________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 809 ) ii (म्वा० पर० मोषति) चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, 1 मनु० 6 / 56 / सम० - आयुधः बलराम का विशेषण, हत्या कराना। ...-उलूखलम् मूसली और खरल / iii (दिवा० पर० मुष्यति) 1. चुराना 2. तोड़ना, नष्ट मुसलामुसलि (अव्य०) [मुसलैः मुसलैः प्रहृत्य प्रवृत्तं युद्धम्] करना-भट्टि०१५।१६ / मूसल या गदाओं से लड़ना। मुषकः [मु-+ण्वुल] चूहा / मुसलिन् (पुं०) [मुसल---इनि] 1. बलराम का विशेषण मुषल दे० 'मुसल'। 2. शिव का विशेषण / मुषा-षी [मुष्+क-अप, ङीष् वा] कुठाली / मुसल्य (वि०) [मुसल+यत् गदा से चूर-चूर किये जाने मुषित (भू० क० कृ०) मुष+क्त 1 लूटा गया, चोरी अथवा मार दिये जाने योग्य / किया गया, अपहृत 2. अपहरण किया गया, छीन मुस्त (चुरा० उभ० मुस्तयति -ते) ढेर लगाना, इकट्ठा कर ले जाया गया 3. वञ्चित, मुक्त 4. ठगा गया, करना, संग्रह करना, संचय करना / धोखा दिया गया दैवेन मुषितोऽस्मि - का० / मुस्तः,-तम्, ---स्ता मुस्तु-क, स्त्रियां टाप] एक प्रकार मुषितकम् मुषित+कन] चुराई हुई संपत्ति / की घास, मोथा-विस्रब्धं क्रियतां वराहततिभिमस्तामुष्कः मिप -कक] 1. अंडकोष 2. पोता 3. गठीला तथा ___ क्षतिः पल्वले-श० 2 / 6, रघु० 9 / 59, 15 / 19 / हृष्ट-पुट पुरुष 4. राशि, ढेर, परिमाण, समुच्चय सम० अदः आदः सूअर / 5. चोर। सम० --देशः अण्डकोष का स्थान,-शून्यः मुस्रम् [मुस्+रक्] 1. मुसली 2. आंसू / हिजड़ा, बधिया किया हुआ पुरुष, शोफः पोतों की मुह, (दिवा० पर० मुह्यति, मुग्ध या मूढ) मुझाना, मुर्छित सूजन। होना, चेतना नष्ट होना, बेहोश होना इष्टाहं मुष्ट (भू० क० कृ०) [मुष्+क्त] चुराया हुआ--- श० द्रष्टुमाहुं तां स्मरन्नेव मुमोह सः .. भट्टि०६।२१, ५।२०,-टम् चुराई हुँई सम्पत्ति / 120, 15 / 16 2. उद्विग्न होना, विह्वल होना, मुष्टिः (पुं०, स्त्री०) मुष-क्तिच्] 1. भींचा हुआ हाथ, घबराना 3. मूह बनना, जड़ होना, मोहित होना मुट्ठी-कणाण्तमेत्य विभिदे निविडोऽपि मुष्टि:-रघु० 4. गलती करना, भूल होना-प्रेर० (मोहयति ते) 9 / 58, 15 / 21, शि० 10159 2. मुट्ठीभर, जितना 1. जड करना, मोहित करना ---मा मूमुहत्खलु भवन्तएक मुट्ठी में आवे, श्यामाकमष्टिपरिवधितकः श० मनन्यजन्मा - मा० 1 // 32 2. अस्तव्यस्त करना, 4 / 14, रघु० 19 / 57, कु० 7 / 69, मेघ० 68 3. मूंठ, घबराना, उद्विग्न होना ---भग० 32, 4 / 16, दस्ता 4. एक विशेष तोल,( = एक पल के बराबर) परि ..., घबराया जाना, उद्विग्न हो जाना (प्रेर० 5. पुरुष का लिंग। सम० - देशः धनुष का बीच का आ०) फुसलाना, बहकाना, ललचाना-भट्टि० 8 / 63, भाग, वह भाग जो हाथ से पकड़ा जाता है, - द्यूतम् प्र , जडीभूत होना, मुग्ध होना, वि-, अव्यवस्थित एक प्रकार का खेल, जुआ, -- पातः मुक्केबाजी, बंध: होना, घबराना, उद्विग्न होना, विह्वल होना - भग० 1. मुट्ठी बांधना 2. मुट्ठीभर,--- युखम् मुक्केबाजी, 2 / 72, 3 / 6, 27 2. मुग्ध होना या मोहित होना, घुसेवाजी। सम् - 1. व्याकुल होना 2. मुर्ख या अज्ञानी होना मष्टिकः मिष्टिर्मोषणं प्रयोजनमस्य - कन] 1. सुनार (प्रेर०) मोहित करना, जडीभूत करना-अघर2. हाथों की विशिष्ट स्थिति 3. एक राक्षस का नाम, मधुस्यन्देन संमोहिता गीत०१२।। कम् मुक्केबाजी, घुसेबाजी। सम० अन्तकः मुहिर (वि०) [मुह +किरच] मूर्ख, मूढ, जड़, रः वलराम का विशेषण। 1. कामदेव 2. मूर्ख, बुद्ध / मुष्टिका मुष्टिक-टाप] मुट्ठी। महस् (अव्य०) [मुह, +उसिक] बहुधा, लगातार, निरंतर, मुष्टिन्धयः [ मुष्टि ---घे+खेश् मुम् ] बच्चा, बालक, बार बार-ग्रीवाभङ्गाभिरामं मुहुरनुपतति स्यन्दने शिशु। दत्तदृष्टिः श० 117, 216, (इस अर्थ में प्रायः मुष्टीमुष्टि (अव्य०) [मुष्टिभिः मुष्टिभिः प्रहृत्य प्रवृत्तं 'द्वित्व' कर दिया जाता है) महर्महः 1. बार बार, फिर युद्धम् मुक्केबाजी, चूंसेबाजी, हस्ताहस्ति युद्ध / फिर, प्रायः बहुशः -- गुरूणां संनिधानेऽपि कः कूजति मुष्ठकः राई, काली सरसों। मुहुर्मुहः 2. कुछ समय या क्षण के लिए, थोड़ी देर के मुस् (दिवा० पर० मुस्यति) फाड़ना, विभक्त करना, लिए मेघ० 115, उत्तरोत्तर वाक्यखंडों में 'अब, टुकड़े 2 करना। अब' एक बार, दूसरी बार' अर्थ को प्रकट करने मुसलः, लम् | मुस+कलच] 1. गतका, गदा 2. मसल में प्रयुक्त होता है ... महरनपतते बाला मुहुः (चावल कूटने के काम आता है)-मुसलमिदमियं च पतति विह्वला, मुहुरालप्यते भीता मुहुः कोशति पातकाले मुहुरनु याति कलेन हुंकृतेन-मुद्रा० 114, | रोदिती -सुभा०, मुद्रा० 5 / 3 / सम-भाषा, 102 For Private and Personal Use Only