ उपदेश जाणीत नथी. नरितानुवादि दीसइ छइ || अनई ए आरंभ अर्थ हेति काम हेति जाणीव नथी, एतलामाहि मिथ्यादृष्टी पुण नथी जाणयउ, परं साधुनई भाषानउ विशेष परोछयउ जोई | तेह ऊपर वली लिखीयइ छइ || श्रीसूयगडांगे द्वितीयतस्कंधे- "तत्थ खलु भगवता छज्जीवनिकायहेऊ पन्नत्ता, तंजहा- पुढविकाइ जात्र तसकाइए, से जहा नामए मम अस्साये दंडेण वा अङ्घीण वा मुट्टीण वा लेलूण वा कवालेण
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