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प्रायश्चित्त, व्यवहार, गृहयज्ञ, वेश्मभू, मलिम्लुच दान एवं शुद्धि । श्रीदत्त एवं संवत्सरप्रदीप का उल्लेख है । यह रघुनन्दन का अनुकरण है।
स्मृति-चंद्रिका ले. देवण्णभट्ट (नामांतर देवनंद या देवगण) ई. 13 वीं शती । पिता- सौमयाजी केशवादित्य भट्ट । राज-धर्म संबंधी एक निबंध-ग्रंथ। यह ग्रंथ संस्कृत निबंध साहित्य में अत्यंत मूल्यवान निधि के रूप में स्वीकृत है। इसका विभाजन कांडों में हुआ है, जिसके 5 कांडों की ही जानकारी प्राप्त होती है। इन कांडों को संस्कार, आह्निक, व्यवहार, श्राद्ध व शौच कहा जाता है। इस ग्रंथ में राजनीति शास्त्र को धर्म-शास्त्र का अंग माना गया है। और उसे धर्म शास्त्र के ही अंतर्गत स्थान दिया गया है। धर्म शास्त्र द्वारा स्थापित मान्यताओं की पुष्टि के लिये, इस ग्रंथ में यत्र-तत्र धर्म - शास्त्र, रामायण व पुराण के उद्धरण भी अंकित किये गये है। इस ग्रंथ में, मामा की पुत्री से विवाह करने का विधान है। इस आधार पर डॉ. श्यामशास्त्री, प्रस्तुत ग्रंथ के प्रणेता को आंध्रप्रदेश का निवासी मानते है। मैसूर शासन द्वारा प्रकाशित ।
(2) ले. राजचूडामणि दीक्षित। ई. 17 वीं शती ।
(3) ले. वामदेव भट्टाचार्य ।
(4) ले. वैदिकसार्वभौम ।
(5) ले. शुकदेव मिश्र । विठ्ठल मिश्र के पुत्र । विषयतिथिनिर्णय, शुद्धि, अशौच, व्यवहार।
स्मृतिचन्द्रोदय - ले. गणेशभट्ट ।
स्मृतितत्त्वनिर्णय ( या व्यवस्थार्णवः) ले रामभद्र पिताश्रीनाथ आचार्यचूडामणि । समय- 1500-1550 ई. स्मृतितत्त्वामृतम् ले. महामहोपाध्याय वर्धमान भवेश एवं गौरी के पुत्र । अन्तिम पद्यों में वर्धमान का कथन है कि उन्होंने आचार, श्राद्ध, शुद्धि एवं व्यवहार पर चार कुसुम लिखे है अतः स्युतितत्त्वविवेक एवं स्मृतितत्त्वामृत दोनों एक ही है। यह मिथिलानरेश भैरवेन्द्र के पुत्र राम के आदेश से लिखा गया है। स्मृतितत्त्वविवेक ले. महामहोपाध्याय वर्धमान भवेश एवं गौरी के पुत्र एवं मिथिला नरेश भैरवेन्द्र की राजसभा के न्यायमूर्ति थे। समय लगभग 1450-1500 ई. । विषय- आचार, श्राद्ध, शुद्धि एवं व्यवहार पर ।
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स्मृतितत्त्वम्- ले. रघुनन्दन। इसमें 28 तत्त्व नामक प्रकरण है। स्मृतिनवनीतम्-ले. वृषभाद्रिनाथ पिता नरसिंह रामचन्द्र एवं श्रीनिवास के शिष्य ।
स्मृतिनिबन्ध ले नृसिंहभट्ट विषय- धर्मलक्षण, वर्णाश्रम धर्म, विवाहादिसंस्कार, सापिण्डय, आह्निक, अशीच श्रद्ध दायभाग तथा प्रायश्चित्त । धर्मशास्त्रका एक बृहत् निबन्ध । स्मृतिदीपिका- ले. वामदेव उपाध्याय । विषय श्राद्ध एवं
अन्य कृत्यों के काल । स्मृतिदुर्गभंजनम्- ले.- चंद्रशेखर ।
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स्मृतिपरिभाषा - ले. वर्धमान महामहोपाध्याय । ई. 15 वीं शती । स्मृतिप्रकाश ले वासुदेव रथ विषय कालनिरूपण, संवत्सर, संक्रांति इ । माधवाचार्य एवं विद्याकर वाजपेयी का उल्लेख है। रचना - 1500 ई. के पश्चात् ।
स्मृतिप्रकाश ले. भास्करभट्ट या हरिभास्कर आप्पाजिभट्ट के पुत्र ।
स्मृतिप्रदीप- ले. चन्द्रशेखर महामहोपाध्याय । विषय- तिथि, अशीच, आद्ध, इ.
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स्मृतिभास्कर ले. नीलकण्ठ आरम्भिक श्लोकों से पता चलता है कि यह नीलकण्ठ का शान्तिमयूख ग्रंथ है। स्मृतिभूषणम्- ले. कोनेरिभट्ट । केशव के पुत्र । माध्व अनुयायियों के लिए आचार विषयक एक निबन्ध । स्मृतिमीमांसा ले जैमिनि अपरार्क द्वारा वर्णित जीमूतवाहन के कालविवेक, वेदाचार्य के स्मृतिरत्नाकर, हेमाद्रि के व्रतखण्ड एवं परिशेषखण्ड में तथा नृसिंहप्रसाद द्वारा वर्णित । स्मृतिमहाराज ( या शूत्रपद्धति) ले. कृष्णराज इसमें मदनरत्न का उल्लेख है। गोदान से आरम्भ होकर मूर्ति प्रतिष्ठापन में अन्त होता है।
स्मृतिमंजरी ले. रत्नधर मिश्र (2) ले. गोविंदराज (3) ले. कालीचरण न्यायालंकार ।
स्मृतिमुक्ताफलम् ले. वैद्यनाथ दीक्षित सन्- 1600 में लिखित । दक्षिण भारत का एक अति प्रसिद्ध निबन्ध ग्रंथ । विषय वर्णाश्रमधर्म, आनिक अशौच, श्राद्ध द्रव्यशुद्धि, प्रायश्चित्त, व्यवहार, काल इ. ।
स्मृतिमुक्ताफलसंग्रह - ले. चिदम्बरेश्वर ।
स्मृतिमुक्तावली ले कृष्णाचार्य नृसिंहभट्ट के पुत्र 10 प्रकरणों में पूर्ण
स्मृतिरत्नम् - ले. रघुनाथ भट्ट । ई. 17 वीं शती । स्मृतिरत्नप्रकाशिका - लेखिका कामाक्षी । धर्मशास्त्र विषयक
रचना ।
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स्मृतिरत्त्रमहोदधि ( या स्मृतिमहोदधि) ले परमानन्दघन | चिदानन्दयेन्द्रसरस्वती के शिष्य षट्कर्मविचार, आचार, अशौच आदि पर विवेचन है ।
स्मृतिरत्नाकर - ले.- वेदाचार्य । 15 अध्याय । विषय- नित्यनैमित्तिकाचार, गर्भाधानादि संस्कार, तिथिनिरूपण, श्राद्ध, शान्ति, तीर्थयात्रा, भक्ष्याभक्ष्य, व्रत, प्रायश्चित्त, अशौच और अन्त्येष्टि । कामरूप राजा के आश्रय में प्रणीत । इसमें भवदेव (प्रायश्चित्त पर) जीमूतवाहन, स्मृतिमीमांसा, स्मृतिसमुच्चय, आचारसागर, दानसागर और महार्णव का उल्लेख किया है। (2) ले.
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संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड / 421
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