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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रंहस् (पुं०) [रह +असुन्, हुक च] 1. चाल, वेग, सारस,--शासनम् सिन्दूर,-शीर्षक: एक प्रकार का रघु० 2 / 34 शि० 1217, कि० 2140 2. आतुरता, सारस,.. सन्ध्यकम् लाल कमल,-सारम् लाल चन्दन / प्रचण्डता, उत्कटता, उग्रता। रक्तक (वि०) [रक्त+कन्] 1. लाल, 2. सानुराग, रक्त (भू० क० कृ.) [स्ञ् करणे क्तः] 1. रंगीन, रंगा | अनुरक्त, स्नेहशील 3. सुहावना, विनोदप्रिय 4. रक्त हुआ, हलके रंग वाला, रंग लिप्त--आभाति बालात- रंजित-क: 1. लाल रंग की वेशभूषा 2. सानुराग परक्तसानु:--रघु०६।६० 2. लाल, गहरा लाल रंग, ___ व्यक्ति, शृङ्गार-प्रिय पुरुष 3. खिलाड़ी। लोहितवर्ण, सांध्यं तेजः प्रतिनवजवापुष्परक्तं दधानः | रक्तिः (स्त्री०) [रञ्ज-क्तिन्] 1. सुहावनापन, प्रियता, मेघ० 36, इसीप्रकार रक्ताशोक, रक्तांशुक आदि / आकर्षण, लावण्य 2. आसक्ति, स्नेह, निष्ठा, भक्ति / 3. मुग्ध, सानुराग, अनुरक्त, प्रेमासक्त-अयमेन्द्री- रक्तिका रक्ति+कन्+टाप] गुंजा का पौधा या इसका मुखं पश्य रक्तश्चुम्बति चन्द्रमा:--चन्द्रा० 5 / 58 बीज जो तोलने (एक रत्ती) के काम आता है। (यहां यह द्वितीयार्थ भी रखता है) 4. प्रिय, वल्लभ रक्तिमन् (पुं०) रक्त-+ इमनिच ] ललाई। 5. सुहावना, आकर्षक, मधुर, सुखद श्रोत्रेषु संमूर्छति रक्ष (भ्वा० पर० रक्षति, रक्षित) 1. रक्षा करना, रक्तमासां गीतानुगं वारिमदङ्गवाद्यम्-रघु० 16164 चौकीदारी करना, देखभाल करना, पहरा देना, 6. खेल का शौकीन, खिलाड़ी, क्रीडाप्रिय,---क्तः 1. (पशु आदि) पालना, राज्य करना, (पृथ्वी पर) लाल रंग 2. कुसुम्भ,-क्ता 1. लाख 2. गुंजा का शासन करना---- भवानिमां प्रतिकृति रक्षतु-श०६, पौधा,क्तम् 1. रुधिर 2. तांबा 3. जाफरान 4. ज्ञास्यसि किय जो मे रक्षति मौर्वीकिणांक इति सिन्दूर / सम०---अक्ष (वि.) 1. लाल आँखों वाला ---श० 1113 2. सुरक्षित रखना, (भेद) न खोलना 2. डरावना (-क्षः) 1. भैंसा 2. कबूतर,-अंकः -~हस्यं रक्षति 3. सन्धारण करना, बचाना, बचा मुंगा,-अंगः 1. खटमल 2. मङ्गलग्रह 3. सूर्यमण्डल कर रखना (बहुधा अपा० के साथ) अलब्धं चैव या चन्द्रमण्डल,-अधिमंथः आंखों की सूजन अंबरम् लिप्सेत लब्धं रक्षेदवक्षयात्--हि. 