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(वृन्दमाधवकृत)
रुक्मिणीहरण (हरिदास सिद्धान्तवागीशकृत)
सुपा व्याकरणम्
वाक्यपदीय
[(13) कुसुमावली], गंगाधर कविराज [(१९) पंचनिदानव्याख्या] । श्रीधर चक्रवर्ती, रामनाथ विद्यावाचस्पति (17) धातुचिन्तामणि और वर्णविवेक) अरुणदत्त सर्वानंद (12), मुकुट (15), हरणचंद्र चक्रवर्ती। वंगेश्वर, जीवानंद विद्याभूषण। बलदेव विद्याभूषण।
सुश्रुतसंहिता
वासवदत्ता
विक्रमोर्वशीयम्
:
विदग्धमुखमण्डनम् (धर्मदासकृत)
स्तवावली (रघुनाथ दासकृत) स्तवमाला (रूपगोस्वामीकृत)। स्वप्नवासवदत्तम् हर्षचरित हितोपदेश
हेमचंद्र तर्कवागीश। रुग्विनिश्चय (माधवकृतविजयरक्षित, आरोग्यशालीय [(13) व्याख्यामधुकोश, वाचस्पति (आतंकदर्पण) धर्मपाल (6) वार्तिक- गंगाधर कविराज (कात्यायन वार्तिक व्याख्या) सर्वरक्षित, काशीराम, जीवानंद विद्यासागर (20) अभयाचरण, राममय,
तारानाथ तर्कवाचस्पति। :
ताराचंद्र विद्वन्मनोहरा) गौरीकान्त, दुर्गादास। जीवानंद विद्यासागर, सत्यव्रत सामश्रमी। त्रिविक्रम (11), तारानाथ तर्कवाचस्पति (19)। जगन्मोहन तर्कालंकार, ताराकान्त तर्कवाचस्पति। कृष्णकान्त न्यायपंचानन, प्रेमचंद्र तर्कवागीश, जीवानंद विद्यासागर, विधुभूषण गोस्वामी, हरिदास सिद्धान्त वागीश, रमेन्द्रमोहन बसु। रायमुकुट (निर्णय बृहस्पति), भरत मल्लिक (सुबोधा), भागीरथ (अणीयती)
जीवानन्द विद्यासागर। : राधाकान्त गोस्वामी।
विद्धशालभंजिका
: सत्येन्द्रनाथ सेन । : जीवानंद विद्यासागर : वरदाकान्त विद्यारत्न ।
वृत्तरत्नाकर (केदारभट्टकृत्त) वेणीसंहारम्
परिशिष्ट (13) बिहारराज्य के ग्रंथकार और ग्रंथ
शाकुन्तलम्
ग्रंथ
ग्रंथकार अनन्तारण्य मिश्र
अनिरुद्ध अभिनव वाचस्पति
शिशुपालवधम्
श्रीकृष्ण भावनामृतम् (विश्वनाथ चक्रवर्ती कृत) श्रुतबोध (कालिदासकृत)
अयोध्यानाथ मिश्र (20)
: विजया तंत्रटीकानिबंधन
की व्याख्या। : तात्पर्यविवरणपंजिका ।
श्राद्धचिंत्तामणि व्यवहारचिन्तमणि, प्रायश्चितचिन्तामणि, कृत्यमहार्णव, शुद्धिनिर्णय, द्वैतनिर्णय, दत्तकविधि, गयाश्राद्धपद्धति (सभी धर्मशास्त्रविषयक) प्रकाशिका (खण्डबलकुलदीपिका की
टीका) : आर्यभटीयम्। : मीमांसारसपल्लव। : न्यायवार्तिक,
न्यायपरिशिष्ट, किरणावली (पदार्थधर्मसंग्रह की व्याख्या), न्यायकुसुमांजलि, न्याय परिशुद्धि, आत्मतत्त्वविवेक
:
मनोहर शर्मा, सतीशचन्द्र
विद्यारत्न,
साहित्यदर्पण
आर्यभट्ट (6) इन्द्रमणि ठाकुर उदयनाचार्य (10)
जीवानन्द विद्यासागर। महेश्वर न्यायालंकार [(17) विज्ञप्रिया], रामचरण तर्कवागीश [(17) विवृति], हरिदास सिद्धान्तवागीश,
जीवानन्द विद्यासागर : श्रीकण्ठदत्त
सिद्धयोग
498 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड
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