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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का निर्वासन तथा दूसरे से अपने प्रिय पुत्र भरत का तरुणीस्तन एव मणिहारावलिरामणीयकम्--०२॥ युवराज के रूप में राज्याभिषेक माँगा। राजा को 44, कि० 1233 414 / इस मांग से भयानक धक्का लगा, उसने कैकेयो को | रामा [ रमतेऽनया रम् करणे घा] 1. सुन्दरी स्त्री, उन दुष्ट मांगों से हटाने का भरसक प्रयत्न किया मनोहारिणी तरुणी-अथ रामा विकसन्मुखी बभूव परन्तु अन्त में उसे झुकना पड़ा। तुरन्त ही आज्ञाकारी ---भामि० 2 / 16, 316 2. प्रिया, पली, गृहस्वामिनी पुत्र राम अपनी सुन्दर तरुण पत्नी सीता तथा भक्त ----रघु० 12123 14 / 27 3. स्त्री,-रामा हरन्ति हृदयं भ्राता लक्ष्मण के साथ निर्वासित होने को तैयार हो प्रसभं नराणाम्-ऋतु०६।२५ 4. नीच जाति की स्त्री गये। उसका निर्वासन काल बड़ी-बड़ी घटनाओं से 5. सिंदूर 6. हींग। भरा हुआ है, दोनों भाइयों ने कई शक्तिशाली राक्षसों राम्भः [ रम्भा+अण् ] बांस की लाठी जिसे ब्रह्मचारी या का काम तमाम कर दिया, फलतः रावण की द्वेषाग्नि संन्यासी रखते हैं। भड़क उठी। दुष्ट रावण ने मारीच की सहायता रावः [ रुघा ] 1. ऋन्दन, चीत्कार, चीख, दहाड़, से राम की शक्ति को देखने के लिए उसकी प्रिय किसी जानवर की चिंघाड़ 2. शब्द, ध्वनि---..मुरजपत्नी सीता का बलात् अपहरण किया। सीता का वाद्य राव:-मालवि० 121, मधुरिपुरावम-गीत. पता लगाने के लिए अनेक निष्फल पच्छाओं के पश्चात् 11 / हनमान ने यह निश्चय किया कि सीता लंका में हैं, रावण (वि.) [रावयति भीपयति सर्वान-रु+णिच् + ल्युट्] और फिर उसने राम को प्रेरित किया कि लंका के रावण (वि.) [ रावयति भीषयति सर्वान-रु+णिच ऊपर चढ़ाई की जाय तथा दुष्ट रावण को मौत के + ल्युट ] क्रन्दन करने वाला, चीखने वाला, दहाड़ने घाट उतारा जाय। वानरों ने समुद्र को पार करने वाला, शोक के कारण रोने घोने वाला,--णः एक के लिए एक पुल बनाया जिसके ऊपर से अपनी असंख्य प्रसिद्ध राक्षस, लंका का राजा, राक्षसों का मुखिया सेना के साथ पार होकर राम लंका में प्रविष्ट हए (रावण के पिता का नाम विधवा तथा माता का तथा उसे जीत कर सब राक्षसों समेत रावण का वध केशिनी या कैकशी था, इसी लिए वह कुबेर का किया। उसके पश्चात राम अपनी पत्नी सीता, सौतेला भाई था। पुलस्त्य ऋषि का पौत्र होने के तथा अन्य युद्ध-मित्रों के साथ, विजयपताका फहराते कारण वह पौलस्त्य कहलाता है। मूल रूप से हुए, वापिस अयोध्या आये जहां वशिष्ठ द्वारा उनका लङ्का पर पहले कुबेर का अधिकार था, परन्तु रावण राज्यतिलक किया गया। राम ने बहुत वर्षों तक ने उसे वहाँ से निकाल दिया और लंका को अपनी न्यायपूर्वक राज्य किया उसके पश्चात् कुश युवराज राजधानी बनाया। उसके दस सिर (इसीलिए बनाया गया। राम, विष्णु भगवान् का सातवां अवतार वह दशग्रीव, दशवदन, आदि कहलाता है) और बीस माना जाता है, तु० जयदेव-वितरसि दिक्षु रणे दिकपति- भुजाएँ थीं, कुछ के अनुसार उसकी टांगें भी चार थी कमनीयं दशमुखमौलिवलिं रमणीयं। केशव धृतरघु- (तु. रघु० 12188 और उस पर मल्लि.) ऐसा पतिरूप जय जगदीश हरे-गीत०१। सम०-अनुजः वर्णन मिलता है कि रावण ने ब्रह्मा को प्रसन्न करने एक प्रसिद्ध सुधारक, वेदान्ती संप्रदाय के प्रवर्तक तथा के लिए दस हजार वर्ष तक कठोर तपश्चर्या की; कई पुस्तकों के प्रणेता, वैष्णव,-अयनम् (णम्) और प्रति हजार वर्ष के पश्चात् अपना सिर ब्रह्मा के 1. राम के साहसिक कार्य 2. वाल्मीकिप्रणीत एक आगे प्रस्तुत किया। इस प्रकार उसने नौ सिर प्रसिद्ध महाकाव्य जिसमें सात काण्ड तथा 24000 प्रस्तुत किये और दसवां सिर प्रस्तुत करने लगा ही श्लोक है। गिरिः एक पहाड़ का नाम,-(चके) था कि ब्रह्मा ने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि उसकी स्निग्घच्छायातरुषु वसति रामगिर्याश्रमेषु-मेघ० 1, मृत्यु न मनुष्य द्वारा होगी और न देवता द्वारा / --चन्द्रः,-भद्रः दशरथ के पुत्र राम का नाम दूतः, इस शक्ति से सम्पन्न होकर वह बड़ा अत्याचार करने हनुमान् का नाम,--नवमी चैत्रशुक्ला नवमी, राम की लगा, उसने लोगों को सब प्रकार से सताना आरम्भ जयंती,--सेतुः 'राम का पुल' भारत और लंका को किया। उसकी शक्ति इतनी अधिक हो गई कि मिलाने वाला रेत का पुल जिसे आजकल 'एडम्स देवता भी उसके घरेलू नौकरों की भांति उसकी सेवा ब्रिज' कहते है। करने लगे। उसने अपने समय के प्रायः सभी रामठः,-ठम् [रम् +अठ, धातोर्वद्धिः / हींग। राजाओं को जीत लिया, परन्त कार्तवीर्य ने उसे रामणीयक (वि.) (स्त्री० की) [ रमणीय+बुश ] कारागार में डाल दिया जब कि रावण ने उसके देश प्रिय, सुन्दर सुखद, कम् प्रियता, सौन्दर्य--सा राम- पर आक्रमण किया। एक बार उसने कैलास पर्वत णीयकनिधेरघिदेवता वा मा० 1121, 9 / 47, उठाने का प्रयल किया, परन्तु शिव ने ऐसा दबाया For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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