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हृदयनारायण (17)
:
आपटीकर म.स.
हृदयकौतुक, हृदयप्रकाश (दोनों संगीत विषयक)
हरिपाठ (अनुवाद) स्तोत्रपंचदशी ज्योतिर्गणितवार्तिक, सर्वानन्दकरणम् संस्कृत शब्दकोश (संस्कृत-अंग्रेजी, अंग्रेजी-संस्कृत)
आपटे, गोविंद सदाशिव(19-20) आपटे, वामन शिवराम
परिशिष्ट- (17) महाराष्ट्रके ग्रंथकार और ग्रंथ
: गातार
आज का विद्यमान 'महाराष्ट्र राज्य' स्वराज्यप्राप्ति के बाद भाषावार प्रांतरचना के कारण निर्माण हुआ है। रामायण में निर्दिष्ट दण्डकारण्य प्रदेश और महाभारत में निर्दिष्ट विदर्भ, अश्मक, मूलक, कुन्तल, गोपराष्ट्र, मल्लराष्ट्र, पाण्डुराष्ट्र इत्यादि प्रदेशों का अन्तर्भाव विद्यमान महाराष्ट्र में होता है। पुलकेशी के शिलालेख में “अगमदधिपतित्वं यो महाराष्ट्रकाणां नवनवतिस्रग्रामभाजां त्रयाणाम्।" इन पंक्तिया में महाराष्ट्र के तीन भाग तथा उनमें विद्यमान नवनवतिसहस्र (99000) ग्रामों का निर्देश महत्त्वपूर्ण है। प्राचीन काल में इस प्रदेश पर शालिवाहन (सातवाहन), वाकाटक, चालुक्य, राष्ट्र, कूट और यादव वंशीय हिंदु नृपतियों का अधिराज्य रहा। 14 वीं से 17 वीं शताब्दी तक यहां परकीय मुसलमानों का आधिपत्य रहा। शिवाजी महाराज ने मुसलमानी आधिपत्य के विरुद्ध प्रखर स्वातंत्र्ययुद्ध इस प्रदेश में सह्याद्रि के आश्रय से शुरू किया। करीब सव्वा सौ वर्षों तक यहां भोसले वंश का
आधिपत्य रहा। सन् 1818 में अंग्रेजों का आधिपत्य स्थापन हुआ। स्वराज्य स्थापना के बाद यह मराठी भाषी राज्य निर्माण हुआ, जिसके (1) मुंबई, (2) पुणे, (3) औरंगाबाद (मराठवाडा) और (4) नागपुर (या विदर्भ) नामक चार विभाग राजकीय सुविधा के लिये माने जाते है। प्रस्तुत परिशिष्ट में इन चारों प्रदेशों के ग्रंथकार और ग्रंथकारों का अन्तर्भाव है।
आप्पाशास्त्री
सूनृतवादिनी और राशिवडेकर
संस्कृतचन्द्रिका (पत्रिकाएं), लावण्यमयी और
आरब्यरजनी (अनुवाद) आर्डे, कृष्णभट्ट
गादाधरी-कर्णिका (टीका) उत्तमकर, महादेव : व्याप्तिरहस्यटीका (18) ओक, महादेव : अभंगरसवाहिनी (अनुवाद), पांडुरंग
: ज्ञानेश्वरी (9 अध्यायतक)
अनुवाद ओगेटी परीक्षित् शर्मा : यशोधरामहाकाव्य,
ललितगीतालहरी,
प्रतापसिंहचरितम् औदुम्बरकर
आप्पाशास्त्री वासुदेवशास्त्री
राशिवडेकरचरित्र,
विन्सटन चर्चिल चरित्र कमलाकर भट्ट(17) : दानकमलाकर, (काशीनिवासी)
व्रतकमलाकर, शूद्रकमलाकर, शांतिरत्न, निर्णयसिंधु (श्लोकवार्तिक टीका), पूर्वकमलाकर, प्रायश्चित्तरत्न, विवादतांडव, गोत्रप्रवरनिर्णय,
काव्यप्रकाशटीका डॉ. काशीकर चिं.ग. : आयुर्वेदीय पदार्थज्ञानम् काशीनाथ उपाध्याय : धर्मसिंधु, (18-19)
प्रायश्चित्तेन्दुशेखर, बेदस्तुति की टीका, कुण्डादिकपाल, विठ्ठलऋमंत्रसारभाष्य
ग्रंथकार
ग्रंथ डॉ. अकलूजकर : आप्पाशास्त्री साहित्यअशोक
समीक्षा अणे माधव श्रीहरि : तिलकयशोऽर्णव (3 खंड) (बापूजी) अद्वैतेन्द्रयति : धर्मनौका अनंतदेव(14) : बृहज्जातक की टीका अनन्त भट्ट
: राजधर्मकौस्तुभ अभ्यंकर, काशीनाथ : व्याकरणकोश वासुदेव अभ्यंकर, वासुदेव सर्वदर्शनसंग्रहटीका, शास्त्री (19-20) अद्वैतामोद, कायशुद्धि,
धर्मतत्त्वनिर्णय,
सूत्रान्तरपरिग्रहविचार अर्जुनवाडकर : कण्टकांजलि
:
सुभाषितरत्नभांडागारम्
काशीनाथ पांडुरंग परब
506 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड
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