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स्नपनपद्धति। स्मृतिमुक्ताफल। स्वानुभूतिप्रकाश। हरिभक्तिसिद्धार्णव। हिरण्यकेशिश्रौतसूत्रव्याख्यान । हृदयामृतम्।
परिशिष्ट (13-आ)
तंजौरराज्य
शिवतत्त्वरत्नतिलक। शिवतत्त्वविवेकदीपिका। शिवभक्तिकल्पलतिका। शिवभक्तिलक्षणम्। शिवमानसिकपूजा। शिवरहस्यम्। शिवार्कमणिदीपिका। शिवार्चनचन्द्रिका। शृंगारतरंगिणी। शृंगारतिलकभाण। शृंगारमंजरी। शृंगारमंजरीशाहराजीयम्। शृंगारसर्वस्वभाण। शेवंतिकापरिणयम्। शैवकलाविवेक। शैवसिद्धान्त। शैवसंन्यासपद्धति। श्राद्धचिन्तामणि। श्राद्धप्रयोग। श्रीभाष्यानुशासन । श्रीविद्यागुरुपरम्परा। श्रुतिगीता। श्रुतिरत्नप्रकाशटिप्पणी। श्लेषशतकम्। षड्दर्शनसिद्धान्त। सदाशिवब्रह्मेन्द्रचरितम्। सवैद्यविलासम्। सभापतिविलासनाटकम्। सरफोजीचरितम्। सरस्वतीकल्याणम्। सर्वसिद्धान्तचन्द्रिका। संगीतसंप्रदायप्रदर्शिनी। संगीतसारामृतम्। सामरुद्रसंहिताभाष्यम्। साहित्यकुतूहलम्। साहित्यरत्नाकर। सिद्धान्तरत्नावली। सिद्धान्तसिद्धांजन। सीताकल्याणम्। सुभद्रापरिणयनाटकम्। सूत्रदीपिका। सूत्रप्रस्थानम्। स्त्रीधर्म। स्त्रीधर्मकथा।
संस्कृत विद्या को राजाओं का आश्रय सदा सर्वत्र मिलता रहा। इनमें कुछ मुसलमान भी अपवाद रूप में रहे। हिंदू राजाओं में तमिळनाडु में तंजौर के पांड्य, नायक और विशेष कर व्यंकोजी या एकोजी भोसले (छत्रपति शिवाजीमहाराज के सौतेले भाई) के राजवंशद्वारा संस्कृत विद्या को विशेष प्रोत्साहन मिला। उस तंजौर राज्य में अनेक संस्कृत पंडितोंने ग्रंथनिर्मिति की उन में से कुछ उल्लेखनीय विद्वानों के नामों की सूची इस परिशिष्ट में प्रस्तुत है :परिशिष्ट- (13-अ) और (13-आ) मुख्यतः बायोग्राफिकल स्केचेस ऑफ डेक्कन पोएटस्-सपादक- K.C. वेंकटस्वामी, और हिस्ट्री ऑफ क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर- ले.एम. कृष्णम्माचारियर- इन दो ग्रंथों पर आधारित है। अच्युताप्पानायक। अध्यात्मप्रकाश। अक्कण्णा । अखण्डानन्द। अधोरशिव। अण्णाशास्त्री। अप्पैया दीक्षित। अप्पावरी। अंबाजी पंडित। अष्टावधान कवि। अरुणाचल कविरायर अय्यण्णाशास्त्री। अय्याअध्वरी। आत्मबोध। आनन्दरायमखी। आदिराजेन्द्रचोल। उमामहेश्वर दीक्षितर्। उमापति शैव। एकोजी (व्यंकोजी) भोसले महाराज। कद्दू वीणा भागवत। कविगिरि।
संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड / 483
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