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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 807 ) ji (भ्वा० आ० मोदते, प्रेर० मोदयति ते, इच्छा० करने का उपकरण, विशेषतः मोहर लगाने की अंगठी मुमुदिषते या मुमोदिषते) हर्ष मनाना, प्रसन्न होना, नामांकित अंगूठी-अनया मुद्रया मुद्रयेनम् मुद्रा० 1, हृष्ट या आनन्दित होना यक्ष्ये दास्यामि मोदिष्य नाममुद्राक्षराण्यनुवाच्य परस्परमवलोकयतः श० 1 इत्यज्ञानविमोहिताः भग०१६।१५, मनु० 2 / 232, 2. मोहर, छाप, अंक, चिह्न चतु:समुद्रमुद्रः का० 291, भट्टि० 15496, अनु, - अनुमोदन करना, 191, सिन्दूरमुद्राङ्कितः (बाहुः), गीत०४ 3. प्रवेशमंजूरी देना, अनुमति देना, स्वीकृति देना, रघु० पत्र, षोतपारक (जैसा कि मुद्राङ्कित रूप में दिया 14143, आ, 1. प्रसन्न या हर्षित होना, हर्प मनाना जाता है) अगृहीतमद्रः काटकानिष्कामसि-मद्रा० 5 2. सुगंधित होना, (प्रेर०) सुगंधित करना, सुवासित 4. मोहर लगा सिक्का, रुपया पंसा आदि सिक्के करना, परिमलरामोदयन्ती दिशः भामि० 1156, 5. पदक, तमगा 6. प्रतिभा चिह्न, बिल्ला, प्रतीकात्मक प्र अत्यंत प्रसन्न होना बहुत खुश होना, रघु० 6 / चिह्न 7. बंद करना, मंदना, मोहर लगा देना संवो८६, मा० 5 / 23 / ष्ठमुद्रा स च कर्णपाश:--उत्तर०६।२०, क्षिपन्निद्रामद्रां मुद्, मुदा (स्त्री०) [ मुद्+-(भावे) क्विप्, मुद्+टाप् ] मदनकलहच्छेद सुलभाम् मा० 2115 8. रहस्य हर्प, आनंद, प्रसन्नता, खुशी, संतोष पितुर्मुदं तेन 9. धर्मनिष्ठ भक्ति में अंगलियों की विशिष्ट मद्रा। ततान सोऽर्भक: रघु० 3 / 25, अश्नन् पुरो हरितको सम० अक्षरम् 1. मोहर का अक्षर 2. टाइप (छापने मुदमादधानः शि० 5 / 58, 1123, विषादे कर्तव्ये के अक्षर ---आधुनिक प्रयोग), कारः मोहर बनाने विदधति जडाः प्रत्युत मुदम् भर्तृ० 3 / 25; द्विपरण वाला, मार्गः मस्तक के बीच में होने वाला रंध्र मुदा गीत० 11, कि० 5 / 25, रघु० 7.30 / जिसके द्वारा (योगियों का) प्राणवायु बाहर निकल मुदित (भू० क० कृ०) [ मुद्+क्त ] प्रसन्न, हर्षित, आनं जाता है, ब्रह्मरंध्र। दित, खुश, हर्षयुक्त, तम् 1. प्रसन्नता, आनंद, खुशी मुद्रिका [मुद्रा-|-कन् + टाप, इत्वम् ] मोहर लगाने की हर्ष 2. एक प्रकार का मैथुनालिङ्गन, ता हर्ष, आनंद / अंगठी दे० 'मुद्रा' मुदिरः [ मुद्-+-किरच ] / बादल प्रचुर पुरन्दरधनुरजि- | मुद्रित (वि.) [मुद्रा+इतच ] 1. मोहर लगा हुआ, तमेदुरमुदिर सुवेशम् गीत०२, या, मञ्चसि नाद्यापि चिह्नित, अंकित, मुद्रांकित