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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 930 ) ii(चुरा० उभ० विच्छयति-ते) 1. चमकना 2. बोलना।। पृथक होना. वियोग 2. ह्रास, क्षय, पतन 3. विचलन विच्छन्दः, विच्छन्दकः [विशिष्टः छन्दोऽभिप्रायो यस्मिन् 4. गर्भसाव, असफलता जैसा कि 'गभंविच्युति' -ब० स०, पक्षे कन् च महल, विशालभवन जिसमें में। कई खण्ड या मजिल हों। विज i (जहो० उभ० वेवेक्ति, वेविक्ते, विक्त) 1. बिच्छर्दकः [वि-+छद्+ण्वुल] महल, प्रासाद, दे० ऊ० वियक्त करना, विभक्त करना 2. भेद करना, अन्तर विच्छंद'। पहचानना, विवेचन करना (प्रायः वि पूर्वक, तथा विच्छन्नम् [वि+छ+ ल्युट्] के करना, उलटी करना, दिपूर्वक विच के समान)। उगलना। ii (तुदा० आ०, रुधा० पर० विजते, विनक्ति, विच्छदित (भू. क. कृ०) [वि.+छद्+क्त] 1. के विग्न) 1. हिलना, कांपना 2. बिक्षब्ध होना, भय से किया हुआ, उगला हुआ 2. जिसकी अवज्ञा की गई कांपना 3. डरना, भयभीत होना-चक्रंद विग्ना हो, जिसकी उपेक्षा की गई हो 3. टूटा-फूटा, न्यूनीकृत। कुररीव भूयः--रघु० 14 / 68 4. दुखी होना, कष्टग्रस्त विच्छाय (वि.)[विगता छाया यस्य-प्रा० ब०] निष्प्रभ, होना, प्रेर० (वेजयतिते) त्रास देना, डराना, धुन्धला,--रत्न० ११२६,-यः मणि, रत्न / आ-, डरना, उद् , भयभीत होना, डरना (प्रायः विच्छित्तिः (स्त्री०)[वि+छिद्+क्तिन] 1. काट डालना, अपा० के साथ, कभी कभी संबं० के साथ) तीक्ष्णादु फाड़ देना-भर्तृ० 3 / 11 2. बांटना, अलग-अलग द्विजते मद्रा० 315, यस्मान्नोद्विजते लोको लोकाकरना 3. अन्तर्धान, अनुपस्थिति, लोप 4. विराम न्लोद्विजते च यः भग० 1215, भट्रि० 7192 2. 5. शरीर को उबटन या रङ्गलेप से रङ्गना, रङ्ग खिन्न या कष्टग्रस्त होना, दुःखी होना न प्रहृष्यत्प्रियं चित्रण, महावर-श. 75, शि. 1684 6. सीता प्राप्य नोद्विजेत् प्राप्य चाप्रियम् भग०५।२० 3.ऊबना (घर आदि की) हद 7. कविता में विराम, यति (अपा० के साथ) जीविताद्विजमानेन मा० 3, 8. विशेष प्रकार की शृङ्गारप्रिय भावभंगिमा, जिसमें मनो नोद्विजते तस्य दहतोऽर्थमहर्निशम, उद्विनक्ति वेशभूषा के प्रति उपेक्षा भी सम्मिलित हो (अपने तु संसारादसारातत्त्ववेदिनः .- कवि० 4. डराना, व्यक्तिगत सौन्दर्य के अभिमान के कारण)-स्तोकाप्या कष्ट देना, (प्रेर०). 1. कष्ट देना, तंग करना- कु० कल्परचना विच्छित्ति: कांतिपोषकृत् -सा० द० 115, 11 2. डराना। 138 / विजन (वि.) [ विगतो जनो यस्मात् .. ब. स.] विच्छिन्न (भू० क. कृ.)[ वि+छिद्+क्त ] 1. फाड़ा | अकेला, सेवानिवृत्त, एकाकी, नम एकान्त स्थान, हुआ, काटा हुआ 2. तोड़ा हुआ, पृथक् किया हुआ, - सुनसान स्थान (विजने निजी रूप से) / विभक्त, वियुक्त अर्धे विच्छिन्नम् श० श९ 3. | विजननम् [वि+जन्+ल्युट ] जन्म प्रसृष्टि, प्रसव / हस्तक्षेप किया गया, रोका गया 4. अन्त किया गया, विजन्मन् (वि. या पुं०) [विरुद्ध जन्म यस्य - प्रा० बन्द किया गया, समाप्त किया गया 5. चितकबरा व.] हरामी, जो अवैधरूप से उत्पन्न हआ है। 6. गुप्त 7. उबटन आदि रंगलेप से पोता गया (दे० विजपिलम् [विज्+क, पिल+क, कर्म० स ] गारा, वि पूर्वक छिद्)। / कीचड़। विच्छुरित (भू० क० कृ०) [ विच्छुर्+क्त ] 1. ढका | विजयः [वि+जि+घञ्] 1. जीतना, हराना, परास्त करना गया, ऊपर ले फैलाया गया, पोता गया 2. जड़ा गया 2. जीत, फतह, जय यात्रा-कि० 10 // 35, रघु०१२।४४, 3. लीपा गया, पोता गया। कु० 3 / 19, श० 2 / 14 3. देवताओं का रथ, दिव्य विच्छेवः [ विछिद+घञ 11. काट डालना, काटना, रथ 4. अर्जुन का नाम -- महा० नाम की व्याख्या विभक्त करना, वियोग-मा० 6.11 2. तोड़ना-शि० करता है-अभिप्रयामि संग्रामे यदहं युद्धदुर्मदान, नाजित्वा 651 3. रोक, हस्तक्षेप, विराम, बन्द कर देना विनिवामि तेन मां विजयं विदुः 5. यम का -विच्छेदमार भुवि यस्तु कथाप्रवंधः का०, पिड- विशेषण 6. ब्रहस्पति की दशा का प्रथम वर्ष 7. विष्ण विच्छेददर्शिनः ..रघु० 1166 4. हटाना, प्रतिषेध के सेवक का नाम। सम०--अभ्युपायः विजय का 5. फूट अनबन 6. पुस्तक का अनुभाग या परिच्छेद साधन या उपाय,---कुंजरः लड़ाई का हाथी,-छंदः 7. अन्तराल, अवकाश / पाँचसी लड़ी का हार,-डिडिमः सेना का विशाल ढोल, विच्युत (भू. क० कृ०) [वि+च्यु+क्त ] 1. अध: --- नगरम् एक नगर का नाम,-मर्दल: एक विशाल पतित, नीचे गिरा हुआ 2. विस्थापित, पातित 3. सैनिक ढोल,-सिद्धिः (स्त्री०) सफलता, जीत, फतह / व्यतिक्रांत, पथविचलित / विजयंतः (पुं०) इन्द्र का नाम / विच्युतिः (स्त्री०) [वि+च्यु--क्तिन् ] 1. अघः पतन, विजया [ विजय+टाप् ] 1. दुर्गा का नाम 2. उसकी सेवि For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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