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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 3, विद्वांसो वसुधातले परवचः श्लाघासू वाचंयमाः / विशेषक 3. अभिव्यक्त (शब्दार्थ आदि) तु० लक्ष्य -भामि०४॥ 42, रघु० १३१४४,-मः मौन रहने / व्यंग 4. दूपणीय, निन्दनीय, डांटने-फटकारने योग्य वाला मुनि। -शि०२०।६४, हि० 3 / 129, --- च्यम् 1. कलंक, वाचक (वि.) [वक्ति अभिधावृत्त्या बोधयति अर्थान् बच् निन्दा, झिड़की-प्रमदामन संस्थितः शचा नपतिः +ण्वुल] 1. बोलने वाला, घोषणा करने वाला, सन्नितिः वाच्यदर्शनात् रघु० 8172, 84, चिरस्य व्याख्यात्मक 2. अभिव्यक्त करने वाला, अर्थ बतलाने वाच्यं न गतः प्रजापतिः-श० 5.15, शि० 3158 वाला, प्रत्यक्ष संकेत करने वाला (शब्द के रूप में, 2. अभिव्यक्त अर्थ जो अभिधा द्वारा ज्ञात हों, तु० 'लाक्षणिक' और 'व्यंजक' से भिन्न) दे० काव्य० 2 लक्ष्य, व्यंग्य; अपि तु वाच्यवैचित्र्यप्रतिभासादेव 3. मौखिक-क: 1. वक्ता 2. पाठक 3 महत्त्वपूर्ण चारुताप्रतीतिः-काव्य०१० 3. विधेय 4. क्रिया की शब्द 4. दूत। वाच्यता (कर्मवाच्य या भाववाच्य)। सम०-अर्थः वाचनम् [बच्+णि+ल्युट] 1. पढ़ना, पाठ करना अभिव्यक्त अर्थ,-चित्रम अधम काव्य के दो 2. घोषणा, प्रकथन, उच्चारण जैसा कि 'स्वस्ति- भेदों में से एक, इसमें काव्य सौन्दर्य वाचन' 'पुण्याहवाचनम्' में। चमत्कार युक्त तथा उद्भावना युक्त विचारों की बाचनकम् [वाचन+कन्] पहेली, बुझौवल / अभिव्यंजना में निहित है (विप० शब्द चित्र), दे० वाचनिक (वि०) (स्त्री०-की) [वचनेन निवृत्तम् --- ठक्] 'चित्र' भी, -- वज्रम् कठोर और कर्कश भाषा / मौखिक, शब्दों में अभिव्यक्त। वाजः [ व+घञ ] 1. बाजु, डैना 2. पंख 3. बाण का वाचस्पतिः [वाचः पतिः षष्ठयलुक] 'वाणी का स्वामी', पंख ... युद्ध, लड़ाई 5. ध्वनि, - जम् 1. घी 2. श्राद्ध देवों के गुरु बृहस्पति का विशेषण / या औलदहिक क्रिया के अवसर पर प्रदान किया वाचस्पत्यम् [वाचस्पति+ष्य वाकपटुतायुक्त भाषण, गया पिण्ड 3. भोज्यसामग्री 4. जल . यज्ञ की पूर्णा वक्तृता, प्रभावशाली भाषण - तदूरीकृत्य कृतिभिर्वा- हुति का मन्त्र / सम० . पैयः, यम् एक विशेष चस्पत्यं प्रतायते - हि० 3 / 96 (-शि० 2 / 30) / यज्ञ का नाम,-सनः 1. विष्णु का नाम 2. शिव का बाचा [वाक् +आप्] 1. भाषण 2. धार्मिक ग्रन्थों का नाम,-सनिः सूर्य / पाठ, सूत्र 3. शपथ / बाचाट (वि०) वाच्+आटन्, चस्य न क:] बातूनी, शुक्ल यजुवंद या वाजसनेयी संहिता के प्रणेता याज्ञ वाचाल, बहुत बातें करने वाला अरेरे वाचाट वल्क्य का नाम / -वेणी० 3, महावीर० 6, भट्टि० 5 / 23 / वाजसनेयिन् (पुं०) [ वाजसनेय+इनि ] 1. शुल्कयजुबाचाल (वि.) [वाच्+आलच्, चस्य न कः] 1. कोला- वेद के प्रवर्तक तथा प्रणेता याज्ञवल्क्य मुनि का नाम हलपूर्ण, शब्दायमान, क्रन्दनशील 2. बातूनी, बकवास 2. शुल्कयजुर्वेद का अनुयायी, वाजसनेयि संप्रदाय से करने वाला, दे० वाचाट, शि० 1140 / सम्बन्ध रखने वाला। वाधिक (वि.) (स्त्री०-का-की) [वाचाकृतं वाच्+ठक, | बाजिन् (पुं०) [ वाज+इनि ] 1. घोड़ा-न गर्दभा वाजि चन कः] 1. शब्दों से युक्त या अभिव्यक्त वाचिकं धुरं वहन्ति-मृच्छ० 4 / 17, रघु० 3143, 4125, पारुष्यम् 2. मौखिक, शाब्दिक. मौखिक रूप से अभि- 67, शि० 18 / 31 2. बाण 3. पक्षी 4. यजुर्वेद की व्यक्त,-कम् 1. संदेश, मौखिख या शाब्दिक समाचार वाजसनेयिशाखा का अनुयायी। सम०--पृष्ठः गोल--वाचिकमप्यार्येण सिद्धार्थकाच्छोतव्यमिति लिखि- सदाबहार,-भक्षः छोटी मटर,-भोजनः एक प्रकार तम्-मुद्रा० 5, निर्धारितेऽर्थे लेखेन खलूक्त्वा खलु का लोबिया,--मेषः अश्वमेघ यज्ञ,-शाला अस्तबल, वाचिकम् --शि० 2 / 70 2. समाचार, वार्ता, घुड़शाला। खबर। वाजीकर (वि.) [वाज+च्चि++अच ] कामकेलि पाचोयुक्ति (वि.) [वाचो युक्तिः यस्य ब० स०, षष्ठया इच्छाओं का उद्दीपक / अलक बोलने में कुशल, वाक्पटु,-क्तिः (स्त्री०) वाजीकरण [वाज+च्चि++ल्युट] कामोद्दीपकों 'शब्दों का क्रम' घोषणा, अभिज्ञापन, भाषण-यत्र द्वारा कामनाओं को उत्तेजित या उद्दीप्त करना। खल्वियं वाचोयुक्तिः-मा०१। वांछ (भ्वा० पर० बांछति, वांछित) अभिलाषा करना, बाज्य (वि) [वच-कर्मणि ण्यत] 1. कहे जाने या बत- चाहना --न संहतास्तस्य न भिन्नवृत्तयः प्रियाणि लाये जाने के योग्य, संबोधित किये जाने योग्य-वाच्य- वांछत्यसुभिः समीहितुम्-कि० 1119, अभि-, स्त्वया मवचनात्स राजा-रघु 14161, 'मेरी ओर सम् , कामना करना, अभिलाषा करना, इच्छा से राजा को कहिए' 2. अभिषानीय, गुणवाचक, | करना, -भट्टि० 17.53 / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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