SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक पर भी दर्शन के लिये जाते हैं:-उर्छा राज्य में पयोरा, ग्वालियर में चंदेरी, थोवों, तथा मकसी, दतिया में सोना गिर और बिजावर में सेन्या । (१) बलवेहाट-परगना,तहसील ललितपुर । इस परगने में कुछ प्रसिद्ध पुरातत्व के स्मारक चांदपुर, दुधई तथा देवगढ़ में हैं । यह प्रदेश बहुत प्राचीन ऐतिहासिक घटनाओंका स्थल रहा है । यहां से १०० गज़ पर महोली में दो पाषाण के स्तंभ २० तथा १२ फुट ऊंचे हैं जिनको मदवार कहते हैं। ये इतिहास के समय के पूर्व के हैं ( अर्थात् २५०० वर्ष से पहले के)। इसी तरह बहुत से खंडहर किरौदा, लिधोरा, पाली, वंदरगुढ़ा, कोरिया तथा महोली में हैं। नोट-इन सब की खोज होने की ज़रूरत है। (२) बानपुर परगना, तहसील महरोनी। यहां पर देखने योग्य कई पुरातत्व के स्मारक हैं । खजरा में एक मंदिर गोदों का बनवाया हुआ है। बानपुर और गुगरवारा में चंदेल राजाओं के बनवाए हुए मंदिर हैं । बानपुर में खंडित बन्देलां का महल तथा वार और केलगवां में बुन्देलों के किले दर्शनीय हैं । दसरारा में एक मंदिर इतना प्राचीन है जिसका पता नहीं । बरताला और विलाता में खंडित किले हैं । नोट-इनकी जांच होनी चाहिये। For Private And Personal Use Only
SR No.020653
Book TitleSanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Bramhachari
PublisherJain Hostel Prayag
Publication Year1923
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy