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संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी
प्रास्ताविक
संस्कृत वाङ्मय कोश के अन्तर्गत प्रविष्टियों में विविध प्रकार की जानकारी ग्रथित हुई है। इस जानकारी का भारतीय संस्कृति विषयक सामान्य ज्ञान की दृष्टि से विशेष महत्त्व है। संस्कृत के अध्येताओं को इस प्रकार की जानकारी होना वस्तुतः अपेक्षित है। किन्तु संस्कृत के आधुनिक अध्येता केवल उपाधिनिष्ठ होते है। अपनी परीक्षा के अध्ययनक्रम से बाहर का संस्कृत वाङ्मय विषयक ज्ञान प्राप्त करने की तीव्र जिज्ञासा उनमें नहीं होती। अतः संस्कृत वाङ्मयविषयक सर्वकष जानकारी वे नहीं रखते। अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रंथकारों, ग्रंथों के संबंध में बहिरंग परिचय भी उन्हें नहीं होता। संस्कृत वाङ्मय के इतिहास का परामर्श लेनेवाले प्रायः सभी ग्रंथों में ग्रंथकार का समय, स्थान, इत्यादि की प्रदीर्घ चर्चा और रोचक अवतरणों का विवेचन अत्याधिक होने से आवश्यक जानकारी का चयन करना जिज्ञासु के लिए कठिन हो जाता है। इन सब बातों को ध्यान में लेते हुए समग्र संस्कृत वाङ्मय विषयक (केवल काव्य नाटक विषयक ही नहीं) सामान्य ज्ञान जिज्ञासुओं में सहजता से प्रसृत हो इस दृष्टि से प्रस्तुत "प्रश्नोत्तरी" का चयन हमने किया है।
इस प्रश्नोत्तरी में 1200 से अधिक प्रविष्टियों का चयन हुआ है। आजकल प्रश्रोत्तरी की स्पर्धात्मक क्रीडा दूरदर्शन द्वारा छात्रों के सामान्य ज्ञान की अभिवृद्धि के लिए होती है। दूरदर्शन की प्रश्नोत्तरी क्रीडा छात्रवर्ग में पर्याप्त मात्रा में प्रिय दिखाई देती है। प्रस्तुत प्रश्नोत्तरी भी उसी प्रकार संस्कृत वाङ्मय के जिज्ञासु वर्ग में प्रचलित और लोकप्रिय होने की संभावना है।
प्रश्न वाक्य में (?) (प्रश्नार्थक) चिह्न रखा है। इस चिह्न के स्थान पर उत्तर वाक्य का निश्चित अंश प्रविष्ट करने पर एक पूरा वाक्य बन जाता है जो संस्कृत वाङ्मय विषयक कुछ विशेष जानकारी जिज्ञासु को देता है। जैसे - (1) प्रश्नवाक्य - पंचतंत्र (?) शास्त्र विषयक ग्रंथ है।
उत्तरवाक्य- तंत्र/मंत्र/योग/नीति उत्तर वाक्य के चार उत्तरों में से निश्चित उत्तर मोटे अक्षरों में दिया है।
प्रश्रोत्तरी स्पर्धा का संचालक (अपने समय के अनुसार) 20-25 प्रश्नोत्तर छात्रों को पढकर सुनाये और बाद में 5 मिनट के बाद स्पर्धा का प्रारंभ करें। दूरदर्शन की स्पर्धा के
समान छात्रों के दो गुट रहे और उन्हें उत्तरों के अनुसार गुण दिये जाय।
इस प्रकार की प्रश्नोत्तरी क्रीडा या स्पर्धा विद्यालयों, महाविद्यालयों, सांस्कृतिक संस्थाओं, संस्कृत प्रचारक संस्थाओं द्वारा किंबहुना सुविद्य परिवारों में भी चलाई जा सकती है।
आज संस्कृत वाङ्मय तथा भारतीय संस्कृति के संबंध में सर्वत्र सामान्य ज्ञान का अभाव नवशिक्षित समाज में फैला हुआ दिखाई देता है। इस शोचनीय अज्ञान को हटाना सभी संस्कृतिनिष्ठ एवं संस्कृत प्रेमी चाहते है। हमें दृढ आशा है कि प्रस्तुत "संस्कृत वाङ्मय प्रश्रोत्तरी"- की क्रीडा या स्पर्धा से संस्कृत-संस्कृति विषयक जानकारी का प्रचार बढ सकेगा। आवश्यकता है संयोजकों की।
* विशेषता * दूरदर्शन की प्रश्नोत्तरी से हमारी इस प्रश्नोत्तरी में कुछ विशेषता है। उनकी प्रश्रोत्तरी स्पर्धा में केवल प्रश्न पूछे जाते है किन्तु उनके संभाव्य उत्तर नहीं दिए जाते। अगर हम उसी प्रकार संस्कृत वाङ्मय विषयक केवल प्रश्नों का ही चयन करते, तो उनके उत्तर संस्कृत के विद्यमान प्राध्यापकों से भी मिलना असंभव है। यह हमारा सप्रयोग अनुभव भी है। अतः इस प्रश्नोत्तरी में प्रत्येक प्रश्न के साथ साथ उसके संभाव्य उत्तर भी दिए है; जिनकी संख्या सर्वत्र चार है। इन चार उत्तरों से बाहर का उत्तर यहां अपेक्षित नही है।
सूचना :
प्रस्तुत संस्कृत वाङ्मय कोश हिन्दी भाषा में होने के कारण ये प्रश्नोत्तरी हिन्दी भाषा में दी गयी है। इस का प्रमुख उद्देश्य संस्कृत वाङ्मय विषयक सामान्य ज्ञान का प्रचार यही होने से, आवश्यकता के अनुसार प्रश्रोत्तरी क्रीडा या स्पर्धा के संयोजक अपनी अपनी भाषा में अनुवाद करते हुए प्रश्न पूछे और संभाव्य उत्तर बताये।
श्री. भा. वर्णेकर
लेखक संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी
संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी । ।
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