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15) सन 1878 में "स्त्रिस्तचरितम् अर्थतः मिथि मार्क लूक, योहनेर विरचित सुसंवादचतुष्टयम्" नामक अनुवाद उसी मिशन द्वारा प्रकाशित ।
16) सन 1878 में योहानलिखितः सुसंवादः नामक "गॉस्पेल ऑफ सेंट जॉन" का अनुवाद प्रकाशित ।
17) सन 1910 में कलकत्ता के ब्रिटिश फॉरेन धर्म-समाजद्वारा, अंग्रेज व बंगाली पंडितों के सहकार्य से न्यू टेस्टामेंट का अनुवाद “धर्मपुस्तकस्य शेषांश: अर्थतः प्रभुणा यीशुख्रिष्टेन निरूपितस्य नूतन - धर्मनियमस्य ग्रंथसंग्रहः " इस नाम से प्रकाशित हुआ। सन 1922 में बैप्टिस्ट प्रिंटिंग प्रेस कलकत्ता द्वारा फोटोग्राफी पद्धति से उसका पुनर्मुद्रण हुआ। बाइबल के इन अनुवादों के अतिरिक्त ख्रिस्तधर्म विषयक कुछ महत्त्वपूर्ण ग्रंथों के अनुवाद ईसाई मिशन द्वारा प्रकाशित हुए हैं जैसे: 1) ईश्वरोक्तशास्त्रधारा 2) परमात्मस्तव, 3) पॉलचरितम् 4) ख्रिस्तसंगीतम् ख्रिस्तधर्मकौमुदी, 5) 6) ख्रिस्तधर्मकौमुदी -समालोचना और 7 ) ख्रिस्तयज्ञविधिः । यह सा ईसाई संस्कृत साहित्य 19 वीं शती में प्रकाशित हुआ है।
बांग्लादेशोदयम् (नाटक) ले रामकृष्ण शर्मा, दिल्लीनिवासी। भारतीय विद्याप्रकाशन (पो.बा. 108 कचौडी गली, वाराणसी) द्वारा प्रकाशित। पाकिस्तान का 1971 के युद्ध में भारतद्वारा पराजय होने के बाद पूर्वी पाकिस्तान के स्थान पर "बांग्लादेश" नामक नए राज्य का उदय हुआ। 20 वीं सदी की इस महत्त्वपूर्ण घटना का चित्रण श्रीरामकृष्ण शर्मा ने प्रस्तुत नाटक में किया है। आधुनिक संस्कृत साहित्य की दृष्टि से यह एक महत्त्वपूर्ण नाटक है । इस नाटक के दस अंकों में तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान के राजनैतिक, सामाजिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं कूटनैतिक प्रश्नों को स्पर्श किया गया है। डा. सत्यव्रत शास्त्री ने अपनी प्रदीर्घ अंग्रेजी प्रस्तावना में नाटक की कथावस्तु का सविस्तर परिचय दिया है। इस नाटक में हुजूर, गुरिल्ला, क्लब, ट्रांझिस्टर किरायादार जैसे असंस्कृत शब्दों का स्थान स्थान पर प्रयोग किया गया है।
वाणयुद्धचम्पू ले. - चुन्नी ताम्बिरन् । क्रांगनूर- निवासी । बाणविजयम् (काव्य)- ले. शिवराम चक्रवर्ती।
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बाणस्तव ले. रामभद्र दीक्षित। कुम्भकोणं निवासी ई. 17 वीं शती ।
बाणासुर विजयचंपू ले. वेंकट या वेंकटाचार्य । इस चंपू-काव्य में 6 उल्लास हैं और "श्रीमद्भागवत" के आधार पर उषा-अनिरुद्ध की कथा इसमें वर्णित है ।
बालकानां जवाहर:- ले. - विघ्नहरि देव । पं. जवाहरलाल नेहरु का बालोपयोगी चरित्र शारदा प्रकाशन (पुणे- 30 ) द्वारा
प्रकाशित । बालकृष्णचम्पू - ले. जीवनजी शर्मा ।
