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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1714 संस्कृत-प्राकृत-हिन्दी एवं अंग्रेजी शब्द कोश आराधना, आराहण, समाधि, अर्चना, पूजा, भक्ति, __worship. आत्त, अट्ट, ध्यान का एक भद। इसक चार भदह- 1. इष्ट, वियोगज, 2. अनिष्टसंयोगज, 3. वेदनाजन्य और 4. निदान, • पीड़ा कष्ट, a kind of inauspicious dhayana, concentration of mind in worldly wor ries. आस्तिक्य, अत्थिक्क, सम्यग दर्शन का एक गुण, आत्मा तथा परलोक आदि का श्रद्धान होना, firm belief in truth. आहार, आहार,शरीर और पर्याप्तियों के योग्य पदगलों का ग्रहण करना, nourishment. उपपादशय्या, उवपाद-सेज्जा, देवों के जन्म लेने का स्थान, a place of deity born. उपयोग, उवजोग 1. ज्ञानोपयोग, 2. दर्शनोपयोग, . योग या अस्तित्व। उपशम श्रेणी, उवसमसेणी, चारित्र मोहनीय, कर्म का उपशम करने वाले आठवें से लेकर 11वें गुण स्थानवी जीवों के परिणाम, subsidential. उपशान्त कषायता, उपसंत-कसायत, ग्यारहवां गुणस्थान, 11th stage of spiritual de velopment. उदय, उदय, कर्म-विपाक का प्रकट होना, opera ___tion of karmas. उदीरणा, उदीरणा, स्थिति और अनुभाग को न्यून करके फल देने के लिए उन्मुख करना, swift operation of karmas. ऋ इन्द्र, इंदो, देवों का स्वामी, • इन्द्रिय विशेष, Indra, organ. इन्द्रक, इंदग, श्रेणीबद्ध विमानों के बीच का विमान, a kind of diety cart. इन्द्रप्रस्थ, इंदपत्थ, प्राचीन नगर जो दिल्ली नाम को प्राप्त है, a name of city. इन्द्रिय, इंदिया, आत्मा की पहचान, a know of soul. ऋजुमति, रिउमइ, ऋजुमति मनःपर्यय ज्ञान नामक ऋद्धि के धारक इस ऋद्धि का धारक सरल मन वचन काय से चिन्तित दूसरे के मन में स्थित रूपी पदार्थों को जानता है, telepathy, a kind of direct cogition. ऋजुसूत्र, रिजुसुत्त, वर्तमान समय मात्र को विषय करना, grasp only present modification. क उत्कृष्टोपारुक स्थान, उक्किट्ठोवारगठाण, ग्यारहवीं प्रतिमा का धारक क्षुल्लक,akind of sage. उत्सर्पिणी, उस्सप्पिणी, जिसमें लोगों के बल विद्या, बुद्धि आदि की वृद्धि होती है, यह 10 कोड़ा-कोड़ा सागर का होता है इसके दुःषमा-दुःषमा आदि छह भेद हैं,akind of time. उत्कर्षण, उक्कस्सण, कर्म प्रकृति की स्थिति और अनुराग में वृद्धि, growth of love and karmas. उपक्रम, उवक्कम, शास्त्र के नाम आदि का वर्णन, उपोद्घात-प्रस्तावना; इसके पांच भेद हैं - आनुपूर्वी, नाम, प्रमाण, अभिध ये, अर्थाधिकार, think of book, chapter of good book. कथा, कहा, कथन-सत्कथा, धर्मकथा और विकथा, story, thought. कनकावली, कणगावगी, एक व्रत का नाम,akind of act of religious. कमल, कमल, संख्या का एक प्रमाण, a measure of number.' करण, करण, सम्यग्दर्शन प्राप्त कराने वाले भाव। इसके 3 भेद हैं,1.अधःकरण,2.अपूर्व करण, 3.अनिवृत्तिकरण, आत्मा का विशुद्ध परिणाम, kind of samyagdarshan. करणानुयोग, करणाणुजोगो, शास्त्रों का एक भेद जिसमें तीन लोक का वर्णन होता है,akind of re For Private and Personal Use Only
SR No.020646
Book TitleSanskrit Prakrit Hindi Evam English Shabdakosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2011
Total Pages622
LanguageSanskrit, Hindi, Prakrit, English
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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