________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करना-किमिति 621, भट्टि° श 2. समझदारी। भोजन जिसके खान 0 176310) जतलाना, 2117, रघु० 3139, मनु० 1133, कु० 6 / 30, प्रेर०। गर्वस्तस्य न विद्यते, वित्ते धर्म सदा सद्धिस्तेष ---(वेदयति-ते) 1. जतलाना, सूचना देना, सूचित पूजां च विदति ) / करना, अवगत कराना, बताना 2. अध्यापन विद् (वि.) [विद्+क्विपू] (समास के अन्त में) जानने करना, व्याख्या करना,-वेदार्थस्वानवेदयत्-सिद्धा० वाला, जानकार, वेदविद् आदि, (पुं०) 1. बुधग्रह 3. महसूस करना, अनुभव करना -मनु० 12113, 2. विद्वान् पुरुष, बुद्धिमान मनुष्य ... (स्त्री०) 1. ज्ञान आ-, (प्रर०) 1. घोषणा करना, कहना, प्रकथन 2. समझ, बुद्धि। करना-किमिति नावेदयति अथवा किमावेदितेन- | विवः [ विद्+क] 1. विद्वान् पुरुष, बुद्धिमान मनुष्य, वेणी० 1, रघु० 12155, कु० 6 / 21, भट्टि० 3149 पंडितजन 2. बुधग्रह, दा 1. ज्ञान, अधिगम 2. प्रदर्शन करना, दिखाना इंगित करना-आवेदयंति प्रत्यासनमानंदमग्रजातानि शुभानि निमित्तानि-का० | विदंशः [वि+दंश्+घञ 1 चटपटा भोजन जिसके खाने 3. प्रस्तुत करना, देना, नि-, (प्रेर०) 1. बताना, से प्यास अधिक लगे। समाचार देना, सूचित करना (संप्र. के साथ)-रघु० विदग्ध (भू० क० कृ०) [वि+दह+क] 1. जला 2168 2. अपनी उपस्थिति की घोषणा करना-कथ हुआ, आग से भस्म हुआ 2. पका हुआ 3. पचा हुआ मात्मानं निवेदयामि-श० 1 3. इंगित करना, 4. नष्ट किया हुआ, गला-सड़ा 5. चतुर, कुशाग्रबुद्धि, दिखलाना -- दिगंबरत्वेन निवेदितं वसु-कु० 5 / 72 निपुण, सूक्ष्मदर्शी 6. धूर्त, कलाभिज्ञ, षड्यंत्रकारी 4. प्रस्तुत करना, उपस्थित होना, भेंट चढ़ाना-मनु० 7. अनजला या अनपचा,-धः 1. बुद्धिमान या विद्वान 2151, याज्ञ. 1227 5. देख रेख में सौंपना, दे देना, पुरुष, विद्याव्यसनी 2. स्वेच्छाचारी,-ग्धा चालाक, प्रति-(प्रेर०) समाचार देना सूचित करना, सम्-, चतुर स्त्री, कलाविद् स्त्री। (आ०) जानना, सावधान होना--भट्टि० 5 / 37. विदयः [विद्+कथच् ] 1. विद्वान् पुरुष, विद्याव्यसनी 8 / 17 2. पहचानना, (प्रेर०) जतलाना, प्रत्यक्ष ज्ञान 2. संन्यासी, मुनि।। विवरः [वि++अप् ] तोड़ना, फटना, विदीर्ण होना, ii (दिवा० आ० विद्यते, वित्त) होना, विद्यमान होना -रम् कांटेदारी नाशपाती, ककारी वृक्ष। -अपापानां कुले जाते मयि पापं न विद्यते -मच्छ० विवर्भाः (पु०, ब० व०) [ विगता दर्भाः कुशा यतः ] 9 / 37, नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः 1. एक जिले का नाम, आधुनिक बरार-अस्ति विदर्भो भग०२।१६ (तु० 'अस्')। नाम जनपद:-दश०, अस्ति विदर्भेषु पद्मपुरं नाम iii (तदा० उभ० विदति-ते, वित्त) 1. हासिल करना नगरम् -- मा० 1, रघु० 5 / 40, 60, नै० 1150 प्राप्त करना, अवाप्त करना, उपलब्ध करना---एकम 2. विदर्भ के निवासी,-भः 1. विदर्भ देश का राजा प्यास्थितः सम्यगुभयोविंदते फलम् -भग० 5 / 4, 2. सूखी या मरुभूमि / सम० ---जा,-तनया, याज्ञ० 31192 2. मालम करना, खोजना, पहचानना, -----राजतनया,---सुभ्रः विदर्भ- राज की पुत्री दमयन्ती यथा धेनुसहस्रेषु वत्सो विदति मातरम्-सुभा०, के विशेषण / कु० श६, मनु०८।१०९3. महसूस करना, अनुभव विवल (वि.) [विघट्टितानि दलानि यस्य वि+दल करना-रघु० 14156, भग० 5 / 21, 1124, 18 +क] 1. टुकड़े टुकड़े हुए, आरपार चीरा हुआ 45 4.विवाह करना-मनु० 9 / 69, अनु-, 1. हासिल 2. खुला हुआ, (फूल आदि) खिला हुआ, ल: 1. करना, प्राप्त करना 2. भुगतना, अनुभव करना, विभक्त करना, अलग अलग करना 2. फाड़ना, टुकड़े महसूस करना-पाय मंदमते कि वा संतापमन विंदसि टुकड़े करना 3. रोटी 4. पहाड़ी आबनूस, - लम् 1. -भामि० 21112, गीत०४। बाँस की खपचियों की बनी टोकरी, या लचीली iv (रुघा० आ० वित्ते, वित्त या विन्न) 1. जानना, डालियों की बनी बस्तुएँ 2. अनार की छाल 3. टहनी समझना 2. मानना, लिहाज करना, समझना-न 4. किसी द्रव्य की फाँक / तणेह्रीति लोकोऽयं वित्त मां निष्पराक्रमम्-भट्रि० विवलनम् [वि+दलल्युट ] खण्ड खण्ड करना, फाड़ 6139 3. मालूम करना, भेंट होना 4. तर्क करना, / कर अलग अलग करना, काटना, विभक्त करन। विमर्श करना 5. परीक्षण करना, पूछताछ करना।। विदारः [वि++घञ ] 1. फाड़ना, चीरना, खण खण्ड v (चरा. आ. वेदयते) 1. कहना, प्रकथन करना, करना 2. संग्राम, युद्ध 3. (किसी नदी याड तालाब घोषणा करना, समाचार देना 2. महसूस करना, अनु- का) ऊपर से बहना, जलप्लावन / भव करना 3. रहना (निम्नांकित श्लोक में धातु के | विदारकः [वि++ण्वुल ] 1. फाड़ने वाला, बाँटने वाला विभिन्न रूपों का उल्लेख है----वेत्ति सर्वाणि शास्त्राणि | 2. नदी की धार के मध्य में स्थित वृक्ष या चटान i (दिवा० For Private and Personal Use Only