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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४-सुलतानपुर जिला __ (गजेटियर छपा १९०३) इसकी चौहही इस प्रकार है:-उत्तर में फैजाबाद, दक्षिण में परतापगढ़, उत्तर पश्चिम बाराबंकी, पश्चिम में रायबरेली, पूर्व में जौनपुर और श्राजमगढ़ जिले । इसमें १७१३ वर्ग मील स्थान है। सुलतानपुर के पश्चिम १० मील बहुत से ग्राम हैं जैसे भौती, नरहई, धमौर, सम्भर, व सनिचरा, जहां बहुत सी खंडित ब्राह्मण देवताओं की मूर्तियां मिलती हैं । तथा मुसाफिर खाना में बहुत से इंटों के मन्दिरों का समुदाय है जिनकी बनावट से वे अपने को १० वीं शताब्दी का प्रगट करते हैं। (१) धोपाप-परगना चंदा, तहसील कादीपुर । गोमती नदी के दक्षिण, सुलतानपुर से दक्षिण-पूर्व १८ मील । यहां प्राचीन नगर व दो किलों के खंडहर हैं। प्राचीन सिक्के कुशान, बौद्ध, सूरी तथा पठान बादशाहो के मिलते हैं। एक किले का नाम गढ़ था। नोट-यहां भी जांच करने से कुछ जैन-स्मारक मिल सकते हैं। For Private And Personal Use Only
SR No.020653
Book TitleSanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Bramhachari
PublisherJain Hostel Prayag
Publication Year1923
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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