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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हुआ। --वः बादल (वम्) तूतिया, - वन्तकः साँप,-वर्शन-। विशेषण,--अन्नम् अनोखा या अनियमित आहार मृत्युकः,- मृत्युः एक पक्षी (इसे चकोर कहते हैं), ---- आयुधः,-इषः,-शरः कामदेव के विशेषण, -घरः साँप-भामि० 1174, निलयः निम्नतर - कालः अननुकूल ऋतु, चतुरस्रः, चतुर्भुजः प्रदेश, साँपों का बिल,- पुष्पम् नील कमल,-- प्रयोगः विषभ कोण वाला चतुष्कोण, छवः सप्तपर्ण नाम जहर का इस्तेमाल, जहर देना,-भिषज्,-वैद्यः का पेड़,- ज्वरः कभी कम तथा कभी अधिक होने विषनाशक औषधियों का विक्रेता, साँपों के काटने वाला बुखार, लक्ष्मीः दुर्भाग्य, विभागः सम्पत्ति की चिकित्सा करने वाला-संप्रति विषवद्यानां कर्म- का असमान वितरण,--स्थ (वि०) 1. दुर्गम स्थिति मालवि० ४,--मन्त्रः 1. साँप के काटे का विष में होने वाला 2. कठिनाई में रहने वाला, अभागा। उतारने का मन्त्र 2. सपेरा, बाजीगर,-वक्षः जहरीला विवमित (वि.) [विषम+इतन्] 1. ऊबड़-खाबड़ किया पेड़, -विषवृक्षोऽपि संवयं स्वयं छत्तमसाम्प्रतम् हुमा, असम, कुटिल 2. सिकुड़न वाला, त्योरीदार -कु० 2 / 55, न्याय व्याय के नीचे देखो,-वेगः 3. कठिन या दुर्गम बनाया गया। जहर का संचार या प्रभाव,-शालकः कमल की जड़ | विषयः [विषिण्वन्ति स्वात्मकतया विषयिणं संबध्नन्ति - शूकः,-शृङ्गिन्, सक्कन् (पुं० ) भिड़, बर्र, -वि+सि+अच्, षत्वम्] ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्राप्त -हृदय (वि०) विषाक्त दिलवाला अर्थात् दुष्टहृदय, पदार्थ (यह पांचों ज्ञानन्द्रियों के अनुरूप गिनती में मलिनात्मा / पांच हैं- रूप, रस, गंध, स्पर्श और शब्द जिनका विषक्त (भू० क. कृ०) [वि+सङ्ग्+क्त] 1. दृढ़ता- संबंध क्रमशः आँख, जिह्वा, नाक, त्वचा और कान पूर्वक जमा हुआ, सटा हुआ 2. चिपटा हुआ, चिपका से है),--श्रुतिविषयगुणा या स्थिता व्याप्य विश्वम् ----श० 1112. लौकिक पदार्थ, या वस्तु, मामला, विषण्डम् [विशेषेण पंडम् -प्रा० स०] कमलडण्डी के तन्तु लेन-देन 3. ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्राप्त आनन्द, लौकिक या रेशे। या मैथुनसंबन्धी उपभोग, वासनात्मक पदार्थ (प्रायः विषण्ण (भू० क० कृ०) [वि+सद्+क्त खित्र, मुंह ब. व. में), यौवने विषयषिणाम् --रधु० 18, लटकाये हुए, उदास, दुःखी, निरुत्साह, हताश / सम. निविष्ट विषयस्नेहः--१२।१, 3170,8 / 10, 19649, --मुख, बबन (वि.) उदास दिखाई देने वाला, विक्रम० 129, भग० 2 / 594. पदार्थ, वस्तु, मामला, -सप (जि०) उदासी की अवस्था में पड़ा हुआ। बात-नार्यों न जग्मुविषयांतराणि-रघु० 7 / 12, विषम (वि०) विगतो विरुद्धो वा समः-प्रा० स०] 1. जो 889 5. उद्दिष्ट पदार्थ या वस्तु, चिह्न, निशान सम या समान न हो, खुरदरा, ऊबड़-खाबड़ -पथिषु ...भूयिष्ठमन्यविपया न तु दृष्टि रस्याः श० 1131, विषमेष्वप्यचलता मुद्रा० 3 / 3, पञ्च० 164, मेष० शि० 9 / 40 6. कार्यक्षेत्र, परास, पहुँच, परिघि 19 2. अनियमित, असमान-मा० 9 / 43 3. उच्चा- -सौमित्ररपि परिणामविषये तत्र प्रिये का भोः वच, असम 4. कठिन, समझने में दुष्कर, आश्चर्य- -उत्तर० 3 / 45, सकलवचनानामविषयः-मा० जनक कि० 23 5. अगम्य, दुर्गम-कि० 2 / 3 1 / 30, 36, उत्तर० 5 / 19, कु० 6 / 17 7. विभाग, 6. मोटा, स्थल 7. तिरछा मा० 4 // 2. पीड़ाकर, क्षेत्र, प्रान्त, भूमि, तत्त्व सर्वत्रौदरिक्तस्याभ्यवहार्यमेव कष्टदायक-भर्तृ० 3 / 105 1. बहुत मजबूत, उत्कट विषयः विक्रम० 3 8. विषयवस्तु, आलोच्य विषय, -मा० 3 / 9 10. खतरनाक, भयानक मुच्छ / प्रसंग,---भामि० 1110, इसी प्रकार 'शृङ्गारविषयको 811, 27 मुद्रा० 118, 2 / 20 11. बुरा, प्रतिकूल, ग्रन्थः' ऐसी पुस्तक जिसमें प्रीतिविषयक बातों का विपरीत--पच०४११६ 12. अजीब, अनोखा, अनु- उल्लेख हो 9. व्याख्येय प्रसंग या विषय, शीर्षक, पम 13. बेईमान, कैलापूर्ण, - मम् 1. असनता अधिकरण के पांचों अंगों में से पहला 10. स्थान, 2. अनोखापन 3. दुर्गम स्थान, चट्टान, गड़ढा आदि जगह-परिसरविषयेष लीढमक्ताः कि० 5 / 35 4. कठिन या खतरनाक स्थिति, कठिनाई, दुर्भाग्य, - 11. देश, राष्ट, राज्य, प्रदेश, मंडल, साम्राज्य 12. सुप्तं प्रमत्तं विषमस्थितं वा रक्षन्ति पुण्यानि पुरा- शरण, आश्रय 13. ग्रामों का समह 14. प्रेमी, पति कृतानि भर्त० 2097, भग० 2 / 2 . एक अलंकार 15. वीर्य, शुक्र 16, धार्मिक अनुष्ठान (विषय की का नाम जिसमें कार्य कारण के बीच में कोई अनोखा बावत, के विषय में, के संबंध में, इस मामले में के या अघटनीय संबंध दर्शाया जाता है -- यह चार | बारे में, बाबत-या तवास्ते यतिविषये सष्टिराप्रकार का माना जाता है--दे० काव्य०, का० 126 द्येव धातुः- मेघ० 82, स्त्रीणां विषये, धनविषये व १२७,-मः विष्णु का नाम / सम० - अक्षः, आदि)। सम० ---अभिरतिः 1. सांसारिक विषय -ईक्षणः,-नयनः,-नेत्रः,-लोचनः शिव के / / वासनाओं में आसक्ति --कि० 6144, इसी प्रकार For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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