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राजभक्तिमाला - कवि- नरसिंहदत्त शर्मा। अमृतसर के निवासी । 1929 ई. में लिखित। राजभूषणी - (नृपभूषणी) - ले.- रामानान्दतीर्थ । मनुस्मृति की कुल्लूक कृत टीका का उल्लेख इसमें है। विषयराजनीतिशास्त्र। राजमार्तण्ड - ले.- (भोज) । विषय- धर्मशास्त्रसंबंधी ज्योतिष, मुहूर्त व्रतबन्धकाल, विवाहशुभकाल, विवाहराशियोजन विधि, संक्रातिनिर्णय, दिनक्षय, पुरुषलक्षण, मेषादिलग्नफल। राजयोगभाष्यम् - ले.- पातंजल योगसूत्रों पर डॉ. चिं. त्र्यं. केंघे द्वारा लिखित भाष्य। लेखक का अध्ययन पुणे में हुआ
और अनेक वर्षों तक अलिगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्राध्यापक रहे। राजयोगसारसूत्रम् - ले.- गणपति मुनि। ई. 19-20 वीं शती। पिता- नरसिंहशास्त्री। माता- नरसांबा । राजराजेश्वरनित्यदीपविधिक्रम- ले.- हरिराम। श्लोक- लगभग 250। लिपिकाल- 1818 विक्रमसंवत्। शिव-पंचाक्षरमन्त्रविधि भी इसमें संनिविष्ट है। राजराजेश्वरस्य राजसूयशक्ति-रत्नावली- ले.- ईश्वरचन्द्र शर्मा। कलकत्ता-निवासी। सप्तम एडवर्ड के सम्बन्ध में सात सर्गो का काव्य। राजराजेश्वरीपूजाविधि - श्लोक लगभग-4001 राजलक्ष्मीपरिणयम् (प्रतीकनाटक) ले- शोभनाद्रि अप्पाराव। (शासनकाल-1860-1880) ई. । लेखक के पिता के राज्याभिषेक की कथा इसका विषय है। राजविनोदकाव्यम् - ले.- कवि उदयराज । रामदास का शिष्य तथा प्रयागदत्त के पुत्र । सात सर्गो के इस काव्य में गुजरात के सुलतान बेगडा महंमद का स्तुतिपूर्ण वर्णन है। राजसूयचम्पू - ले.- नारायणभट्टपाद । राजसूय-सत्कीति-रत्नावली (लघुकाव्य)- ले.- ईशानचन्द्र सेन । विषय- पंचम जार्ज के राज्याभिषेक की प्रशस्ति । राजसूर्जनचरितम् - जनमित्र के पुत्र, चन्द्रशेखर तथा गौड मित्र इस काव्य के रचनाकार हैं। इसमें आश्रयदाता सूर्जनराज का चरित्र 20 सों में वर्णित है। राजहंसीयनाटकम् - ले.-मुडुम्बी वेङ्कटराम नरसिंहाचार्य । राजहंसीयप्रकरणम् - ले.- नरसिंहाचार्य स्वामी। रचना काल सन 1881 के लगभग। प्रथम अभिनय. गोविंद के कल्याण महोत्सव में। गीतों का बाहूल्य । नायक युववर्मा। नायिका कटिश्वर कृष्ण की कन्या राजहंसी। शृंगार- प्रधान रचना है। विवाहपूर्व पुत्रोत्पत्ति, रंगमंच पर नायक का स्थान, भोजन आदि असाधारण घटनाओं का चित्रण इसमें हुआ है। राजाङ्ग्लमहोद्यानम्- ले.- अनन्त । राजाभिषेकप्रयोग (राज्याभिषेकप्रयोग)- ले.- गागाभट्ट
काशीकर। पिता- दिनकर भट्ट। ई. 17 वीं शती। इसी प्रयोग के अनुसार शिवाजी महाराज का वैदिक राज्याभिषेक समारोह संपन्न हुआ। ऐतिहासिक महत्त्व का ग्रंथ।। राजारामचरितम्- ले.- केशव पण्डित। 5 सर्ग। औरंगजेब के आक्रमण काल में स्वातंत्र्यरक्षा के लिये छत्रपति राजाराम ने कर्नाटक में रहकर किये प्रयत्नों का वर्णन । राजारामशास्त्रिचरितम् - ले.- म. म. मानवल्ली गंगाधर शास्त्री। लेखक के गुरु का पद्यमय चरित्र । राजेन्द्रप्रसादचरितम् - ले.- वा. अ. लाटकर। शारदागौरव ग्रंथमाला (पुणे), द्वारा प्रकाशित। राजेन्द्रप्रसादप्रशस्ति- ले. भट्ट श्रीपद्मनाभ । ग्वालियर निवासी । यह एक परम्परागत शैली में ग्रथित प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्रप्रसाद की प्रशस्ति है। प्रकाशन ई. 1955 में हुआ। राज्याभिषेकम् (महाकाव्य)- ले.- यादवेश्वर तर्करत्न। विषयसप्तम एडवर्ड के राज्याभिषेक का वर्णन। सन् 1902 ई. में प्रकाशित। राज्याभिषेककल्पतरु - ले.-निश्चलपुरी। ई. 17 वीं शती। राज्याभिषेक विषयक तांत्रिक ग्रंथ। छत्रपति शिवाजी महाराज के तांत्रिक राज्याभिषेक निमित्त लिखा हुआ ग्रंथ। ऐतिहासिक दृष्टि से इसका महत्त्व है। राज्याभिषेक-पद्धति - ले.- शिव। पिता- विश्वकर्मा । ___ (2) दिनकरोद्योत का एक भाग। (3) ले.- अनन्त देव । राज्याभिषेक प्रयोग - ले.- रघुनाथ। पिता- माधवभट्ट ।
2) ले.- कमलाकर। पिता- रामकृष्ण । राज्यव्यवहारकोश - ले.- रघुनाथ शास्त्री हणमन्ते। ई. 17 वीं शती। चिरकालीन स्थिर यावनी सत्ता से अभिभूत प्रादेशिक भाषाएं विकृत हुई थीं एवं संस्कृत भाषा को ग्लानि आयी थी। स्वराज्य स्थापनोपरान्त शिवाजी महाराज ने यवनराज्य में प्रसृत उर्दू-फारसी के शब्दों के उच्चाटन कर अनेक स्थान पर संस्कृत प्रचलित करने की आकांक्षा से यह कोश निर्माण करवाया। अतः इस का ऐतिहासिक महत्त्व माना जाता है। राज्ञीदेवीपंचागम्- 1) श्लोक- 2521 2) श्लोक- 532 । राज्ञी दुर्गावती (संगीतिका)- ले.- श्रीराम वेलणकर। जन 1964 में दिल्ली आकाशवाणी से प्रसारित गढामंडला की वीर रानी दुर्गावती (1525-1564 ई.) की चरित्र गाथा। प्राकृत का अभाव। राज्ञीनित्यपूजापद्धति- दो भागों में विभक्त। प्रथम भाग में राज्ञी देवी के उपासक के करणीय स्नान, संध्या, तर्पण, इ. प्रातःकृत्यों का उल्लेख। द्वितीय भाग में राज्ञी देवी की पूजाविधि वर्णित है। राणायणीयसंहिता - सामवेद की राणायणीय शाखा की संहिता
संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड / 299
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