________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 877 ) लावकः [ल+ण्वुल] 1. काटने वाला, खंड-खंड करने . मानी जाती है)-जालान्तरगते भानौ यच्चाणु दृश्यते वाला 2. लावनो करने वाला, एकत्र करने वाला रजः, तैश्चभिर्भवेल्लिक्षा, या, असरेणवोष्टौ विज्ञेया 3. लवा, बटेर। लिक्षका परिमाणतः --मनु० 8 / 133, दे० याज्ञ. लावण (वि.) (स्त्री०-णी) [लवणं संस्कृतम् अण्] 11362 भी। 1. नमकीन 2. लवण से युक्त, लवण द्वारा संस्कृत। लिक्षिका [ लिक्षा+-कन्+टाप, इत्वम् ] ल्हीक। लावणिक (वि.) (स्त्री०-की) [लवणे संस्कृतं ठण् लिख (तूदा० पर० लिखति, लिखित) 1. लिखना, लिख 1. नमकीन, नमक से प्रसाधित 2. नमक का व्यापारी रखना, अंतरंकण करना, रेखांकन करना, उत्कीर्ण 3. प्रिय, सुन्दर, लावण्यमय-शि० 10 // 38, (यहाँ करना,-अरसिकेषु कवित्वनिवेदनं शिरसि मा लिख मा इसका अर्थ 'नमक का व्यापारी' भी है), -कः नमक लिख मा लिख - उद्भट, ताराक्षरर्यामसिते कठिन्या का व्यापारी,-कम् लवण-पात्र, नमक का बर्तन / निशालिखद् व्योम्नि तमः प्रशस्तिम्-० 22154, लावण्यम् [लवण+ष्य] 1. नमकीनपना 2. सौन्दर्य याज्ञ० 2 / 87, श० 75 2. रेखाचित्र बनाना, रेखा सलोनापन मनोहरता -तथापि तस्या लावण्यं रेखया खींचना, आलेखन, चित्रित करना, रङ्ग भरना-मृगकिंचिदन्वितम् ---श० 6 / 13, कु० 7 / 18, शब्द० में मदतिलकं लिखति सपुलकं मगमिव रजनिकरे-गीत० 'लावण्य' की परिभाषा--मवताफलेषु छायायास्तरल- 7, मत्सादृश्यं विरहतनु वा भावगम्यं लिखन्ती-मेघ० त्वमिवान्तरा प्रतिभाति यदङ्गेषु तल्लावण्यमिहो 85, 80, कु०६१४८, स्मित्वा पाणौ खङ्गलेखां लिलेख च्यते। सम० अजितम् विवाहिता स्त्री की निजी ---काव्य० 10 3. खुरचना, रगड़ना, घिसना, फाड़ सम्पति जो विवाह के अवसर पर उसे अपने पिता देना-न किंचिदूचे चरणेन केवलं लिलेख बाष्पाकुलया सास से प्राप्त हुई हो / लोचना भुवम् - कि० 8 / 14, मूर्ना दिवमिवालेखीत् लावण्यमय, लावण्यवत् (वि.) [लावण्य+मयट्, मतुप् --भट्टि०१५।२२ 4. शल्यक्रिया) करना, खाल काटना ___ वा] प्रिय, मनोहर। 5. स्पर्श करना, खरोंच पैदा करना 6. (पक्षी की लावाणकः [लू+आनकः] मगध के निकट एक जिले का भांति) चोंचें मारना 7. चिकना करना 8. स्त्री के नाम / साथ सहवास करना, आ-, 1. लिखना, चित्रित करना, लाविक: [लान+ठक भंसा। रेखाएँ खींचना-मा० 1131 2. रङ्ग भरना, चित्र लाषुक (वि) (स्त्री०-का,-की) [लए / उकञ्] लोलुप, बनाना-आलिखित इव सर्वतो रङ्गः-- श०१, त्वामालोभी लालची। लिख्य प्रणयकुपिताम्--मेघ० 105, रघु० 19 / 19 लासः [लस्+घञ] 1. कूदना, खेलना, उछलना, नाचना 3. खुरचना, छीलना, उद् , 1. खुरचना, छीलना, 2. प्रेमालिंगन, केलि क्रीडा 3. स्त्रियों का नाच, रास- फाड़ना, खोंचा लगाना-शि० 5 / 20, मनु० 1123 लीला 4. रसा, झोल / 2. पीस डालना, रोगन करना-त्वष्टा विवस्वन्तमिवोलासक (वि०) (स्त्री०-सिका) [लस+पवूल] 1. खेलने ल्लिलेख,-कि०१७।४८, रघु०६।३२, श० 616 3. रङ्ग वाला, किलोल करने वाला, विहार करने वाला भरना, लिखना, चित्रित करना-कु० 5 / 584. खोदना, 2. इधर उधर घूमने वाला, -क: 1. नर्तक 2. मोर | काटकर बनाना, प्रति --,उत्तर देना, जवाब देना, बदले 3. आलिंगन 4. शिव का नामान्तर, कम् चौबारा, में लिखना, वि-,लिखना, अन्तरंकण करना 2. रेखांकन 'बुर्ज। करना, रङ्ग भरना, चित्रित करना, चित्र बनाना लासको [लासक+डी] नर्तकी। - लिलिखति रहसि कुरङ्गमदेन भवन्तमसमशरभूतम् लासिका [लस्+ण्वुल+टाप, इत्यम] 1. नर्तकी 2. वेश्या, ---गीत०४ 3. खुरचना, छीलना, फाड़ना-मन्दं शब्दास्वेच्छाचारिणी या व्यभिचारिणी स्त्री। यमानो विलिखति शयनादुत्थितःक्ष्मां खुरेण-काव्य. लास्यम् लस्+ण्यत्] 1. नाचना, नृत्य,-आस्ये धास्यति 10, व्यलिखच्चञ्चपुटेन पक्षती-०२।२, पादेन हैम कस्य लास्यमधुना...वाचां विपाको मम-भामि०४।४२, विलिलेख पीठम्-रघु०६।१५, कु० 2 / 23 4. रोपना, रघु० 16314 2. गाने बजाने के साथ नाच 3. वह जमाना-हि०४।७२ पाठान्तर, सम्-,खुरचना, छीलना। नृत्य जिसमें प्रेम की भावनाएं विभिन्न हाव भाव तथा लिखनम् [लिख्+ ल्युट्] 1. लिखना, अन्तरंकण 2. रेखांकन अंगविन्यासों द्वारा प्रकट की जाती हैं, --- स्यः नट, रङ्ग भरना 3. खुरचना 4. लिखित दस्तावेज़, लेख नर्तक, अभिनेता, -- स्या नर्तकी।। या हस्तलेख। लिकुचः [लक+उच, पृषो० इत्वम् दे० 'लकुच'। लिखित (भू० क० कृ०) [लिख+क्त ] लिखा हुआ, रङ्ग लिक्षा [रिषः स कित्] 1. ल्हीक, जूओं के अंडे 2. अत्यन्त | भरा हुआ, खुरचा हुआ आदि दे० लिख,-तः विधि सूक्ष्म माप (जो चार या आठ त्रसरेणु के बराबर या धर्मशास्त्र के एक प्रणेता का नाम ('शंख के साथ For Private and Personal Use Only