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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिव्यनिर्णय - ले- दामोदर ठक्कर। संग्रामशाह के राज्य में संगृहीत। विषय धर्मशास्त्र। दिव्यप्रबन्ध - ले.-व्यंकटेश वामन सोवनी। दिव्यवाणी - मासिक पत्रिका। संपादक-सूर्यनारायण मिश्र । दिव्यसंग्रह - ले- सदानन्द । दिव्यसिंहकारिका - ले- दिव्यसिंह । लेखक के कालदीप एवं श्राद्धदीप का पद्यात्मक संक्षेप। दिव्यशास्त्रतंत्रम् - इस में चौदह पीठ (अध्याय) हैं। यह ग्रंथ शाबरतंत्र नाम से अरुणोदय और इन्द्रजाल-संग्रह में मुद्रित हो चुका है। दिव्यसूरिचरितम् - कवि- गरुडवाहन पण्डित। विषय- अलवार संप्रदाय के 12 वैष्णव साधुओं का चरित्र । दिव्यावदानम् - महत्त्वपूर्ण अवदान ग्रंथ। ई. 2 री शती। यह अवदानशतक के बाद की रचना है। मूल संस्कृत का सम्पादन डॉ. कॉवल तथा नील द्वारा हुआ। अंग्रेजी, जर्मन अंशानुवाद के साथ जे.एस. स्पेयर की आलेचनात्मक टिप्पणियां हैं। नवीनतम संस्करण पी.एल. वैद्य द्वारा प्रकाशित हुआ। इस में महायान तत्त्व यत्र तत्र उपलब्ध है। तथापि संपूर्ण रचना हीनयान के अनुकूल है। अवदानशतक का इस पर प्रभाव स्पष्ट दीख पडता है। इसमें अधिकांश कथाएं सरल संस्कृत गद्य में तथा कतिपय अंश काव्य शैली में हैं। सालंकार रचनायुक्त, कहीं दीर्घ समास भी पाए जाते हैं। अधिकांश कथाएं अन्य ग्रंथों में भी प्राप्त होती हैं। इस रचना के 26 से 29 तक परिच्छेद अशोकावदान नाम से ज्ञात हैं। दिव्यानुष्ठानपद्धति - ले- नारायण भट्ट। ई. 16 वीं शती। पिता-रामेश्वरभट्ट। दीक्षाक्रम - कालीसोपानोल्लासान्तर्गत- श्लोक- 300। शक्ति की उपासना में अधिकार प्राप्ति के लिए साधक को दी जाने वाली दीक्षा की विधि इसमें वर्णित है। उमा- महेश्वर संवादरूप। दीक्षातत्त्वम् - ले- रघुनन्दन । दीक्षातत्त्वप्रकाशिका - ले- रामकिशोर। दीक्षादर्श - ले- देवज्ञान । पिता- वामदेव। दीक्षापद्धति - ले- श्रीहंसानन्दनाथ योगी। श्लोक- 2251 विषय- त्रिपुरसुन्दरी की तांत्रिक उपासना में अधिकार-प्राप्ति के लिए साधक को दी जाने वाली दीक्षा के नियम, विधि इत्यादि। दीक्षाप्रकाश - ले-जीवनाथ। श्लोक- 1898 । दीक्षाविधानम् - परमानन्दतंत्रान्तर्गत, सपादलक्ष (125000) श्लोकात्मक, उमा-महेश्वर संवादरूप। विषय- शक्ति की उपासना में अधिकार सिद्धि के लिए साधक की आम्नायदीक्षा- विधि । दीक्षाविधि - इसमें क्रियादीक्षा, वर्णदीक्षा, कलावती, स्पर्श, दृग, वेध, शाक्त, यामल, पंचपंचिका, चरण, मेध्य, कौशिकी आदि दीक्षाएं तथा पूर्णाभिषेक वर्णित हैं। दीक्षाविनोद - ले-रामेश्वर शुक्ल। दीक्षासेतु - ले- रामशंकर। विषय- तंत्रशास्त्र । दीक्षितेन्द्रचरितम् (महाकाव्य) - ले- वे. राघवन्। मद्रास विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष। प्रस्तुत काव्य में श्री मुत्तुस्वामी दीक्षित का चरित्रवर्णन है। चरित्रनायक बडे योगी थे तथा उन्होंने कर्नाटकीय पद्धति के अनुसार सैकडों संस्कृत गीतों की संगीतमय रचना की है। यह महाकाव्य इ. 1955 में मद्रास में प्रकाशित हुआ। इस अवसर पर जगद्गुरु कांचीपीठाधीश्वर ने डॉ. राघवन् कवि को "कविकोकिल" उपाधि प्रदान की। दीधिति - ले- रघुनाथ शिरोमणि। ई. 14 वीं शती। यह गंगेशोपाध्याय कृत सुप्रसिद्ध ग्रंथ तत्त्वचिंतामणि की महत्त्वपूर्ण व्याख्या है। (2) ले-बदरीनाथ शर्मा । ध्वन्यालोक की टीका । दीधितिटीका - ले- रामभद्र सार्वभौम । दीधितिरहस्यम् - ले- मथुरानाथ तर्कवागीश। पिता- रघुनाथ के ग्रंथ की टीका। दीनदासो रघुनाथः- ले-यतीन्द्रविमल चौधुरी। प्राच्यवाणी, कलकत्ता से सन 1962 में प्रकाशित। चैतन्य महाप्रभु के 474 वें जन्मदिन पर अभिनीत। अंकसंख्या- बारह। वैष्णव भक्त रघुनाथ का जीवनचरित्र वर्णित । दी न्यू टेस्टामेन्ट ऑफ जेसूस ख्रिस्ट- मूल-यूनानी से संस्कृत अनुवाद, विलियम केरी के अधीक्षण में, श्रीरामपुर के पादरी द्वारा सन 1808 से 1811 इ.। 3 खंड। (2) संस्कृत अनुवाद श्रीरामपूर के पादरी द्वारा। ई. 18211 (3) मूल हिब्रू से संस्कृत अनुवाद बैप्टिस्ट पादरी द्वारा। कलकत्ता में ई. 1843 में प्रकाशित। (4) संस्कृत अनुवाद, स्कूल बुक सोसायटी मुद्रणालय, कलकत्ता ई. 1842 । (5) हिब्रू से संस्कृत अनुवाद, बैप्टिस्ट मिशन मुद्रणालय, कलकत्ता। ई. 1846। दीपक - ले-भद्रेश्वर सूरि। गणरत्न महोदधिकार द्वारा उद्धृत । विषय- व्याकरण। दीपकर्मरहस्यम् - उड्डामरतंत्र में कार्तवीयार्जुनविद्या के अन्तर्गत । श्लोक- 2521 दीपकलिका - ले- शूलपाणि । याज्ञवल्क्य स्मृति की टीका । दीपदानरत्नम् - ले- प्रेमनिधि पन्त। विषय- तंत्रशास्त्र। दीपदानविधि - ले- रामचन्द्र । विषय- बटुक भैरव के निमित्त दीपदानविधि - श्लोक- 111। दीपदीपिका - श्लोक-1000 । पटल-81 । विषय- तंत्रशास्त्र । दीपप्रकाश - ले- प्रेमनिधि पन्त । नंद-पुत्र दीनानाथ के प्रेम से शकाब्द 1648 में विरचित। इसमें कार्तवीर्य और बटुक-भैरव को दीप अर्पण की विधि दी है। 138 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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