________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir .. मेघ० 38 4. उपयोग करना, ले जाना--भट्टि० / वहंतः [वह +झच्] 1. वायु 2. शिशु / 14123, इच्छा० (विवक्षति--ते) ले जाने की इच्छा | वहल (वि.) दे० 'बहल'। करना, अति -, गुजारना, (समय) बिताना, मुख्य वहित्रम्, वहिप्रकम् बहिनी [वह +इत्र, वहिन कन्, रूप से प्रेर०, मा०६।१३, रघु० 9/70, अप-, 1. हाँक वह + इनि-डी डोंगी, बेड़ा, नाव, किश्ती,-प्रत्यकर दूर भगा देना, हटाना, दूर ले जाना रघु० 13 षस्यदृश्यत किमपि वहित्रम्-दश०, प्रलय पयोधिजले 22, 16 / 6 2. छोड़ना, त्यागना, तिलांजलि देना | | धृतवानसि वेदं विहितवहिनचरित्रमखेदम्-गीत०१ / ----- रघु० 11125 3. घटाना, व्यवकलन करना, आ-, [ वहिस दे० 'बहिस्। 1. पूरी तरह समझा देना 2. जन्म देना, पैदा करना | बहिष्क (वि०) वहिस्--कन्] बाहरी, बाह्यपत्रसंबंधी। प्रवत्त होना या झुकना-बीडमावति मे स संप्रति | वहेडकः (पुं०) बहेड़े का पेड़, विभीतक का वृक्ष। रघु० 11173, श० 34 3. वहन करना, कब्जे में | | वह्निः [वह +निः] 1. अग्नि- अतृणे पतितो वह्निः स्वयमेकरना, रखना- चौर० 18 4. बहना 5. प्रयोग वोपशाम्यति सुभा० 2. पाचनशक्ति, आमाशय का करना, उपयोग करना (प्रेर०) (देवता का) आवाहन रस 3. हाजमा, भूख लगना + यान / सम० कर करना, उन् , 1. विवाह करना ...पार्थिवीमुदवह (वि०) 1. अन्तर्दाहक 2. पाचनशक्ति को उद्दीप्त द्रघूद्वहः - रघु० 11154, मनु० 318, भट्टि० 2148 करने वाला, क्षुधावर्धक,-काष्ठम् एक प्रकार की 2. ऊपर उठाना, उन्नत होना 3. संभालना, जीवित अगर को लकड़ी, गंधः धूप, लोबान,-गर्भः 1. बांस रखना, ऊँचे उठाना, सहारा देना-रघु० 16160 2. शमी या जैडी का वृक्ष, तु० अग्निगर्भ',-दीपकाः . भुगतना, अनुभव करना 5. अधिकार में करना, कुसंभ का पेड़, --भोग्यम् घी,--मित्रः हवा, वायु, रखना, पहनना, धारण करना, * कु० 1319, विक्रम ----- रेतस् (पुं०) शिव का विशेषण,-लोहम्,- लोहकम् 4 / 42 7. समाप्त करना, पूरा करना, उप-, तांबा, वर्णम् लाल रंग का कुमदु, रक्तोत्पल, 1. निकट लाना 2. उपक्रम करना, आरम्भ करना, --वल्लभः राल,--बीजम् 1. सोना 2. चूना--शिखम् नि-, संभाले रखना, जीवित रखना, सहारा देना / 1. केसर 2. कुसुंभ, सखः हवा, * संज्ञकः चित्रकवृक्ष / वेदानुद्धरते जगन्निवहते---- गीत०१, निस-, 1. समाप्त होना 2. अवलंबित होना,''की सहायता से निर्वाह वह्यम् [वह+यत्] 1. गाडी 2. यान, सवारी,-ह्या एक करना,(प्रेर०)-समाप्ति तक ले जाना, पूरा करना, मुनि की पत्नी। समाप्त करना, प्रबंध करना-श० 3, परि , छल वल्लिक, बल्लीक दें बलिक, बह्लीक' / वा (अव्य०) वा--विवप्] 1. विकल्प बोधक अव्यय, या, कना, प्र ,वहन करना, ले जाना, खींचते रहना 2. बहा ले जाना, ले जाना, वहन करते जाना-भट्टि० परंतु संस्कृत में इसकी स्थिति भिन्न है, या तो यह 81523. सहारा देना, (भार) वहन करना, प्रत्येक शब्द या उक्ति के साथ प्रयुक्त होता है, अथवा 4. बहना 5. लिलना 6. रखना, अधिकार में करना, अन्तिम के साथ, परन्तु यह वाक्य के आरंभ में कभी स्पर्श करना या महसूस करना, वि---, विवाह करना, प्रयुक्त नहीं होता, तु० 'च' 2. इसके निम्नांकित अर्थ सम्, , 1. ले जाना, धारण किये जाना 2. मसलना, है (क) और, भी,--वायुर्वा दहनो वागण०, अस्ति दबाना, दे०प्रेर. 3. विवाह करना, दिखाना, प्रदर्शित ते माता स्मरसि वा तातन् उत्तर० 4, (ख) के समान, जैसा कि जातां मन्ये हिनमथितां पगिनी करना, प्रस्तुत करना, (प्रेर०) मसलना, या मालिश वान्यरूपाम्-मेघ० 83, मणी वोष्ट्रस्य लंबेते करना श० 3 / 21 / -सिद्धा०, हृष्टो गर्जति चातिर्पितबलो दुर्योधनो वा बहः बिह+कर्तरि अच्] 1. वहन करने वाला, ले जाने शिखी-- मृच्छ० 5 / 6, मालवि० 5 / 12, शि० 3 / 63, वाला, सहारा देने वाला 2. बैल के कये 3. सवारी 4 // 35, 764, कि० 3.13 (ग) विकल्प यान 4. विशेष करके घोड़ा 5. हवा, वायु 6. मार्ग से-(इस अर्थ में बहुधा इसका प्रयोग व्याकरण सड़क 7. नद, नाला 8. चार द्रोण की माप / के नियमों में --जैसा कि पाणिनि के सूत्र होता है) वहतः [बह+अतच्] 1. यात्री 2. बैल / दोषो णौ वा चित्तविरागे -पा० 6 / 4 / 90, 91 बहतिः [वह +अतिः] 1. बैल 2. हवा, वायु 3. मित्र, (घ) संभावना (इस अर्थ में 'वा' बहुधा प्रश्नवाचक परामर्शदाता, सलाहकार / सर्वनाम और उससे व्युत्पन्न 'इव' 'नाम' जैसे शब्दों बहती, बहा [वहति+डोष, वह टाप्] नदी, सरिता। | के साथ जोड़ दिया जाता है तथा 'संभवतः' या बहतुः [वह +अतु] बैल / 'कदाचित' शब्दों से उसे अनुदित किया जाता है पहनम् [वह + ल्युट्] 1. ले जाना, धारण करना, ढोना | --कस्य वान्यस्य वचसि मया स्थातव्यम् का०, 2. सहारा देना 3. बहना 4. गाड़ी, यान 5. नाव, डोंगी।। परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते-पंच. For Private and Personal Use Only