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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 826 ) (अव्य०) ठीक-ठीक अनुपातनरूप में, अधिकारम् / के अनुसार, प्रत्येक अपने अपने निवास के अनुसार, (अव्य०) अधिकार या प्रमाण के अनुसार, - अधीत -आशयम् (अव्य०) 1. इच्छा या आशय के अनुसार (वि०) जैसा पढ़ा हुआ या अध्ययन किया हुआ है, 2. करार के अनुसार, आश्रमम् (अव्य०) आश्रम मूलपाठ के समनुरूप,-अनुपूर्वम्-अनुपूर्व्यम्, अनुपूर्ध्या या किसी व्यक्ति के धार्मिक जीवन के विशिष्ट के (अव्य०) नियमित क्रम या परम्परा में, क्रमशः, यथा- अनुसार, इच्छा, इष्ट, ईप्सित (वि०) इच्छा क्रम,-अनुभूतम् (अव्य०) 1. अनुभव के अनुसार या कामना के अनुसार, अपनी रुचि के अनुकूल, 2. पूर्वानुभव के अनुरूप,-अनुरूपम् (अव्य) यथेष्ट, जैसा कि चाहा गया हो या कामना की गई यथार्थ समनुरूपता में, उचित रूप से, अभिप्रेत हो, (अव्य० च्छम्, ,ष्टम्, तम्) 1. इच्छा या ----अभिमत, अभिलषित, अभीष्ट (वि.) जैसा कामना के अनुसार, इच्छा या मन के अनुकूल रघु० कि चाहा था, जैसा कि इरादा था या इच्छा की 4151 2. जितनी आवश्यकता हो, मन भर कर थी, इच्छा के अनुकूल, अर्थ (वि०) 1. सचाई के यथेष्टं भजे मांसम् चौर० 3, ईक्षितम् अनुरूप, सत्य, वास्तविक, सही-सीम्येति चाभाष्य (अव्य.) जैसा कि स्वयं देखा हो, जैसा कि वस्तुतः यथार्थभाषी - रघु० 14144, इसी प्रकार 'यथार्था- प्रत्यक्ष किया हो, उक्त, उदित (वि०) जैसा कि नुभवः' (सही या शुद्ध प्रत्यक्ष ज्ञान) और 'यथार्थ- ऊपर कहा गया है, पूर्वोक्त, उपर्य ल्लिखित यथोक्ताः वक्ता' 2. सत्य अर्थ के समनरूप, अर्थ के अनुसार सही संवृत्ताः पंच०१, यथोक्तव्यापारा श० 1, रघ० ठीक, उपयुक्त, सार्थक - करियन्निव नामास्य (अर्थात् 2170, उचित (वि०) उपयुक्त, उचित, वाजिव, शत्रुध्न) यथार्थमरिनिग्रहात् रघ० 15/6, युधि सद्यः योग्य (अव्य-तम्) ठीक-ठीक, उपयुक्त रूप से, शिशुपाल तां यथार्था शि० 16485, कि० 8139 उचित रूप से,--उत्तरम् (अव्य०) नियमित क्रम या कु. 1116 3. योग्य, उपयुक्त (र्थम् --अर्थतः) परंपरा में, नामशः, संबन्धोऽत्र यथोत्तरम सा० द० सत्यतापूर्वक, सही, उचित प्रकार से, 'अक्षर (वि.) 729, उत्साहम (अव्य.) 1. अपनी शक्ति या सार्थक, अक्षरशः सत्य वि० 111, नामन (वि.) ताकत के अनुसार 2. आती पूरी शक्ति से, उदिष्ट जिसका नाम अर्थ की दृष्टि से सही है या पूर्णतः / (वि.) जैसा कि वर्णन किया गया है या संकेतित सार्थक है (जिसके कार्य नाम के अनुरूप है).... ध्रुव- . है, (-प्टम्) या उद्देशम् (अन्य ) संकेतित रीति सिद्धेरपि यथार्थनाम्नः सिद्धि न मन्यते-मालवि०. से, उपजोषम (अव्य०) मन या इच्छा के अनुसार, 4, परन्तपो नाम यथार्थनामा - रघु० 6 / 21, वर्णः --उपदेशम (अव्य०) जैसा कि परामर्श या अनुदेश गुप्तचर ('यथार्हवर्ण के स्थान पर), अहं (वि.) ' दिया गया है, उपयोगम् (अव्य०) आवश्यकता या 1. गुणों के अनुसार अधिकारी 2. समुचित, उपयुक्त कार्य की दृष्टि से, परिस्थिति के अनुसार, काम न्यायोचित, वर्णः गुप्तचर, दूत. - अहम्, अर्हतः (वि०) इच्छा के अनुरूप (अध्य० मम्) रुचि के (अव्य०) गुण या योग्यता के अनुरूप-रघु० 16 / / अनुकूल, इच्छा के अनुरूप, मन भर कर - यथाकामा४०, अहणम् (अव्य०) 1. औचित्य के अनुरूप चितार्थानाम् - रधु० 116, 4:51, कामिन् 2. गुण या योग्यता के अनुरूप,-अवकाशम् (अव्य०) / (वि०) स्वतंत्र, प्रतिबंधरहित, ...काल: ठीक या 1. केक्ष या स्थान के अनुसार 2. जैसा कि अवसर / सही समय, उचित समय-रघु० 116 (अव्य-लम्) हो, अवसरानुकूल, अवकाशानुकूल, औचित्यानकल ठीक समय पर, समयानुकूल, मौसम के अनुसार, 3. ठीक स्थान पर प्रालम्बमत्कृप्य यथावकाशं निनाय -सोपसर्जजागार यथाकालं स्वपन्नपि--रघु० 17 / 51, --रघु० 6.14, अवस्थम् (अव्य०) दशा या परि ...कृत (वि.) जैसा कि मान लिया गया है, किसी स्थिति के अनकल, आण्यात (वि०) जैसा कि पहले नियम या प्रथा के अनुसार किया गया, प्रधानुकल उल्लेख किया गया है, पूर्वोल्लिखित,-आख्यातम् ..--मनु०८।१८३, --क्रमम्,- फ्रमेण (अव्य०) ठीक (अव्य०) जैसा कि पहले बतलाया गया है, . आगत क्रम या परंपरा से, नियमित रूप से, सही रूप में, (वि०) मूर्ख, जड, (अव्य 0 -तम) जैसा कि कोई उचित रीति से-रधु० 3 / 10, 9 / 26, क्षमम् आया, उसी रीति से जैसे कि कोई आया यथागतं (अव्य०) अपनी शक्ति के अनुसार, जितना संभव मातलिसारथिर्ययौ-रघु० ३।६७-आचारम् अव्य०) हो, जात वि० मर्ख, अज्ञानी जड, ज्ञानम् (अव्य०) प्रथा के अनुसार, जैसा कि प्रचलन है, आम्नातम्, / व्यक्ति की अधिक से अधिक जानकारी या बुद्धि के - आम्नायम् (अव्य०) जैसा कि वेदों में विहित है, अनुसार, ज्येष्ठम् (अव्य०) पद के अनुसार, वरि----आरम्भम् (अव्य०) आरंभ के अनुसार, नियमित | ष्ठता के अनुसार,-तथ (वि०) 1. सत्य, सही क्रम या अनुक्रम में,---आवासम् (अव्य०) अपने रहने / 2. परिशुद्ध, खरा, (-थम्) किसी वस्तु के विवरण या For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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