बालचरितम् (नाटक) ले. महाकवि भास। संक्षिप्त कथाप्रथम अंक में वसुदेव नवजात शिशुकृष्ण को यमुना के पार गोकुल में जाकर नन्द के पास रख देते हैं और नन्द की मूल पुत्री को मथुरा ले आते हैं। द्वितीय अंक में कंस वसुदेव के बंदीगृह से कन्या को मंगवाकर मार डालता है, तब उसी कन्या के शरीर से निकला हुआ दैवी अंश कंस के भावी विनाश की सूचना देता है। तृतीय अंक में दामोदर का गोपियों के साथ नृत्य तथा अरिष्टषभ का वध वर्णित है। चतुर्थ अंक में दामोदर द्वारा कालिया नाग के दमन की घटना है। पंचम अंक में मथुरा में कंस के धनुर्यज्ञ में दामोदर और संकर्षण, चाणूर और मुष्टिक नामक राक्षसों का वध करते हैं तथा दामोदर कंस को मारते हैं तब वसुदेव अग्रसेन को मुक्त कर उनका राज्याभिषेक करते हैं । बालचरित में अर्थोपक्षेपकों की संख्या 5 है जिनमें 1 ) प्रवेशक, 2) चूलिका । अंकास्य और अंकावतार है। इस नाटक में विष्कम्भक नहीं है। इस नाटक की कथा हरिवंश पुराण पर आधारित है । बालनाटकम् ले. वासुदेव द्विवेदी वाराणसी की संस्कृत प्रचार पुस्तकमाला में प्रकाशित लघुनाटक ।
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बालपाठ्या ले. रामपाणिवाद। ई. 18 वीं शती। केरलनिवासी। बाल - प्रबोधिनी ले. गोस्वामी गिरिधरलालजी ई. 18 वीं
शती । भागवत की टीका । हरि प्रसाद भागीरथ द्वारा मुंबई से प्रकाशित। अनेक टीकालंकृत भागवत के संस्करण में भी प्रकाशित । प्रकाशक कृष्णशंकर शास्त्री (1965 ई.) वल्लभचार्यजी की टीका सुबोधिनी की रचना अंशतः होने के कारण सांप्रदायिक मतानुसार तदितर स्कंधों का तात्पर्य अनिर्णीत रह गया था । इस अभाव की पूर्ति प्रस्तुत बाल - प्रबोधिनी द्वारा हुई। यह टीका स्वतंत्र तथा संपूर्ण भागवत पर निबद्ध है। यह शुद्धाद्वै तथ्यों का आविष्कारक ग्रंथरत्न है। इसकी रचना बडी विद्वतापूर्ण है। बालबोध: - ले. सारस्वत व्यूढ मिश्र । यह वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी की टीका है।
बालबोधकम् - ले.-आनन्दचंद्र । प्रायश्चित्तविषयक 46 श्लोकों
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का प्रकरण ।
बालबोधतन्त्रम् - लो. काशीनाथ श्लोक 600 | बालबोधिनी ले. वामनाचार्य झलकीकर। मम्मटकृत काव्य प्रकाश की यह आधुनिक एवं सर्वोत्कृष्ट टीका है। टीकाकार ने पूर्ववर्ती प्रायः सभी महत्त्वपूर्ण टीकाओं का परामर्श इसमें किया है।
बालम्भट्टी - ले. - लेखिका- लक्ष्मीदेवी। विषय- आचार, व्यवहार एवं प्रायश्चित्त । घारपुरे द्वारा प्रकाशित। घारपुरे ने व्यवहार के अंश का अनुवाद किया है। बालभागवतम् ले. धर्मसूरि । ई. 15 वीं शती । बालभारत या प्रचण्डपाण्डवम् (नाटक) ले. - राजशेखर ।
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संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड / 215
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