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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ह - फतहपुर ( गज़ेटियर छुपा १६०६ ) ही इस प्रकार है: - इस जिले की उत्तर पश्चिम में कानपुर, दक्षिण-पूर्व में अलाहाबाद: उत्तर मैं रायबरेली, उन्नाव: दक्षिण में बांदा। इसमें १६४० वर्ग मील स्थान है । यहां के इतिहास में लिखा हैं कि असोथर और बहुत से स्थानों पर जैन प्राचीन स्मारक हैं। असनी में एक लेख सहित स्तंभ है जिसमें कन्नौज के राजा महीपाल का नाम है जिसका सम्बत ६७४ व सन् ई० ६६७ है । असनी गंगाजी पर-फतहपुर से ११ मील । यह एक बहुत ही प्राचीन स्थान है । नोट- शायद यहां जैन चिह्न मिलें जांच करनी चाहिये । (१) असोथर - तहसील गाज़ीपुर, फतहपुर से १८ व गाजीपुर से मील | किले के दक्षिण कुछ फरलांग जाकर कुछ आगे एक छोटे टीले पर पांच बड़ी पाषाण की नग्न मूर्तियां हैं जिनको यहां के लोग पांच पांडव कहते हैं परंतु ये निःसन्देह दि० जैन मूर्तियां हैं। असोथर और गाज़ीपुर के बीच आधी दूर सरकी में इसी प्राचीन समय के एक प्राचीन मन्दिर के खंड सन् १८७६ में पाए गए थे । For Private And Personal Use Only
SR No.020653
Book TitleSanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Bramhachari
PublisherJain Hostel Prayag
Publication Year1923
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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