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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1716 संस्कृत-प्राकृत-हिन्दी एवं अंग्रेजी शब्दकोश चतुर्थवतभावना, चदुत्थवद-भावणा, 1. स्त्री जलचारण, जलचारण, चारण ऋद्धि का एक भेद,a कथा-त्याग, 2. स्त्रयालोक त्याग, 3. स्त्रीसंसर्ग kind of Ridhi. त्याग, 4. प्रागरतस्मरण त्याग, 5. जल्ल, जल्ल, एक ऋद्धि,a kind of Ridhi. वष्येष्टरस-गरिष्ठ-उत्तेजक आहार का त्याग, a जिनकल्प, जिणकप्प, मुनि का एकांकी विहार करना, good think of given up. going alone. चतुर्दश महाविद्या, चउद्दस-महाविज्जा, उत्पाद पूर्व जिनगुणद्धि, जिणगुणद्धि, एक नय, a kind of आदि चौदह पूर्व, knowledge of four naya. जिनेन्द्रगुणसंपत्ति, जिणिंद-गुणसंपति, एक व्रत का teen. चरणानुयोग, चरणाणुजोगो, शास्त्रों का एक भेद, नाम विधि छठ पर्व के 143-144 श्लोक में है, a name lifeful. जिसमें गृहस्थ मुनियों के चारित्र का वर्णन रहता जीव, जीवे, चेतना लक्षण से युक्त, • ज्ञान-दर्शन है, a kind of text. उपयोग युक्त। चारण, चारण, आकाश में चलने वाले ऋद्धिधारी। जीव नामान्तर, जीव णामतर, जीव, प्राणी, जन्तु, मुनि, a kind of Ridhi. क्षेत्रज्ञ, पुरुष, पुमान्, अन्तरात्मा, ज्ञानी, यज्ञ, चारित्र भेद, चारित्तभेद,1. ज्ञानाचार, 2. दर्शनाचार, सत्त्व, प्रज्ञ। • आत्मा, ज्ञ, name of Jiva. 3. चारित्राचार, 4. तप आचार, 5. वीयोवार। जीव भाव, जीवभाव, 1. औपशमिक, 2. क्षायिक, यह पांच प्रकार का आचार भी कहलाता है। 3. क्षायोमशमिक,4.औदयिक,5.पारिणामिक, चारित्र के पांच भेद इस प्रकार भी हैं, 1. a kind of jiva. सामायिक,2. छेदोपस्थापना, 3. परिहारविशुद्धि, ज्योतिरङ्ग, जोइरंग, प्रकाश को देने वाला एक 4. सूक्ष्म साम्पराय, 5. यथाख्यात चारित्र कल्पवृक्ष, a kind of tree, give of light. भावना-ईर्यादि समितियों में यत्न करना, मनोगुप्ति आदि गुप्तियों का पालन और परिषह सहन करना ये चारित्र भावनाएं हैं, kind of ज्ञान, णाण, पदार्थों को साकार-सविकल्पक जानना, character. knowing. ज्ञानोपयोग भेद, णाणोवजोग, 1. मतिज्ञान, 2. श्रुतज्ञान, 3. अवधिज्ञान,4.मनःपर्ययज्ञान, 5. छ बाह्यतप,छह-बहिरतवो,1.अनशन,2.अवमौदार्य, केवलज्ञान, 6. कुमतिज्ञान, 7. कुश्रुत ज्ञान 8. 3.वृत्तिपरिसंख्यान, 4.रस परित्याग, 5.विविक्त कअवधि ज्ञान, kind of knowledge. शय्यासन, 6.काय क्लेश, kind of heat. छेदोपस्थपना, छेदोवट्ठावणा, चारित्र का एक भेद,a kind of character. तत्त्व, तच्च, जीवादि पदार्थों का वास्तविक स्वरूप - अन्तरंग, तप-अंतरंगतव, 1. प्रायश्चित, 2. विनय, 1.जीव, 2. अजीव, • पदार्थ चिन्तन, sign 3. वैय्यावृत्य, 4. स्वाध्याय, 5. व्युत्सर्ग, 6. of tatva. ध्यान, kind of inner heat. तत्त्व भेद, तच्चभेद, 1.मुक्त जीव, 2.संसारी जीव, 3. अजीव, kind of tatva. तत्त्वार्थ, तच्चत्थ, जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म,आकाश और काल ये छह तत्त्वार्थ हैं। इन्हीं को छह द्रव्य जलाचारण, जंघाचारण, चारण ऋद्धि का एक भेद, कहते हैं। जीवादि सात तत्त्व, king of a kind of Ridhi. tatva. ज va. For Private and Personal Use Only
SR No.020646
Book TitleSanskrit Prakrit Hindi Evam English Shabdakosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2011
Total Pages622
LanguageSanskrit, Hindi, Prakrit, English
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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