त्याग: सप्तसमुद्रमुद्रितरुषं भामिनि मदिरालिरुदियाय भामि० 288 मही निर्व्याजदानावधिः-महावी० 2 / 36, काश्मीर2. प्रेमी, कामासक्त 3. मेंढक / मद्रित मुरो मधुसूदनस्य गीत० 1, स्वयं सिन्दूरेण मुदी [ म+कडी ] ज्योत्स्ना, चांदनी।। द्विपरण मदामुद्रित इव ..11 2. बन्द किया हुआ, मुद्गः [ मद्-गक्] 1. एक प्रकार का लोविया, मंग | महर बंद 3. अनखिला। 2. ढकना, आवरण 3. एक प्रकार का समुद्री-पशु। मधा (अव्य०) [ मह.- का, पूषो० हस्य धः ] 1, व्यर्थ, सम० भुज,-भोजिन (पू०) घोड़ा। निष्प्रयोजन, निरर्थकता के कारण, बिना किसी लाभ मुद्गरः [ मुदं गिरति गृ+-अच् ] 1. हथौड़ा, मोंगरी, के--यत्किचिदपि संवीक्ष्य कुरुते हसितं मुधा-सा. जैसा कि 'मोहमदगर' शंकराचार्य कृत एक छोटा / द. 2. गलत रीति से, मिथ्यारूप से-रात्रि: सेब पुन: काव्य) में-रघु० 12 / 73 2. गतका, गदा 3. मिट्टी / स एव दिवसो मत्वा मुधा जन्तवः--भर्तृ० 3178 के ढेले तोड़ने वाली मोगरी 4. डम्पल, लोहे के छोटे (पाठान्तर)। मुगदर 5. कली 6. एक प्रकार की चमेली (इस अर्थ | मुनिः [ मन्- इन्, उच्च मनते जानाति यः ] 1. ऋपि, में यह शब्द नपुं भी होता है)। महात्मा, सन्त, भक्त, संन्यासी-मुनीनामप्यहं व्यासः मुद्गल: [ मुद्ग+लाक] एक प्रकार का घास / भग० 10 / 37, पुण्यः शब्दो मुनिरिति मुहुः केवलं मुग्दष्टः (पु.) एक प्रकार की मूंग।। राजपूर्वः श० 2 / 24, रघु० 118, 3149, भग मुद्रणम् [ मुद्+रा-ल्युट, पृषी]। मोहर लगाना, 2156 2. अगस्त्य मुनि का नाम 3. व्यास का नाम मुद्रांकित करना, छापना, चिह्न लगाना 2. मूंदना, वंद 4. बुद्ध का नाम 5. आम का पेड़ 6. 'सात' की संख्या करना। (व० व०) सप्तर्षि / सम०---अन्नम् (ब० व०)' मुद्रयति (ना० धा० पर०) 1. मोहर लगाना अनया संन्यासियों का भोजन,– इन्द्रः---ईशः,-ईश्वरः एक मुद्र या मुद्रयेनम्-मुद्रा०१ 2. मुद्रांकित करना, चिह्न बड़ा ऋपि, - त्रयम् भनित्रय' अर्थात् पाणिनि, कात्यालगाना, अंकित करना 3. ढकना, मंदना (आलं.) यन और पतंजलि (जो कि अन्तःप्रेरणा प्राप्त मुनि ..--विवराणि मुद्रयन् द्रागर्णायुरिव सज्जनो जयति माने जाते हैं)- मुनित्रयं नमस्कृत्य या, त्रिमुनि व्याक-भामि० 1190 / रणम् सिद्धा०,-पित्तलम् तांबा, पुङ्गवः महान् या मुद्रा [ मदु+र+टाप् ] / मोहर लगाने या मुद्रांकित / प्रमुख ऋषि,-पुत्रक: 1. खंजनपक्षी 2. दमनक वृक्ष For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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