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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 810 ) - वचस् (नपुं०) पिष्टपेषण, पुनरुक्ति, -- भज् (पुं०)। होना, -- जठरः, -रम् मूत्र रुक जाने से पेट की सूजन, घोड़ा। -दोषः मूत्रसंबंधी रोग, निरोधः मत्र का रुक जाना, मूहूर्तःतम् [ हुर्छ+क्त धातोः पूर्व मुट् च ] 1. एक क्षण, -पतनः गंधमार्जार,-पथः मत्रनलिका,-परीक्षा मूत्र समय का अल्पांश, निमिष--नवाम्बुदानीकमुहूर्तला- निरीक्षण, मूत्र की परीक्षा करना, -पुटम् पेट का ञ्छने-रघु० 3 / 53, संध्याभ्ररेखेव महतरागाः निचला भाग, मूत्राशय, मार्गः मूत्रनलिका मूत्रद्वार, --पंच० 1 / 194, मेघ० 19, कु. 750 2. काल, ___ वर्धक (वि०) अधिक पेशाब लाने की दवा, मूत्रल, समय (शुभ या अशुभ) 3. अड़तालीस मिनट का -शूलः, - लम् मूत्रसंबंधी पीड़ा,-संग पेशाब आने में काल,-तः ज्योतिषी। रुकावट, पीड़ा के साथ रक्त पेशाब आना। माहर्तक: [मुहर्त+कन् ] 1. निमिष, क्षण 2. अड़तालीस | मूत्रयति (ना० घा० पर०) पेशाब, लघुशंका करना मिनट का काल / ---तिष्ठन्मूत्रयति महा। मू (भ्वा० पर० मवते) बांधना, जकड़ना, कसना / मूत्रल (वि.) [ मूत्र+ला+क ] पेशाब लाने वाली मूक (वि.) [ मू+का ] 1. गूंगा, मौन, चुप्पा, वाक्- | (दवा), मूत्रवर्धक औषधि / शून्य - मूकं करोति वाचाल, मुकाण्डजं (काननम्) | मूत्रित (वि०) [ मूत्र---इतच् ] मूत्र के रूप में निकला -कु० 3 / 40, सखीमियं वीक्ष्य विषादमूकाम् गीत० / हुआ। 7 2. बेचारा, दीन, दुःखी, क: 1. गूंगा- मौनान्मूकः | मर्ख (वि०) [ मह -ख, मर आदेशः ] जड़ मन्दमति, -हि. रा२६ (पाठांतर), मनु० 7 / 149 2. बेचारा, बुद्ध, मूढ़, अनजान- र्खः 1. मन्दमति, बुद्ध न तु दीन 3. मछली। सम--अम्बा दुर्गा का एक रूप, प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत्- भर्त० श६, 8, ----भावः चुप्पी, मूकता, वाक्शून्यता / / मुर्खबलादपराधिनं मां प्रतिपादयिष्यसि. विक्रम मूकिमन् (पुं०) [ मूक+इमनिच् ] गूंगापन, मूकता, 2. एक प्रकार का लोबिया / सम० भूयम् मूर्खता, चुप्पी / जड़ता, अज्ञानता। मूड (भू० क० कृ०) [ मुह -+-वत ] 1. जडीभूत, मोहित | मूर्छन (वि०) (स्त्री०-नी). [मुर्छ +णिच् + ल्युट्] 2. उद्विग्न, व्याकुल, विह्वल, सूझबूझ से हीन-कि 1. जडीभूत करने वाला, जडता या बेहोशी पैदा करने कर्तव्यतामूढः 'करणीय कर्तव्य की सूझ से हीन व्यक्ति' वाला, (कामदेव के एक बाण का विशेषण) 2. बढ़ाने इसी प्रकार 'ह्रीमूढ' मेव० 68 3. नासमझ, मूर्ख, वाला, वर्धन करने वाला, बल देने वाला,--नम् मन्दबुद्धि, जड, अज्ञानी अल्पस्य हेतोर्बह हातुमिच्छन् 1. मछित होना, बेहोश होना 2. (संगी० में) स्वराविचारमूढः प्रतिभासि मे त्वम्-रघु० 2 / 47 रोहण, स्वरविन्यास, स्वरों का नियमित आरोहणाव4. भ्रान्त, भ्रमपूर्ण, प्रतारित, विचलित 5. अपक्व- रोहण, सुखद स्वरसंधान करना, लयपरिवर्तन करना, जन्मा 6. संशयोत्पादक, - ढः मूर्ख, बुद्, मन्दमति, स्वरसामंजस्य, स्वरमाधुर्य-स्फटीभवद्ग्रामविशेषअज्ञानी पुरुष-मूढः परप्रत्ययनयबुद्धिः मालवि० मूर्च्छनाम् शि० 1110, भूयोभूयः स्वयमपि कृतां 1 / 2 / सम० -आत्मन् 1. मन से जड़ीभूत 2. निर्बुद्धि, मूर्च्छनां विस्मरन्ति मेघ०८६, वर्णानामपि मर्छनाजड़, मूर्ख,-गर्भः मृत गर्भ,--वादः अशुद्ध भाव, गलत, न्तरगतं तारं विरामे मृदु . मृच्छ० 3.5, सप्त स्वराविचारण, गलत धारणा, चेतन, चेतस् (वि०) स्त्रयो ग्रामा मुर्छनाचकविंशति: .... पंच० 5 / 54 निर्बुद्धि, मूर्ख, अज्ञानी-अवगच्छति मूढचेतनः प्रिय- (सूर्छा या मूर्च्छना की परिभाषा क्रमात्स्वराणां नाशं हृदि शल्यमपितं - रघु० 8188, धी, बुद्धि, सप्तानामारोहश्चावरोहणम् , सा मूच्र्छत्युच्यते - मति (वि.) निर्बुद्धि, जड़, मूर्ख, सीधासादा ग्रामस्था एताः सप्त सप्त च, अधिक विवरण के -कि० 130, सत्त्व (वि०) मोहित, दीवाना / लिए दे०शि० 1 / 10 पर मल्लि०। मत (वि.) [म+क्त ] 1. बांधा हुआ, करता हुआ | मर्छा मिर्छ ---(भावे) अङ+टाप] 1. बेहोशी, संज्ञा 2. बंदी किया हुआ। हीनता--रघु० 7.44 2. आत्म अज्ञान या व्यामोह मूत्रम् [ मूत्र +घञ ] मूत, पेशाब, - नाप्सु मूत्रं समुत्सृ- 3. धातु फूक कर भस्म बनाने की प्रक्रिया, मच्छौं गतो जेत्-मनु० 4156, मूत्रं चकार 'मूता, लघुशंका की' __ मतो वा निदर्शनं पारदोऽत्र रसः-भामि० 1182 / सम० - आघातः मूत्रसंबंधी रोग, आशयः पेट के | मोल (वि.) [मूर्छा-+लच्] वेहोश, अचेत, चेतनानीचे का स्थल जहाँ मूत्र भरा रहता है, उत्सङ्ग दे० / रहित / 'मूत्रसंग', कृच्छम् पीड़ा के साथ मुत्र का आना, | | मच्छित (भू० क० कृ.) [मूर्छा जाता अस्य-इतच, मूच्र्छ मूत्रक्षरण, बूंद 2 पेशाव का पीड़ा देकर आना, +क्त वा] 1. बेहोश, संज्ञाहीन, चेतनारहित कोशः अंडकोश, पोता, क्षयः मूत्र का स्राव कम / 2. मूर्ख, जड, मूढ 3. बढ़ाया हुआ, वर्धित 4. प्रचंड For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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