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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धातुखण्ड के अन्तर्गत खनिजशास्त्र में द्रुतिविद्या, भस्मीकरणविद्या और संकरविद्या नामक विद्याएं मानी गई हैं। उसमें द्रुतिविद्या की रत्नादिसदसज्ज्ञान नामक एक कला है। भस्मीकरणविद्या की क्षारनिपासन, क्षारपरीक्षा, स्नेहनिष्कासन और इष्टिकादिभाजन नाम चार कलाएं हैं। संकरविद्या की कलाएं औषधिसंयोग, काचपात्रादिकरण, लोहाभिसार, मकरंदादिकृति इत्यादि। पृथक्करणविद्या की 1 कला संयोग धातुज्ञान। इस प्रकार शिल्पशास्त्र का धातुखंड समाप्त होता है। 2) साधनखण्ड : शिल्पशास्त्र का दूसरा खंड साधनखंड है। इस खंड में भी 3 शास्त्र होते हैं जिनके नाम है 1) नौकाशास्त्र 2) रथशास्त्र और 3) विमानशास्त्र। नौकाशास्त्र की 3 विद्याएं 1) तरीविद्या 2) नौविद्या और 3) नौकाविद्या। तरीविद्या में बाह्वादिभिः जलतरणम् नामक एक कला है। नौविद्या में सूत्रादि रज्जूकरण और पटबंधन नामक दो कलाएं हैं और नौकाविद्या में नौकानयन की एक कला मानी गई है। रथशास्त्र : इस की 3 विद्याएं 1) पथविद्या 2) घंटापथविद्या और 3) सेतुविद्या। पथविद्या में समभूमिक्रिया और शिलार्चा नामक दो कलाएं हैं। घण्टापथविद्या में विवरणकरण नामक एक कला है और सेतुविद्या में वृत्तखण्डबन्धन, जलबन्धन और वायुबंधन नामक 3 कलाएँ मानी गई हैं। साधन खण्ड के विमानशास्त्र में शकुंतविद्या और विमानविद्या नामक दो विद्याएं हैं। उनमें शकुंतविद्या की शकुंतशिक्षा नामक एक कला और विमानविद्या की स्वलेपादिविक्रिया नामक एक कला होती है। इस प्रकार शिल्पशास्त्र के साधन खंड का विस्तार है। 3) वास्तुखण्डः इस खंड में 1) वेश्मशास्त्र 2) प्राकारशास्त्र और 3) नगररचनाशास्त्र नामक तीन शास्त्रों का अंतर्भाव होता है। वेश्मशास्त्र में 1) वासोविद्या 2) कुट्टिविद्या 3) मंदिरविद्या और 4) प्रासादविद्या नामक चार विद्याओं का अन्तर्भाव होता है। वासोविद्या में चर्म कौषेय कार्पासादि पटबंधन नामक एक कला है। कुट्टिविद्या में 1) मृदाच्छादन और 2) तृणाच्छादन नामक दो कलाएं होती हैं। मंदिरविद्या में चार कलाएं 1) चूर्णावलेप 2) वर्णकर्म 3) दारुकर्म और 4) मृत्कर्म। प्रासादविद्या की कलाएँ 1) चित्राद्यालेखन 2) प्रतिमाकरण 3) तलक्रिया और 4) शिखरकर्म। प्राकारशास्त्र : यह वास्तुखंड का दूसरा शास्त्र है। इसमें 1) दुर्गविद्या 2) कूटविद्या 3) आकरविद्या और 4) युद्धविद्या नामक चार विद्याएं मानी गई हैं। उनमें केवल युद्धविद्या की 1) मल्लयुद्ध 2) शस्त्रसंधान 3) अस्त्रनिपातन 4) व्यूहरचना 5) शल्यहति और 6) वणव्याधिनिराकरण नामक छह कलाओं का अन्तर्भाव होता है। नगररचना शास्त्र - इस शास्त्र में (1) आपण विद्या, (2) राजगृहविद्या, (3) सर्वजनावासीविद्या (4) उपवनविद्या और (5) देवालयविद्या नामक पांच विद्याएं होती हैं। उनमें केवल उपवनविद्या की वनोपवन रचना नामक एक कला मानी गई है। उपरिनिर्दिष्ट वर्गीकरण के अनुसार भारतीय शिल्पशास्त्र एक महाविषय है और उसमें 3 खंड, 9 उपशास्त्र, 31 विद्याएं तथा 64 कलाओं का अन्तर्भाव होता है। आज इन शास्त्र-विद्या-कलाओं का अध्ययन भारत में होता है परंतु उनमें भारतीयता का कोई अंश नहीं है। पाश्चात्य संस्कृति से भारतीय शिल्पशास्त्र के अंगोपांग प्रभावित हो गए हैं। अब इनका महत्त्व केवल ऐतिहासिक स्वरूप का रह गया है। संस्कृत भाषा में लिखे हुए शिल्पशास्त्र विषयक अनेक ग्रंथों के नाम यत्र तत्र उपलब्ध होते हैं। उनमें से कुछ थोडे ही ग्रंथों का अभी तक प्रकाशन हुआ है। भारतीय शिल्पशास्त्र के अर्वाचीन उपासक स्व. रावबहादुर वझे (महाराष्ट्र) ने सन् 1928 में शिल्पशास्त्र विषयक ग्रंथों की नामावली तैयार की थी। उसका निर्देश यहां किया जाता है। अ) सूत्र ग्रंथ :- बोधायन शुल्बसूत्र, हिरण्यकेशी श्रौतसूत्र, कात्यायन श्रौतसूत्र, गौभिल गृहयसूत्र, आश्वलायन गृह्यसूत्र, पाराशरसूत्र और वात्स्यसूत्र। आ) संहिता ग्रंथ :- अर्थवसंहिता, तैत्तिरीय ब्राह्मण, अगस्त्यसंहिता, हारीतसंहिता, विश्वकर्मसंहिता और पद्मसंहिता। इ) पुराण ग्रंथ :- अग्निपुराण, वायुपुराण, गरुडपुराण, देवीपुराण और ब्रह्माण्डपुराण। ई) ज्योतिषग्रंथ :- लग्नशुद्धि, नक्षत्रकल्प, भुवनदीपिका, ग्रहपीडामाला । उ) गणितग्रंथ :- प्रमाणमंजरी, मानविज्ञान, लीलावती-गोलाध्याय, मानसंग्रह, विमानादिमान और मानबोध। ऊ) चित्रविद्याग्रंथ :-कलानिधि, चित्रबाहुल्य, छायापुरुषलक्षण, वर्णसंग्रह, चित्रखंड, चित्रलक्षण, चित्रकर्मीयशिल्प । ए) द्रव्यविद्याग्रंथ :- दारुसंग्रह, काष्ठशाला, काष्ठसंग्रह और मृतसंग्रह। संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड / 69 For Private and Personal Use Only
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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