________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 833 ) रुजम् आदि, निस्---, 1. निकलना, बाहर जाना | याजनम् यज+णिच+ल्युट्] यज्ञ का संचालन या अनु--- रघु० 12 / 83 2. गुजरना, (समय) बीतना, ष्ठान कराने की क्रिया- मनु० 3165, 1288 / परि-, चारों ओर घूमना चक्कर काटना, प्रदक्षिणा | याज्ञसेनी | यज्ञसेन- अण+डीप] द्रौपदी का पितृपरक करना, प्र--, 1. चलना, जाना-वस्ताद्भुतं नगरदैवत- | नाम। वत्प्रयासि - मच्छ० 1127 2. प्रयाण करना, कूच याज्ञिक (वि.) (स्त्री०-को)[यज्ञाय हितं, यज्ञः प्रयोजनकरना, प्रति , वापिस जाना, लौटना-रघु० 1175, मस्य वा ठक्] यज्ञसंबंधी, - कः यज्ञ कराने वाला, या 15 / 18, 8 / 90, प्रत्युत्-, (आदर स्वरूप) उठकर यज्ञ करने वाला, या यज्ञ कराने वाला पुरोहित / मिलना, अभिवादन करना, सत्कार करना ताना- याज्य (वि.) [यज्+ण्यत्] 1. त्याग करने के योग्य नय॑मादाय दूरात्प्रत्युद्ययो गिरिः- - कु० 6 / 50, मेघ० 2. यज्ञ संबंधी 3. जिसके लिये यज्ञ किया जाय 22, रघु० 1249, विनिस्-, बाहर जाना, निकल 4. शास्त्र द्वारा जो यज्ञ करने का अधिकारी माना जाना, में से चले जाना-प्राणास्तस्या विनिर्ययुः, है,--ज्यः यज्ञकर्ता, यज्ञसंस्थापक,-ज्यम् उपहार या -सम्, 1. चले जाना, बिदा होना, मार्ग पार कर दक्षिणा जो यज्ञ कराने के उपलक्ष्य में प्राप्त हो। लेना-घग० 15 / 8 2. जाना, प्रविष्ट होना-तथा यात (भू. क० कृ०) या+क्त] 1. गया हुआ, प्रयात, शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही चला हुआ 2. गुजरा हुआ, विजित, दूर गया हुआ -भग० 2 / 22 3. पहुँचना।। (दे० 'या'),-तम् 1. चाल, गति 2. प्रयाण 3. भूतयागः [यज्+घा, कुत्वम्] 1. उपहार, यज्ञ, आहुति काल। सम०-याम्,-यामन् (वि.) 1. बासी, 2. कोई भी अनुष्ठान जिसमें आहुतियाँ दी जायं इस्तेमाल किया हुआ, विकृत, परित्यक्त, जो निरर्थक --रघु० 8 / 30 / हो गया है - अयातयामं वयः दश 2. कच्चा, अघयाच (भ्वा० आ० याचते-विरल प्रयोग-याचति याचित) पका (भोजन आदि)--यातयामं गतरसं प्रति पर्यषितं मांगना, याचना करना, निवेदन करना, प्रार्थना च यत्-भग० 17 / 20 3. जीर्ण, थका हुआ, घिसा करना, अनुरोध करना, अनुनय-विनय करना (द्विकर्म० हुआ। के साथ)-बलिं याचते वसुधाम्-सिद्धा०, पितरं यातनम् [यत्+णिच् + ल्युट्] 1. प्रतिकार, बदला, प्रतिप्रणिपत्य पादयोरपरित्यागमयाचतात्मन:-रधु. शोध, प्रतिहिंसा जैसा कि 'वैरयातनं' में 2. प्रतिहिंसा, 8 / 12, भट्टि० 14 / 105 (उपसर्ग लगने पर इस वैरशोधन, ना 1. प्रतिशोध, क्षतिपूर्ति, बदला धातु के अर्थों में कोई महान् परिवर्तन नहीं होता)। 2. संताप संपीडन, वेदना 3. यम के द्वारा पापियों याचकः (स्त्री०-की) [याच -+ ण्वुल] भिक्षक, भिखारी, आवे- को दी गई यातना, नरक की यन्त्रणा (ब० व०)। दक-तृणादपि लघुस्तूलस्तूलादपि च याचक:-सुभा०। | यातुःया+तुन्] 1 यात्री, बटोही 2. हवा 3. समय, पुं०, याचनम्,-ना [याच्+ल्युट, स्त्रियां टाप् च] 1. मांगना, नपुं० भूतप्रेत, पिशाच, राक्षस / सम...धान भूत याचना करना, निवेदन करना, 2. प्रार्थना, अनुरोध, / प्रेत, पिशाच,---भट्टि० 2 / 21, रघु० 12145 / आवेदन - याचना माननाशाय, बध्यतामभययाचना यात (स्त्री०) [यत्+ऋन्, वृद्धिश्च] जिठानी या जलि:---रघु० 1178 / देवरानी। याचनकः [याचन्+कन्] भिखारी, अभियोक्ता, आवेदक / / यात्रा [या ष्ट्रन्+टाप्] 1. जाना, गति, सफर, महावी. याचिष्णु (वि०) याच् + इष्णुच] भीख मांगने पर उतारू 6 / 1, रघु० 18 / 16 2. सेना का प्रयाण, चढ़ाई, याचनाशील, मांगने के स्वभाव वाला। आक्रमणमार्गशीर्षे शुभे मासि यायाद्यात्रां महीपतिः याचित (भू० क० कृ०) [याच्+क्त] मांगा गया, निवेदन —मनु० 7 / 181, पंच० 3 / 37, रघु० 17156 किया गया, याचना किया गया, अनुरोध किया गया, 3. तीर्थाटन यथा तीर्थयात्रा 4. तीर्थ यात्रियों का प्रार्थना की गई। समूह 5. उत्सव, पर्व, किसी उत्सव या संस्कार का गचितकम् [याचित+कन्] भिक्षा में प्राप्त वस्तु, उधार अवसर-कालप्रियानाथस्य यात्राप्रसङ्गेन--मा० 1, ली हुई कोई वस्तु / उत्तर. 6. जुलूस, उत्सवयात्रा, प्रवृत्ता खल यात्राभियाचना [याच+न+टाप्] 1. मांगना, याचना करना मुखं मालती-मा० 6, 62 7. सड़क 8. जीवन का 2. भिखारीपन 3. प्रार्थना, निवेदन, अनुरोध-याच्या सहारा, जीविका, निर्वाह, यात्रामात्र प्रसिद्धयर्थ--मनु. मोघा वरमधिगुणे नाधमे लब्धकामा-मेघ०६ / 4 // 3, शरीरयात्रापि च ते न प्रसिध्येदकर्मण: याजक: [यज्+णिच्+ण्वुल] 1 यज्ञ कराने वाला, यज्ञ -भग० 3.8 1. (समय का) बीतना 10. संव्यवहार कराने वाला पुरोहित 2. राजकीय हाथी 3. मदो- -यात्रा चैव हि लौकिकी-मनु० 111184, लोकन्मत्त हाथी। यात्रा वेणी० 1, मनु० 9 / 27. 11. रीति, उपाय, 105 For Private and Personal Use Only