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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बांदा। ३५ कहता है कि यह स्थान चिचितो कहलाता था तथा इस जिले की राजधानी खजराहा थी जो महोवा से दक्षिण पूर्व ३४ मील है। नौमी सदी में यहां चंदेलों का बल हुआ। इनका प्रथम राजा नानकदेव था जो खजराहा में करीब ८२५ ई. के राज्य करता था। इससे पाठवां राजा धंगराज था जैसा कि ५४ ई० के शिला लेख से प्रगट है। इनमें एक प्रसिद्ध राजा परमाल या परमर्द्धिदेव हो गया है। इनके यहां प्रसिद्ध आह्ला ऊदल नौकर थे जिन्होंने पृथ्वीराज के साथ युद्ध किया जब कि उसने सन् ११८२ में हमला किया था। राजा परमाल हार गया । यह बात उस लेख से प्रगट है जो ललितपुर के मदनपुर में मिला है। चंदेलों के पीछे बघेलों ने राज्य किया। वे गुजरात से व्याघ्रदेव के आधिपत्य में आए थे। (१) बड़ा कटरा-तहसील मऊ । मऊ से पूर्व = मील । इसके दक्षिण अाध मील जाकर देवड नाम की घाटी है जिसमें चारों तरफ चंदेलों के समय की खुदाई है और बहुत से लेख हैं । इस पहाड़ी के सामने दो बड़ी गुफाएं हैं। - नोट-इनकी जांच होनी चाहिये-शायद जैन चिह्न मिले। . (२) कालिंजर-यह एक पहाड़ी किला है। बांदा से ३५ मील, नगोद को जानेवाली पुरानी सड़क पर । अतारा रेलवे स्टेशनसे २४ मील है। इसको तरहटी और कटरा कहते हैं। यह पहाड़ी १२३० फुट ऊंची है । इस पहाड़ी के ऊपर जाते हुए For Private And Personal Use Only
SR No.020653
Book TitleSanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Bramhachari
PublisherJain Hostel Prayag
Publication Year1923
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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