________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 879 ) सानना-लिम्पतीव तमोऽङ्गानि-मच्छ०१।०४ 2. ढक / iii (दिवा० आ० लीयते, लीन) 1. चिपकना, दृढ़ता देना, विछा देना-शि० 3148 3. दाग लगाना, | पूर्वक जमे रहना, जुड़ जाना - मालवि० 35 दूषित करना, मलिन करना, कलंकित करना, कलुषित 2. भुजपाश में बांधना, आलिंगन करना 3. लेटना, करना-यः करोति स लिप्यते-पंच० 4 / 64, न मां विश्राम करना, टेक लेना, ठहरना, रहना, दुबकना, कर्माणि लिम्पन्ति--भग० 4114, 18 / 17, मनु० छिपना, लुकना - (भृङ्गाङ्गनाः) लीयन्ते मुकुलान्तरेषु 10 / 106 4. प्रज्वलित करना, सुलगाना-तस्यापित शनकैः संजातलज्जा इव-रत्न० 1126, रघु० 3 / 9, शोकाग्निः स्वान्तं काष्ठमिव ज्वलन्-भट्टि०६।२२, श० 6 / 16, कु० 1112, 7:21, भट्टि० 18 / 13, अनु-लीपना, पोतना वपुरन्वलिप्त न बधूः-शि०९।५१ कि० 5 / 26 4. विघटित होना, पिघलना 5. चिप१५ 2. ढक देना, फैलाना, घेर लेना... रघु० 1010, चिपा, लसलसा 6. लीन हो जाना, भक्त श० 77, अव-लीपना, पोतना (कर्मवा०) फूल जाना या अनुरक्त होना, --माधवमनसिजविशिखभयादिव घमंडी बनना, उन्नत होना, आ-, 1. लीपना पोतना भावनया त्वयि लीना - गीत० 4 7. नष्ट --उत्तर० 3 / 39, ऋतु०६।१२ 2. दूषित करना, होना लोप होना,-प्रेर० (लापयति -ते) दाग लगाना, उप-,धब्बा लगाना, मलिन करना, लाययति-ते, लीनयति-ते लालयति-ते) पिघलाना, --भग०१३।३२, वि-लोपना, पोतना, मलना,-कु० विघटित करना, तरल बनाना, गलाना ('लापयते' 5179, भट्टि० 3 / 20, 15 / 6, शि० 16 // 62 / रूप सम्मान या सम्मानित करने के अर्थ में प्रयुक्त लिम्पः [लिप् + श, मुम्] लेप, पोतना, मालिश / होता है-जटाभिापयते-पूजामधिगच्छति - तु० लिम्पट (वि.) [-लम्पट, पृषो०] कामासक्त, विषयी, पा० 13170), अभि-, 1. जुड़ना, चिपकना--रघु० -ट: व्यभिचारी, दुश्चरित्र / 368 2. ढक लेना, ऊपर फैला देना-पश्चादुच्च - लिम्पाकः [लिप्+आकन्, पृषो०] 1. नींबू या चकोतरे का जतरुवनं मण्डलेनाभिलीनः- मेघ० 38, आ 1. बस वृक्ष 2. गधा, - कम् चकोतरा, नींबू / जाना, छिपना, दुबकना, विक्रम० 2 / 23, 2. जुड़ना, लिश् / (तुदा० पर० लिशति) 1. जाना, हिलना-जुलना चिपकना--रघु० 4151, नि-, 1. चिपकना, 2. चोट पहुंचाना - दे० रिश् / / जमे रहना, लेट जाना, आराम करना, बस जाना, ____ii (दिवा० उभ.लिश्यति -ते) छोटा होना, घटना। उतर पड़ना-निलिल्ये मूनि गृध्रोऽस्य --भट्टि० लिष्ट (भू० क० कृ०) [लिश्+क्त] जो छोटा हो गया 14 / 76, 2 / 5 2. दुबकना, छिपना, अपने आपको हो, घट गया हो या न्यून हो गया हो। छिपा लेना .गहास्वन्ये न्यलेषत-भट्टि० 15 / 32 लिष्यः [लिष्व न्अभिनेता, नर्तक / निशि रहसि निलीय-गीत०२3. अपने आपको लिह, (अदा० उभ० लेढि, लोढे, लीढ, इच्छा० लिलिक्षति छिपा लेना (अपा के साथ)-मानिलीयते कृष्णः ---ते) 1. चाटना-कपाले मार्जारः पय इति ---सिद्धा० 4. मरना, नष्ट होना, प्र--, 1. लीन होना, करौल्लेढि शशिन:-काव्य० 19, भामि० 1 / 19, कि० विघटित होना, गल जाना—आत्मना कृतिना च 5 / 38, शि० 1140 2. चाट जाना, चखना, चूंट-घंट त्वमात्मन्येव प्रलीयसे-कु०२।१०, रात्र्यागमे प्रलीयन्ते से पीना, लप-लप करके पीना –नै० 2 / 99, 100, तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके -भग०८।१८, मनु०११५४ 2. नष्ट अब--, 1. चाटना, लपलप करके पीना, थोड़ा थोड़ा होना, लोप होना 3. नाश को प्राप्त होना, नष्ट करके चखना--भवव्यालावलीढात्मनः --गंगा० 50, होना, वि-, 1. जुडना, चिपकना, जमे रहना वेणी० 3 / 5, भामि० 11111 2. चबाना, खाना 2. विश्राम करना, बस जाना, उतर पड़ना-पुरोऽस्य दभैरर्धावलीः --- श० 117, मृच्छ० 119, आ-', यावन्न भुवि व्यलीयत--शि०१।१२ 3. विगलित 1. चाटना, लपलप करके पीना 2. घायल करना, होना, पिघल जाना, लीन होना - महावीर० 6 / 60, आघात पहुँचाना-सेनान्यमालीढमिवासुरास्त्र:-रघु० 7.14 4. लोप होना, ओझल होना 5. नष्ट होना, 237 3. (आँखों से) ग्रहण करना, देखना,-न याम्या- सम्-, 1. चिपकना, जुड़ना 2. लेट जाना, बस मालीढा परमरमणीया तव तनुः --गंगा० 32, उद् -, जाना, उतरना 3. दुबकना, छिपना 4. पिघलना / चमकाना, घर्षण द्वारा चिकना बनाना, रगड़ना-मणिः लोक्का (स्त्री०) लोख, यू कांड, दे० लिक्षा। शाणोल्लीढ:..-भर्त० 2 / 44, परि --, सम्--, चाटना-- लीट (भू० क. कृ.) [लिह.+क्त] चाटा गया, चुसकी भट्टि० 13 / 42 / ली गई, चखा गया, खाया गया आदि०, दे० 'लिह,'। लीi (म्वा० पर० लयति) पिघलना, विघटित होना। लीन (भू. क. क०) [ली+क्त] 1. जुड़ा हुआ, चिपका ii (क्रया० पर० लिनाति) 1. जुड़ जानां 2. पिघलना हुआ, चूसा हुआ 2. दुबकाया हुआ, छिपाया हुआ, -प्रायः 'वि' उपसर्ग के साथ / प्रच्छन्न 3. विश्राम करता हुआ, टेक लगाये हुए For Private and Personal Use Only