________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 890 ) (प्रायः दो कर्मों के साथ)-तामचतुस्ते प्रियमप्यमिथ्या / उक्ति, स्थित (वि.) ('वचने स्थितः' भी) आज्ञा -रघु० 14 / 6, कभी कभी 'भाषण' अर्थ को बतलाने कारी, अनुवर्ती। वाले शब्दों के साथ दूसरी विभक्ति में--उवाच | वचनीय (वि.) [ वच् + अनीयर ] 1. कहे जाने, बोले धात्र्या प्रथमोदितं वचः .. रघु० 3150, 2059, क एवं जाने या वर्णन किये जाने के योग्य 2. निन्दनीय, वक्ष्यते वाक्यम् रामा० 2. वर्णन करना, बयान दुषणीय,...-यम् कलंक, निन्दा, निर्भर्त्सना-न कामकरना .. रघृणामन्वयं वक्ष्ये-.---रघु० 119 3. कहना, वृत्तिर्वचनीयमीक्षते - कु० 5 / 82, वचनीयमिदं व्यसमाचार देना, घोषणा करना, प्रकथन करना वस्थितं रमण त्वामनुयामि यद्यपि-४।२१, भवति .-उच्यतां मद्वचनात् सारथिः-श० 2, मेघ० 98 योजयितुर्वचनीयता-पंच० 175, कि० 9 / 39, 65, 4. नाम लेना, पुकारना-तदेकसप्ततिगणं मन्वन्तरमिहोच्यते- मनु० 1179, प्रेर०-(वाचयति ते) वचरः (पुं०) 1. मुर्गा 2. बदमाश, नीच, शठ, दुष्ट / 1. बुलवाना 2. निगाह डालना, पढ़ना, अवलोकन | किन | वचस् (नपुं०) [वच्+असुन् ] 1. भाषण, वचन, वाक्य, करना 3. कहना, बोलना, प्रकथन करना 4. प्रतिज्ञा -उवाच धाच्या प्रथमोदितं वचः-रघु०३१२५, 47, करना, इच्छा० (ववक्षति) बोलने की इच्छा करना, इत्यव्यभिचारि तद्वचः कु० 5 / 36, बचस्तत्र प्रयोक्त(कुछ) कहने का इरादा करना, अनु, बाद में कहना, व्यं यत्रोक्तं लभते फलम् सुभा. 2. हुक्म, आदेश, आवृत्ति करना, पाठ करना, (प्रेर०) ... मन में पढ़ना विधि, निषेधाज्ञा 3. उपदेश, परामर्श 4. (व्या० में) -नाममुद्राक्षराण्यनुवाच्य-श०१, निस् 1. अर्थ करना, वचन / सम० कर (वि.) 1. आज्ञाकारी, अनुवर्ती व्याख्या करना - वेदा निर्वक्तुमक्षमाः 2. वर्णन करना, 2. दूसरों की आज्ञा पालन करने वाला,-क्रमः प्रवचन, बोलना, प्रकथन करना, घोषणा करना 3. नाम लेना, --ग्रहः कान, प्रवृत्तिः (स्त्री०) भाषण करने का पुकारना, प्रति .., उत्तर में बोलना, जबाब देना, प्रयत्ल श० 7 / 17 / प्रतिवाद करना न चेद्रहस्यं प्रतिवक्तुमर्हसि-कु० वचसाम्पतिः [वचसां वाचां पतिः षष्ठया अलुक्] बुहस्पति 5 / 42, रघु० 348, वि-, व्याख्या करना, का विशेषण, गुरु ग्रह। सम्-कहना, बोलना। यज्म (भ्वा० पर० वजति) जाना, हिलना-जुलना, इधरबचः [ व+अच् ] 1. तोता 2. सूर्य, ..चा 1. मैना उधर घूमना। ji (चुरा० उभ० वाजयति-ते) पक्षी 2. एक सुगन्धित जड़, -चम् बोलना, बातें काटछांटकर ठीक करना, तैयार करना 2. बाण की करना। नोक में पर लगाना 3. जाना, हिलना-जुलना।। वचनम् [वच्+ल्युट 1. बोलने, उच्चारण करने या कहने | बज्रः,-ब्रम् [वज्+रन्] 1. वन, बिजली, इन्द्र का शस्त्र, की क्रिया 2. भाषण, उद्गार, उक्ति, वाक्य-ननु (कहते हैं कि इन्द्र का वन दधीचि की हडियों से वक्तृविशेषनिःस्पृहा गुणगृह्या वचने विपश्चितः बना था)-...-आशंसन्ते समितिय सुराः सक्तवरा हि --कु० 2 / 5, प्रीतः प्रीतिप्रमुखवचनं स्वागतं व्याजहार दैत्यरस्याधिज्ये धनुषि विजयं पौरुहूते च वजे--श० -- मेघ० 4 3. दोहराना, पाठ करना 4. मूल, 2 / 15 2. इन्द्र के वच्च जैसा कोई भी घातक या वाक्य विन्यास, नियम, विधि, धार्मिक ग्रन्थ का सन्दर्भ विनाशकारी हथियार 3. हीरे की अणि, मणि माणिक्यों --शास्त्रवचनं, श्रुतिवचनं, स्मृतिवचनम् आदि को बींधने का उपकरण-मणौ वचसमुत्कीर्णे सूत्रस्ये5. आदेश, हक्म, निदेश, 'मद्वचनात् मेरे नाम से अर्थात् वास्ति मे गतिः रघु० 24 4. होरा, बज-वजामेरे आदेश से 6. उपदेश, परामर्श, अनुदेश 7. घोषणा, दपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि उत्तर० 217, प्रकथन 8. (व्या० में) (वर्ण का) उच्चारण 9. शब्द रघु० 6.19 . कांजी,- वः 1. एक प्रकार का की यथार्थता-अथ पयोधर शब्दः मेघवचनः 10.(व्या० सैनिकव्यूह 2. एक प्रकार का कुश नामक घास 3. अनेक में) बचन, (एकवचन, द्विवचन और बहुवचन - इस पौधों के नाम, --ज्रम् 1. इस्पात 2. अभ्रक 3. वज प्रकार वचन तीन होते हैं) 11. सूखा अदरक / जैसी या कटोर भाषा 4. बालक, बच्चा 5. आंवला। सम० उपक्रमः प्रस्तावना, आमुख, कर (वि०) सम०-अङ्गः साँप,-अभ्यासः अनुप्रस्थगुणन, अशनिः आज्ञाकारी, आदेश का पालन करने वाला,--कारिन् इन्द्र का वज, आकरः हीरों की खान, रघु० (वि.) आज्ञा पालन करने वाला, आज्ञाकारी, क्रमः १८।२१,---आख्यः एक वहुमूल्य पत्थर, मणि,-आघातः प्रवचन, --प्राहिन (वि०) आज्ञाकारी, अनुवर्ती, 1. बिजली का प्रहार 2. (अतः आलं. से) आकविनीत,—पट (वि०) बोलने में चतुर, --विरोधः स्मिक धक्का या संकट,-आयुधः इन्द्र का हथियार, विधियों की असङ्गति, विरोध, पाठ की अननुरूपता, -कटः हनुमान का विशेषण, कीलः वज, बिजली, -शतम् सौ भाषण, अर्थात् बार बार घोषणा, पुनरुक्त वज्र की कील - जीवितं वज्रकीलम् मा० 9137, For Private and Personal Use Only