2 / 8, आपदर्थे लाल वस्त्र (-र:) गेरुआ वस्त्रधारी परिव्राजक, धनं रक्षेत्-- हि० 241, रघु० 2 / 50, 11177 –अर्बुवः रसौली,--अशोक: लाल फूलों वाला अशोक 4. टालमटूल करना- मुद्रा० 22, (अभि, परि, वृक्ष-मालवि० ३१५,-आधारः चमड़ी, खाल, सम् आदि उपसर्ग जोड़ने पर इस धातु के अर्थों में आभ (वि०) लाल दिखाई देने वाला,- आशयः कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता)। एक प्रकार का आशय जिसमें रुधिर रहता है तथा | रक्षक (वि.)स्त्री-क्षिका) [ रक्ष--पवल] चौकसी जिससे निकलता रहता है (हृदय, तिल्ली और जिगर रखने वाला, रक्षा करने वाला-कः रखवाला, अभिआदि),-उत्पलम् लालकमल,--उपलम् गेरु, लाल | भावक, चोकीदार, पहरेदार / मिट्टी, कण्ठ, कण्ठिन् (वि०) मधुरकण्ठवाला | रक्षणम [ रक्ष-+ ल्यट] रक्षा करना, बचाव, संधारण, (0) कोयल कंदः,- कंवल: मुंगा,---कमलम चौकसी, देखभाल आदि ('रक्षणम्' भी) णी रास, लाल कमल चन्दनम् 1. लाल चन्दन, जाफरान, लगाम। केसर,-चूणम् सिन्दूर,-छदिः (स्त्री०) रुधिर की रक्षस् (नपुं०) [ रक्ष्यतेहविरस्मात्, रक्ष+असुन् ] भूत-प्रेत के करना,--जिह्वः सिंह,-तुण्डः तोता,--दृश (पं०) / पिशाच, भूतना, बैताल-चतुर्दश सहस्राणि रक्षसां कबूतर,---धातुः 1. गेरु या हरताल 2. तांबा--पः भीमकर्मणाम्, त्रयश्च दूषणखरत्रिमूर्धानो रणे हताः----- पिशाच, भूत-प्रेत,-पल्लवः अशोकवृक्ष, पा जोंक उत्तर० 2115 / सम० --- ईशः, नाथः रावण का ---पातः नरहत्या,--पाद (वि०) लाल पैरों वाला, विशेषण , जननी रात्रि,-सभम राक्षसों की सभा / (-दः) 1. लालपैरों का पक्षी, तोता 2. युद्धरथ 3. | रक्षा [रक्ष- भावे अ+टाप् ] 1. बचाव, संधारण, चौकसी हाथी,-पायिन् (पुं०) खटमल,---पायिनी जोंक, मयि सष्टिहि लोकानां रक्षा यष्मा स्ववस्थिता---कू० -पिण्डम् 1. लाल रंग की फुन्सी 2. नाक और २२८,शि०१८३१,२०१११४,रघु०२।४, मेघ०४३ मुंह से रक्तस्राव होना,-प्रमेहः मूत्र के साथ रक्त 2. देखभाल, सुरक्षा 3. चौकसी, पहरा 4. ताबीज या का निकलना, - भवम् मांस, -मोक्षः, --मोक्षणम् गण्डा, परिरक्षी, जैसे कि नीचे 'रक्षाकरण्ड में :. अभिरुधिर निकलना, -बटी-वरटी चेचक,-वर्गः 1. भावक देवता 6. भस्म, राख 7. रक्षाबन्धन, पहुंची लाख 2. अनार का पेड़ 3. कुसुम्भ, -- वर्ण (वि०) (विशेषकर श्रावण पूर्णिमा के दिन कलाई में बांधी लाल रंग का (णः) 1. लाल रंग 2. बीरबहुटी जाने वाली रेशम या सूत की डोरी) ताबीज या गण्डे नामक कीड़ा (-र्णम्) सोना, - वसन,- वासस् के रूप में ( इस अर्थ में 'रक्षी' शब्द भी प्रयक्त है)। (वि०) लाल रंग की वश भूषा धारण किये हुए, | सम०-अधिकृतः जिसे प्ररक्षण या अधीक्षण कार्य For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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