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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुख्य दर्शनों में TM) उपनिषद् 2.6 अन्त' (वेद | ( 976 ) धार्मिक अध्ययन, वेदाध्ययन, अध्यापकः वेद का (कुछ लोग इस शब्द का अर्थ इस स्थान पर 'मोहर पढ़ाने वाला, धर्मगुरु, अन्तः 1. 'वेद का अन्त' (वेद की अंगूठी' समझते हैं 3. किसी मन्दिर या महल का के अन्त में आने वाली) उपनिषद् 2. हिन्दुओं के छ: चौकोर सहन 4. मुद्रा-अंगूठी 5. सरस्वती 6. भूखण्ड, मख्य दर्शनों में अन्तिम दर्शन ('वेदान्त' इसलिए प्रदेश / सम०-जा द्रौपदी का विशेषण, क्योंकि यह कहलाता है कि यह वेद के अन्तिम ध्येय और कार्य- राजा द्रुपद की यज्ञवेदी के मध्य से उत्पन्न हुई थी। क्षेत्र की शिक्षा देता है, या इसलिए कि यह उन उप- वेदिका वेदी-कन-टाप, ह्रस्व] 1. यज्ञभूमि या वेदी निषदों पर आधारित है जो वेद का अन्तिम भाग हैं), 3. चबूतरा, उच्चसमतलभूमि (जो प्रायः धर्मकृत्यों के (दर्शन की इस पद्धति को कभी-कभी 'उत्तरमीमांसा' | लिये ठीक की गई हो-सप्तपर्णवेदिका--- श०१, के नाम से पुकारते हैं, यही जैमिनि की पूर्वमीमांसा | कु० 3 / 44 3. आसन 4. वेदी, ढेप, टीला, मन्दाकिका उत्तरार्ध, या अन्तिम भाग है, परन्तु व्यवहारतः नीसंकतवेदिकाभिः -- कु. 1229, 'वेदी या रेत के यह एक स्वतंत्र शास्त्र है, दे० मीमांसा, यह हिन्दुओं टीले बना कर' 5. आंगन में बीच में बना चौकोर के 'सर्वं खल्विदं ब्रह्म' के सर्वेश्वरवाद का प्रवर्तक है, चबुतरा 6. लतामंडप, निकुंज। इसके अनुसार समस्त विश्व एक ही अनादि शक्ति | वेबिन (वि.) [विद+णिनि] 1. ज्ञाता जैसा कि 'कृतअर्थात् ब्रह्म या परमात्मा का संश्लिष्ट रूप है, दे० ___ वेदिन्' में 2. विवाह करने वाला, (पुं०) 1. जानकार 'ब्रह्मन्' भी) °गः, 'श:, वेदान्त दर्शन का अनुयायी, ___2. अध्यापक 3. विद्वान् पुरुष 4. ब्राह्मण का विशेषण / -अन्तिन् (पुं०) वेदान्त दर्शन का अनुयायी,-अर्थः वेदी दे० 'वेदि (स्त्री०)। वेदों का अर्थ,-अवतारः वेदों का प्रकटीकरण, वेद्य (वि०) [विद्+ण्यत्] 1. ज्ञात होने के योग्य अर्थात् ईश्वरीय संदेश,---आदि (नपुं०),--आदिवर्णः 2. व्याख्येय या शिक्षणीय 3. विवाहित होने के योग्य / -आविबीजम् 'ओम्' की पुनीत ध्वनि, - उक्त वेधः [विष्+धा] 1. छेद करना, बींधना, छिद्र युक्त (वि.) शास्त्रसम्मत, वेदविहित, कौलेयकः शिव करना 2. घायल करना, धाव 3. छिद्र, खुदाई या का विशेषण,--गर्भः 1. ब्रह्म का विशेषण 2. वेदों का गर्त 4. (खुदाई की) गहराई 5. समय की माप ज्ञाता ब्राह्मण, सः वेदों को जानने वाला ब्राह्मण, - त्रयम्,-- त्रयी सामूहिक रूप से तीनों वेद, वेषकः विध+पवुल्] 1. नरक के एक प्रभाग का नाम -निन्दकः नास्तिक, पाखण्डी, श्रद्धाहीन (जो वेद के 2. कपूर, कम् बाल में विद्यमान चावल। स्वरूप तथा उसके अपौरुषेयत्व पर विश्वास नहीं बेधनम [विष+ ल्युट] 1. छेदने या बींधने की क्रिया करता है),-निन्दा अविश्वास, पाखण्ड,-पारगः2. प्रवेशन, छेदन 3. शून्यीकरण, वेघन 4. चुभोना, वेदों में पारंगत ब्राह्मण,--मातु (स्त्री०) वैदिक घायल करना 5. (खदाई की) गहराई। पुनीत मंत्र, गायत्रीमंत्र, वचनम्,-वाक्यम् वेद का वेषनिका [वेधनी+कन्+-टाप, ह्रस्व एक तेज नोक मूलपाठ, वदनम् व्याकरण,-वासः ब्राह्मण,- बाह्य वाला उपकरण जिससे मणि या सीप आदि में छिद्र (वि०) वेद के विरुद्ध, जो वेद में उपलब्ध न हो, किये जाते हैं, बर्मा। -विद (0) वेदविशारद ब्राह्मण,-विहित वेधनी विधन-कीप] 1. हाथी का कान बींधने वाला (वि०) वेदों में जिसका विधान पाया जाय, व्यासः उपकरण 2. एक तेज नोक का सीप व मणि आदि व्यास का विशेषण जिसने वेदों को वर्तमान रूप दिया को बींधने वाला उपकरण, बर्मा / है, दे० व्यास, --संन्यासः वेदों के कर्मकाण्ड का | वेषस् (पुं०) [विधा+असुन, गुणः] 1. स्रष्टा-मा० त्याग। श२१ 2. ब्रह्मा, विधाता तं वेधा विदधे नूनं महाबेवनम्, वेदना [विद्+ल्यूट] 1. ज्ञान, प्रत्यक्षज्ञान भूतसमाधिना रघु० 229, कु० 2 / 16, 5 / 41 2. भावना, संवेदन 3. पीडा, संताप, क्लेश, अधि 3. गौण सष्टिकर्ता (जैसे कि ब्रह्म से उत्पन्न दक्ष .. अवेदनाशं कुलिशक्षतानाम् . . कु० 220, रघु० प्रजापति) कु० 2114 4. शिव इ. विष्णु 6. सूर्य 850 4. अधिग्रहण, दौलत, जायदाद 5. विवाह 7. मदार का पौधा 8. विद्वान् पुरुष / -~-मनु० 3 / 44, 9 / 65, याज्ञ० 1062 / वेषसम् [वेधस+अन्] अंगूठे की जड़ के नीचे का हथेली वेवारः [वेद+ऋ+अण] गिरगिट / का भाग। वेविः [विद्+इन् विद्वान् पुरुष, मषि, पंडित, विः,ची वेधित (भू० क. कृ०) [वेध+इतच्] बींधा हुआ, (स्त्री०) 1. यज्ञकार्य के लिए तैयार की हुई भूमि, छिद्रित / वेदी, 2. वेदी विशेष जिसके मध्यवर्ती किनारे परस्पर वेन (म्वा० उभ० वेनति–ते) दे. वेण् / मिले हुए हों-मध्येन सा वेदिविलग्नमध्या-कु. 1137 / वेला दे० 'वेणा'। विशेष / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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