________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 896 ) 5, तव विरहे वनमाली सखि सीदति गीत० 5, / / झुरमुट - अवनीतलमेव साधु मन्ये न वनी माधवनी ---मालिनी द्वारका नगर का नानांतर, प्रच वि०) विलासहेतु:-जग० / जल डालने वाला,--रघु० 9422, (पुं०)-भूतः | चनीयकः, वनीयर पनि याचनामिच्छति-वनि क्यच, बादल,-मुद्गः एक प्रकार की मुंग,--- मोचा जंगली / +ण्वल भिशुक, सावु-वनोयकानां स हि कल्पकेला, - रक्षकः वन का रखवाला,--राजः सिंह, भरुहः नै० 15 / 6 / / ----- रहम् कमल का फूल,- लक्ष्मीः / स्त्री०) 1. जंगल | वनेकिंशुकाः (ब० व०) [वने किंशुक इव, सप्तम्या अलुक्] का आभूषण या सौंदर्य 2. केला–लता जंगली बेल, जंगल में किशक' अनायास ही मिलने वाला पदार्थ / लता दूरीकृताः खलगणरुद्यानलता बनलताभिः-श०चनेचरः वने चरति-चर+ट, सप्तम्या अलक] जंगल में 1 / 17, वह्निः-हुताशनः दावानल, वासः / जंगल रहने वाला, र: 1. वनवासी, जंगल में रहने वाला में रहना, बन में वास ... श० 4 / 10 2. जंगली या आदमी बनेचराणां वनितासखानाम् -- कु० 1 / 10, यायावरीय (धुमक्कड़) जीवन 3. वनवासी, वन में 122 2. संन्यासी, तपस्वी 3. वन्य पशु 4. वनदेवता, रहने वाला,-वासनः गंवबिलाप, वासिन् (पुं०) वनमानुष 5. पिशाच / 1. जंगल में रहने वाला, वनवासी 2. तपस्वी इसी बनेज्यः [वने इज्यः, स० त०] एक प्रकार का आम / प्रकार 'वनस्थायिन्', --ब्रीहिः जंगली चावल, शोभ वंद (भ्वा० आ० बंदते, वंदित) प्रणाम करना, सादर नम् कमल, -श्वन् (पुं०) 1. गीदड़ 2. व्याघ्र नमस्कार करना. श्रद्धांजलि प्रदान करना--जगतः 3. गंधबिलाव,-संकटः एक प्रकार को दाल, मसूर पितरौ वन्दे पार्वती परमेश्वरौ--रध० 111, 13177, --सद्,-संवासिन् (पुं०) वनवासी सरोजिनी (स्त्री०) 14 / 5 2. आराधना करना, पूजा करना 3. प्रशंसा जंगली कपास का पौधा, स्पः 1. हरिण 2. तपस्वी करना, स्तुति करना, अभि , प्रणाम करना, सादर ---स्था बरगद का पेड़, स्थली जंगल, जंगल की नमस्कार करना-रघु० 16 / 81 / भूमि, साज् (स्त्री०) जंगली फूलों की माला। बंदकाः [वन्द - वुल प्रशंसक / वनरः (पुं०) दे० 'वानर'। वंदथः [वन्द - अथः] प्रशंसक, चारण या भाट, स्तुति वनस्पतिः [वनस्य पतिः, नि० सूट] 1. एक बड़ा जंगली गायक / वृक्ष, विशेषकर वह जिसे बिना बीर आये फल लगता वंदनम् [वन्द्-त्युट] 1. नमस्कार, अभिवादन 2. श्रद्धा, है 2. वृक्ष, पेड़,-तमाश विघ्नं तपसस्तपस्वी वनस्पति सत्कार 3. किसी ब्राह्मणादि को (चरणस्पर्श करते वज्र इवावभज्य कु० 3 / 74 / हुए) प्रणाम 4. प्रशंसा, स्तुति-ना 1. पूजा, अर्चना बनायः (वन / इण् --उण, वन् / आयुच् या एक जिले प्रशंसा,...नी 1. पूजा, अर्चना 2. प्रशंसा 3. याचना, का नाम - रघु० 573 / सम० ज (नपुं०) 4. मृतक को पुनर्जीवित करने वालो औषधि / सम० वनायु में उत्पन्न घोड़ा आदि। ___माला, -- मालिका किसी द्वार पर लगाई गई वनिः (स्त्रो०) वन्-इ कामना, इच्छा। फूलमाला। पनिका विनी--का टाप, हस्पः छोटा जंगल, जैसे कि नोट (दि०) वंद-जनीयर अभिवादन के योग्य, 'अशोकवनिका'। सत्कार के योग्य, या हरताल, गोरोचना। वनिता बन्-का-टान स्नो, महिला पनि नि | वंदा बंद+अन् ।-टाप् / शिक्षणी, मोख मांगने वाली वदंत्येतां लोका: गर्वे बदन्तु ते, पना परिणता सेयं तपस्येति मां मम .. भामि० 21117, पथिकवनिता: वंदार (भि०) निन्द्---आरु| .. प्रशंसा करने वाला -मेघ० 8 2. पत्नी, गृहस्वामिनी-बनेचराणां धनिता 2. श्रद्धाल, सम्मानपूर्ण, विनीत, शिष्ट-...परभनुगृहीतो सखानाम् कु. 1 / 10, रघु० 2 / 19 . कोई महामुनिवंदारु. - मुद्रा० 7, नपुं० प्रशंसा।। महासनिवदाह. - मदा० भी प्रेयसी स्त्री ... किसी भी जानवर का मादा! वंदिन (4) वन्ध। इन| 1. स्तुति गायक, चारण, भाट, सम-द्विष (90) स्त्रीद्वेषी, स्त्रियों से घणा, अग्रदूत (भाट या चारण एक विशिष्ट जाति है जो करने वाला, ---विलासः स्त्रियों का इच्छानुकूल क्षत्रिय पिता और शुद्र माता को सन्तान है) 2. मनोरंजन / बंदी, कैदी। बनिन् (पुं०)वन---इनि:, वक्ष 2. सोन लता 3. वान- वंदी (स्त्री०) वन्दि+ डीप] दे॰ बंदी। सम... पालः प्रस्थ, तीसरे आश्रम में रहने वाला। काराध्यक्ष, जेलर / बनिष्णु (व.) वन् / इष्णुच्] मांगने वाला, याचना वंद्य (वि.) [वन्द् --- पत्] , सत्कार के योग्य, श्रद्धेय __करने वाला। 2. सादर नमस्करणीय रघु० 13178, कु० 6.83, वनी [वन+ङीष् जंगल, अरण्य, (वृक्षों का) गुल्म या | मेव० 12 3. स्तुत्य, श्लाघ्य, प्रशंसनीय / | बदथः विन्दा वुल् ! प्रशा० 1681 / For Private and Personal Use Only