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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org પૃષ્ઠ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक । जैन मूर्ति हो) । एक सरोवर के उत्तर नीचे की तरफ बहुत से छोटे २ भग्न मंदिर हैं । (६) ललितपुर तहसील - इसमें चंदेलों के स्मारक सिरोंखुर्द, किसलवंस, किरौंदा, धंगल और लिधोरा में तथा दलों के स्मारक वुहचेरा, मुकतोरा, दतिया (बलवेहाट में) और हंसगवां में मिलते हैं। पुरातत्व के स्थान कोटरा; राजपुर में तलवेहाट के भीतर, गुरसारा जखौरा, मैंनवर, पंचमपुर : रायपुर में वंसी के भीतर, ऐरौनी, बरोदियारायन, खजूरिया, लगोन; सुरर में परगना ललितपुर के भीतर, और बंदरगुढ़ा, ककोरिया और महोली में बलवेहाट के भीतर हैं। (७) मदनपुर - ललितपुर दक्षिण पूर्व से ३६ मील। यहां चंदेलों का एक सरोवर ६७ एकड़ लम्बा है । इस ग्राम के एक और एक जैन मंदिर है जिसमें एक लेख संवत् १२०६ व ई० ११४६ का है । इस लेख में मदनपुर का नाम आता है। यहां एक बारादरी है जो खुली हुई, ६ सम चौरस खंभों से रक्षित है । इसके खंभों पर बहुत ही मूल्यवान उपयोगी लेख हैं । इनमें दो छोटे लेख बड़े चौहान राजा पृथ्वीराज के सम्बन्ध के हैं कि उसने परमार दी को व उसके देश जेज सकती को संवत् १२३६ या सन् १९८२ में फतह किया । इस मदनपुर को चंदेल राजाओं में बड़े प्रसिद्ध राजा मदनवर्मा ने स्थापित किया था । इस वर्तमान ग्राम से कुछ पश्चिम की ओर For Private And Personal Use Only
SR No.020653
Book TitleSanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Bramhachari
PublisherJain Hostel Prayag
Publication Year1923
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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